आज का दिन नेस्ले इंडिया के लिए अच्छा नहीं रहा है. नेस्ले के शेयरों में गुरुवार को 5.4% तक की गिरावट आई. इसके साथ ही ये बीएसई पर 2409.55 रुपये के दिन के निचले स्तर पर पहुंच गया. गौरतलब है कि ये गिरावट तब देखी गई है जब एक रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि मल्टीनेशनल एफएमसीजी कंपनियां भारत में बेचे जाने वाले बेबी फूड प्रोडक्ट्स में चीनी मिलाती है.
सरकार अलर्ट
पिछले तीन सालों में ऐसा पहली बार हुआ हुआ है जब नेस्ले के शेयर एक दिन में इतने गिरे हों. सरकार ने आज के टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे एक लेख पर सेल्फ कॉग्निजेंस लिया, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि नेस्ले भारत जैसे कम समृद्धि देशों में बेचे जाने वाले बेबी फूड प्रोडक्ट्स में चीनी मिलाती है. हालांकि नेस्ले ये काम यूके और यूरोप में नहीं करती है.
ऐसे हुआ खुलासा
यह खुलासा तब हुआ जब स्विस जांच संगठन “पब्लिक आई” और आईबीएफएएन (International Baby Food Action Network) ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले नेस्ले के बेबी फूड फूड्स के नमूनों का परीक्षण किया. ये टेस्टिंग बेल्जियम के एक लैबोरेटरी में किया गया था.
जानकारों का ये है कहना
डब्ल्यूएचओ के एक वैज्ञानिक निगेल रोलिंस ने दोहरे मापदंड की ओर इशारा करते हुए कहा कि कंपनियों के इस रवैये को तर्कसंगत नहीं बताया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि ये सार्वजनिक स्वास्थ्य और नैतिकता दोनों के संदर्भ में चुनौतियां पेश करता है. रिपोर्ट ने आगे खुलासा किया कि भारत में बिकने वाले प्रत्येक सेरेलैक बेबी फूड में औसतन ‘पर पोर्शन’ 3 ग्राम चीनी मिला होता है. इसके उलट जर्मनी, फ्रांस और यूके में बेचे जाने वाले छह महीने के शिशुओं के लिए डिज़ाइन किए गए नेस्ले के वीट-बेस्ड सेरेलैक फूड में चीनी नहीं मिली होती है.
नेस्ले ने दिया ये बयान
जब विवाद सामने आया, तो स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने “दोहरे मापदंड” की आलोचना की. नेस्ले ने जवाब देते हुए कहा कि उसने पिछले पाँच वर्षों में अपने कई तरह के बेबी फूड्स में चीनी की मात्रा 30% तक कम कर दी है. कंपनी के प्रवक्ता ने ईटी नाउ को बताया कि हम अतिरिक्त चीनी के स्तर को और कम करने के लिए नियमित रूप से पोर्टफोलियो की समीक्षा करते हैं.