चंडीगढ़। जिला अदालत में चंडीगढ़ पुलिस का एक ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसमें शहर की होनहार पुलिस ने दो लोगों को एक ऐसी गाड़ी के चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल पहुंचा दिया जो चोरी हुई ही नहीं थी। मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस का केस जिला अदालत में औंधे मुंह गिरा। अदालत ने सामने आए तथ्यों के आधार पर पकड़े गए दोनों आरोपियों को बरी कर दिया। इनकी पहचान दिल्ली के रहने वाले अजीत सिंह और पटियाला के रहने वाले हरप्रीत सिंह के रूप में हुई है।
वकील ने बताई पुलिस के खेल की कहानी
बरी हुए व्यक्तियों के वकील दीक्षित अरोड़ा ने बताया कि पुलिस की इस कारगुजारी का खुलासा तब हुआ जब केस की सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से कार का असली मालिक बनाकर पेश हुए अमरीक सिंह ने अपनी कार के चोरी होने की बात से ही इन्कार कर दिया। अदालत में सामने आए तथ्यों से पता चला कि इनोवा कार की चोरी के आरोप में दोनों व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया, वह चोरी ही नहीं हुई थी। अदालत में पेश किए गए तथ्यों और गवाहों के बयानों से पता चला कि इनोवा कार का असली मालिक रघुबीर सिंह है, जिसे असली मालिक रघुबीर ने ही बरी हुए हरप्रीत सिंह को बेची थी। इसे पुलिस ने चोरी की गाड़ी बना झूठे केस में गिरफ्तार कर लिया। यहां तक पुलिस ने केस में असली कार के मालिक रघुबीर सिंह को भी केस में गवाह नहीं बनाया,क्योंकि यदि पुलिस उसे गवाह बना देती तो पूरे खेल की पोल खुल जाती।
जानिए… क्या है पूरा मामला
दायर मामले के अनुसार 4 मई 2014 को सेक्टर-11 क्राइम ब्रांच में तैनात एएसआई अशोक तुली की शिकायत पर उक्त लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। अशोक तुली ने शिकायत में बताया था कि वह एएसआई बलजीत सिंह समेत अपनी टीम के साथ सेक्टर- 10 स्थित माउंट व्यू होटल के पास मौजूद थे। दोपहर लगभग 2:30 बजे उसे एक मुखबिर से गुप्त सूचना मिला कि चोरी की वाहनों पर जाली नंबर लगा फर्जी उनके फर्जी कागज तैयार कर बेचने वाले आरोपी चंडीगढ़ में एक चोरी की इनोवा कार को बेचने के लिए निकले हैं। आरोपी इस दौरान सेक्टर- 2/11, 3/10 की सड़क के रास्ते होकर निकलने वाले हैं। सूचना मिलते साथ ही क्राइम ब्रांच की टीम ने सेक्टर 3/10 स्थित बोगनवेलिया गार्डन के पास नाका लगा दिया। इस दौरान पुलिस ने दोपहर करीब 3:30 बजे एक सफेद रंग की पंजाब नंबर की इनोवा कार को इंजीनियरिंग कॉलेज की तरफ से आते हुए देखा। पुलिस कर्मचारियों ने वाहन को नाके पर रुकने का इशारा किया। चालक ने अपनी पहचान पटियाला के रहने वाले हरप्रीत सिंह और सहयात्री की पहचान दिल्ली के रहने वाले अजीत सिंह के तौर पर बताई। पुलिस के गाड़ी के कागजात कराने की बात कहने पर आरोपी अजीत सिंह ने अपनी पतलून की जेब से गाड़ी की एक आरसी निकाल ली, आरसी जिला संगरूर के रघुबीर सिंह नाम पर पाई गई और आरसी पर डीटीओ संगरूर की मोहर लगी हुई थी। केस के मुताबिक इंजन नंबर का विवरण भी अलग पाया गया था। जांच करने पर पता चला कि कार का मूल नंबर अमरीक सिंह के नाम पर पंजीकृत था। अमरीक सिंह ने पहले ही थाने में चोरी की एफआईआर दर्ज करवाई हुई थी। जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस की कहानी की अनुसार पकड़े गए दोनों आरोपी चंडीगढ़, दिल्ली से विभिन्न कारों की चोरी कर गाड़ियों पर फर्जी नंबर लगवा कर जाली दस्तावेज तैयार करते थे। उसके बाद जाली दस्तावेजों के आधार पर अलग-अलग व्यक्तियों को वाहन बेच ठगी का शिकार बनाते थे। पुलिस ने यह भी दावा किया था कि आरोपियों के पास बरामद हुई इनोवा कार मोहाली से चोरी हुई थी। आरोपों के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों ने वाहन फर्जी नंबर प्लेट लगाते हुए जासी आरसी बनवा रखी थी। आरोपी इन्हीं जाली दस्तावेजों के आधार पर चोरी की इनोवा कार चंडीगढ़ में बेचने के फिराक में घूम रहे थे।