Features
lekhaka-Manshul Rathodiya
FSSAI:
मिनिस्ट्री
ऑफ
कंज्यूमर
अफेयर्स
ने
फूड
सेफ्टी
एंड
स्टैंडर्ड
ऑथोरिटी
ऑफ़
इंडिया
(एफएसएसएआई)
से
भारत
में
अत्यधिक
चीनी
के
साथ
सेरेलैक
बेचने
के
लिए
नेस्ले
के
खिलाफ
कार्रवाई
शुरू
करने
को
कहा
है,
जैसा
कि
एक
स्विस
एनजीओ,
‘पब्लिक
आई’
ने
अपनी
रिपोर्ट
में
दावा
किया।
अब
एफएसएसएआई
इस
मामले
में
जांच
शुरू
करेगी।
लेकिन
क्या
आप
जानते
हैं
क्या
है
एफएसएसएआई,
क्या
है
इसका
काम
और
इसने
अपने
काम
में
किन-किन
नए
पहलुओं
की
शुरुआत
की
है?
क्या
है
एफएसएसएआई?
फूड
सेफ्टी
एंड
स्टैंडर्ड
ऑथोरिटी
ऑफ़
इंडिया
(FSSAI)
भारत
में
फूड
इंडस्ट्री
को
रेगूलेट
और
निगरानी
करने
के
लिए
2008
में
स्थापित
की
गई
एक
स्टेट्यूटरी
बॉडी
है।
एफएसएसएआई
फूड
सेफ्टी
स्टैंडर्ड्स
को
तय
करने,
खाने-पीने
से
संबंधित
व्यवसायों
को
लाइसेंस
देने
और
फूड
सेफ्टी
रेगुलेशंस
का
पालन
हो,
ये
सुनिश्चित
करने
के
लिए
जिम्मेदार
है।
एफएसएसएआई,
स्वास्थ्य
और
परिवार
कल्याण
मंत्रालय
के
अधीन
आता
है
और
यह
फूड
सेफ्टी
एंड
स्टैंडर्ड
एक्ट
(एफएसएस
एक्ट),
2006
के
तहत
काम
करता
है।
एफएसएसएआई
का
मुख्यालय
नई
दिल्ली
में
है
और
इसके
अन्य
कार्यालय
मुंबई,
कोलकाता
और
चेन्नई
में
हैं।
एफएसएसएआई
ने
वर्तमान
में
22
रेफरल
लैब्स,
72
राज्य
लैब्स
और
112
एनएबीएल
लैब्स
को
मान्यता
दे
रखी
है।
एफएसएसएआई
की
शक्तियां!
एफएसएसएआई
के
पास
भारत
में
फूड
प्रोडक्ट्स
की
सेफ्टी
और
क्वालिटी
बनाए
रखने
के
लिए
कई
अधिकार
हैं।
सबसे
पहले,
यह
फूड
प्रोडक्ट्स
के
लिए
स्टैंडर्ड
तय
करता
है
ताकि
यह
सुनिश्चित
हो
सके
कि
वे
सेवन
के
लिए
सुरक्षित
हैं।
इन
स्टैंडर्ड्स
में
इंग्रेडिएंट्स
से
लेकर
पैकेजिंग
और
लेबलिंग
तक
सब
कुछ
शामिल
है।
एफएसएसएआई
फूड
प्रोडक्ट्स
की
मैन्युफैक्चरिंग,
स्टोरेज,
डिस्ट्रीब्यूशन
और
सेल
को
भी
नियंत्रित
करता
है।
इसका
मतलब
है
कि
वे
खेतों
और
कारखानों
से
भोजन
को
हमारी
थाली
तक
पहुँचाने
की
पूरी
प्रक्रिया
की
देखरेख
करते
हैं।
एफएसएसएआई
का
एक
और
महत्वपूर्ण
काम
यह
है
कि
वो
खाने-पीने
से
संबंधित
व्यवसायों
को
लाइसेंस
देता
है
और
रेगुलेट
करता
है।
इसमें
रेस्तरां,
फूड
वेंडर्स
और
यहाँ
तक
कि
ऑनलाइन
फूड
डिलीवरी
सर्विसेज
भी
शामिल
हैं।
इसके
अलावा,
एफएसएसएआई
के
पास
खाने-पीने
से
संबंधित
व्यवसायों
का
निरीक्षण
और
निगरानी
करने
का
अधिकार
है
ताकि
यह
सुनिश्चित
किया
जा
सके
कि
वे
नियमों
का
पालन
कर
रहे
हैं।
वे
फूड
सेफ्टी
रूल्स
का
उल्लंघन
करने
वालों
के
खिलाफ
कार्रवाई
कर
सकते
हैं,
जिसमें
जुर्माना
लगाना
या
ज़रूरत
पड़ने
पर
व्यवसायों
को
बंद
करना
भी
शामिल
है।
एफएसएसएआई
के
अधिकारी
अगर
एफएसएसएआई
के
अधिकारियों
की
बात
की
जाए
तो
इसमें
एक
अध्यक्ष
और
22
सदस्य
होते
हैं,
जिनमें
से
एक
तिहाई
महिलाएं
होनी
अनिवार्य
हैं।
अध्यक्ष
की
नियुक्ति
केंद्र
सरकार
द्वारा
की
जाती
है
और
वह
भारत
सरकार
के
सचिव
के
पद
पर
होता
है।
22
सदस्यों
में
केंद्र
सरकार
के
विभिन्न
मंत्रालयों
या
विभागों
के
सात
सदस्य,
फूड
इंडस्ट्री
के
दो
प्रतिनिधि,
ग्राहक
संगठन
के
दो
प्रतिनिधि,
तीन
प्रमुख
फूड
टेक्नोलॉजिस्ट
या
वैज्ञानिक,
देश
के
सभी
राज्यों
और
केंद्र
शासित
प्रदेशों
का
रोटेशनल
आधार
पर
पांच
प्रतिनिधि,
किसान
संगठनों
की
ओर
से
दो
प्रतिनिधि
और
खुदरा
व्यापारियों
का
एक
प्रतिनिधि
शामिल
होता
है।
एफएसएस
एक्ट
से
पहले
थे
सात
अलग-अलग
एक्ट
फूड
सेफ्टी
एंड
स्टैंडर्ड
एक्ट,
2006
(एफएसएस
एक्ट)
विभिन्न
एक्ट्स
और
आदेशों
को
एक
साथ
लाकर
बना
है,
जो
पहले
विभिन्न
मंत्रालयों
और
विभागों
में
खान-पान
संबंधी
मुद्दों
को
संभालते
थे।
एफएसएस
एक्ट,
2006
के
लागू
होने
से
पहले
सात
अलग-अलग
एक्ट
हुआ
करते
थे
और
उन
एक्ट
में
प्रिवेंशन
ऑफ़
फूड
एडल्टरेशन
एक्ट
(1954),
फ्रूट
प्रोडक्ट्स
ऑर्डर
(1955),
मीट
फूड
प्रोडक्ट्स
ऑर्डर
(1973),
वेजिटेबल
ऑयल
प्रोडक्ट्स
ऑर्डर
(1947),
सॉल्वेंट
एक्सट्रैक्टेड
ऑयल,
डी-ऑयल
मील
एंड
एडिबल
फ्लोर
आर्डर
(1967),
एडिबल
ऑयल
पैकेजिंग
ऑर्डर
(1988),
मिल्क
एंड
मिल्क
प्रोडक्ट्स
ऑर्डर
(1992)
शामिल
था।
इन
सभी
एक्ट्स
और
ऑर्डर्स
को
मिलाकर
फूड
सेफ्टी
एंड
स्टैंडर्ड
एक्ट,
2006
बनाया
गया
और
एफएसएसएआई
की
स्थापना
की
गई।
एफएसएसएआई
की
कुछ
प्रमुख
पहल
-
ईट
राइट
इंडिया:
एफएसएसएआई
द्वारा
10
जुलाई,
2018
को
‘ईट
राइट
इंडिया’
अभियान
शुरू
किया
गया
था,
जिसका
उद्देश्य
भारत
में
पब्लिक
हेल्थ
में
सुधार
लाना
और
लाइफस्टाइल
से
जुड़ी
बीमारियों
से
निपटने
के
लिए
क्वालिटी
फूड
उपलब्ध
कराना
था,
जिससे
अच्छी
क्वालिटी
वाले
फूड
प्रोडक्ट्स
को
बढ़ावा
मिले। -
क्लीन
स्ट्रीट
फूड:
यह
पहल
स्ट्रीट
फूड
वेंडर्स
को
ट्रेनिंग
देने,
एफएसएस
एक्ट
के
उल्लंघन
के
बारे
में
जागरूकता
बढ़ाने
और
स्ट्रीट
फूड
वेंडर्स
को
आर्थिक
रूप
से
ऊपर
उठाने
के
लिए
थी। -
डाइट4लाइफ:
एफएसएसएआई
की
इस
पहल
का
मकसद
मेटाबॉलिज्म
और
मोटापे
से
संबंधित
बीमारियों
के
बारे
में
जागरूकता
फैलाना
था। -
सेव
फूड,
शेयर
फूड,
शेयर
जॉय:
लोगों
को
भोजन
की
बर्बादी
रोकने,
भोजन
दान
को
बढ़ावा
देने
और
फूड
मैन्युफैक्चरिंग
एजेंसियों
को
फूड
डिस्ट्रीब्यूशन
एजेंसियों
से
जोड़ने
के
लिए
एफएसएसएआई
द्वारा
इस
पहल
की
शुरुआत
की
गई
थी।
किन
प्रमुख
मामलों
में
शामिल
रहा
एफएसएसएआई
वैसे
तो
एफएसएसएआई
कई
प्रमुख
मामलों
में
शामिल
रहा
है,
लेकिन
जो
मामला
सबसे
ज्यादा
चर्चा
का
विषय
रहा
वह
है
2015
का
मैगी
बैन।
एफएसएसएआई
ने
जून
2015
में
नेस्ले
की
मैगी
नूडल्स
में
अनुमति
से
ज्यादा
लेड
और
मोनोसोडियम
ग्लूटामेट
(एमएसजी)
पाए
जाने
के
बाद
देश
भर
में
मैगी
पर
प्रतिबंध
लगा
दिया
था,
क्योंकि
यह
इंसानों
के
खाने
के
लिए
सुरक्षित
नहीं
था।
मैगी
के
बाद
सेरेलेक
को
लेकर
नेस्ले
विवादों
में,
पहले
कैडबरी
और
पेप्सी
पर
भी
लग
चुके
हैं
आरोप!
हालांकि,
बाद
में
बॉम्बे
हाई
कोर्ट
ने
प्रतिबंध
को
पलट
दिया
और
नेस्ले
से
मैगी
के
नए
सैंपल
तैयार
कर
के
एफएसएसएआई
को
भेजने
के
लिए
कहा।
इसके
बाद
एफएसएसएआई
ने
मैगी
के
नए
सैंपल्स
की
जांच
की
और
उन्हें
सुरक्षित
पाया।
इसके
बाद
नवंबर
2015
में
मैगी
फिर
से
भारतीय
बाजार
में
लौटी।
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English summary
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