पुणे में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ वर्ल्ड कप के मैच में विराट कोहली ने बेहद तेज़ शुरुआत की.
पहली गेंद पर उन्होंने 2 रन बनाए, वो गेंद नो-बॉल हो गई. हसन महमूद की अगली गेंद भी नो बॉल हुई इस पर कोहली ने चौका जड़ा और फिर अतिरिक्त गेंद पर उन्होंने आसमानी छक्का जड़ दिया. यानी एक लीगल डिलीवरी पर उन्होंने 12 रन बना लिए थे.
मैदान पर दर्शक कोहली से एक तेज़ और बड़ी पारी की उम्मीद लगा बैठे और कोहली ने उन्हें निराश भी नहीं किया. उन्होंने कम समय में अपना अर्धशतक पूरा किया और तेज़ी से शतक की ओर बढ़ने लगे. मैच में एक समय ऐसा आया जब बांग्लादेश को हराने के लिए भारतीय टीम को ज़रूरत थी 19 रनों की और विराट कोहली को भी शतक के लिए 19 रन चाहिए थे.
तब कोहली शतक पूरा करेंगे या नहीं ये दूसरी छोर पर बल्लेबाज़ी कर रहे केएल राहुल पर भी निर्भर हो गया.
ओवर ब्रेक में कोहली और राहुल ने कुछ मंत्रणा की और फिर कोहली जहां बड़े शॉट्स लगाने की कोशिश करते दिखे, वहीं सिंगल्स को दोनों बल्लेबाज़ों ने मना कर दिया.
आखिरकार 97 के स्कोर पर कोहली ने छक्का लगाकर न सिर्फ़ भारत को मैच जिताया बल्कि वनडे में अपना 48वां शतक भी पूरा कर लिया.
कोहली के 2015 के बाद वर्ल्ड कप में जड़े गए पहले शतक में राहुल का भी बड़ा योगदान था. उन्होंने बिना किसी स्वार्थ के बैटिंग की.
मैच के बाद वे बोले, ”कोहली परेशान थे कि सिंगल नहीं लेने से ग़लत संकेत ना जाए कि वे पर्सनल माइलस्टोन के लिए खेल रहे हैं. लेकिन मैंने उनसे कहा कि हम मैच जीत ही रहे हैं और काफी गेंद पड़ी हैं, अगर आप शतक पूरा कर लेते हैं तो ये कोई बुरी बात नहीं है.”
खुद के रन छोड़कर दूसरे खिलाड़ी के शतक पूरा करने में मदद करना राहुल के एक नए पक्ष से सामना करवाता है जो ज्यादा दिलेर और खुद पर भरोसा करने वाला है.
वो 97 रन जो थे शतक से बेहतर
अभी कुछ दिनों पहले ही राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मैच में 97 रनों की मैच-जिताऊ पारी खेली थी. अपनी पसंदीदा ओपनिंग की पोज़ीशन को छोड़कर मध्यक्रम में राहुल ने भारतीय पारी को संभाला और बेशकीमती पारी खेली थी.
उस 97 रनों को क्रिकेट के जानकारों ने शतक से भी अधिक बहुमूल्य बताया था.
राहुल तब बैटिंग करने आए जब भारत ने 2 रन पर 3 विकेट खो दिए थे. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कोहली के साथ मिलकर ज़ोरदार साझेदारी निभाई और भारत को इस वर्ल्ड कप का पहला मैच जिताया.
कमेंट्री कर रहे इरफ़ान पठान ने ट्वीट कर कहा कि चोट से वापसी के बाद राहुल बेहद शांत दिख रहे हैं. ये एनसीए में उनकी मेहनत का नतीजा है, जहां उन्हें अपनी फ़िटनेस पर काम करने का मौक़ा मिला और उन्हें अपने खेल और दिमाग़ के बारे में सोचने का मौका मिला.
अब तक नॉट आउट, बने टीम की रीढ़
भारत इस वर्ल्ड कप में पहले चार मैच जीत चुका है. टीम ने ऑस्ट्रेलिया के अलावा, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश को शिकस्त दी है.
पिछले एक साल में ओपनिंग पोज़ीशन गंवा चुके राहुल को मिडिल ऑर्डर में पैर जमाने की ज़रूरत थी और उन्होंने किसी को निराश नहीं किया.
राहुल वैसे तो इस वर्ल्ड कप की तीन पारियों में 150 रन बना चुके हैं पर उनका औसत अभी नहीं निकाला जा सकता क्योंकि अब तक वे एक बार भी आउट ही नहीं हुए हैं.
कुछ समय पहले तक ये तय नहीं था कि वे टीम में खेलेंगे भी या नहीं लेकिन अब वे भारतीय मिडिल ऑर्डर की रीढ़ बन गए हैं.
भारतीय टीम के लिए ये अच्छी ख़बर है क्योंकि रोहित, शुभमन और विराट की टॉप हेवी शुरुआती क्रम के बाद भारतीय बैटिंग ऑर्डर थोड़ी कमज़ोर पड़ जाती थी जिस मोर्चे को अब राहुल ने अच्छी तरह से संभाल लिया है.
शानदार कीपिंग
केएल राहुल न सिर्फ़ बल्ले से योगदान दे रहे हैं बल्कि उन्होंने विकेटकीपर की अहम भूमिका भी बखूबी निभाई है.
अबतक के चार मैचों में उन्होंने 5 कैच लपके हैं, जिसमें बांग्लादेश के ख़िलाफ़ दो शानदार कैच भी शामिल हैं.
मोहम्मद सिराज को मिली दोनों सफलता के पीछे राहुल के कैच का हाथ था.
बांग्लादेशी बल्लेबाज़ मिराज के ग्लव्स को छूकर गेंद राहुल के बाईं ओर निकली. गेंद काफी दूर थी लेकिन राहुल ने शाददार डाइव लगाकर कैच पकड़ लिया, इसे देखकर कमेंटेटर के मुंह से निकला, “क्या कमाल का कैच था.”
इसके बाद नासुम अहमद का कैच भी राहुल ने लपका और बता दिया कि इस वर्ल्ड कप में वो किसी से कमतर कीपिंग नहीं कर रहे हैं.
साथ ही बोनस ये है कि राहुल के कीपिंग करने से भारतीय बल्लेबाज़ी को अतिरिक्त मज़बूती मिलती है.
ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अच्छी कप्तानी और जीत
राहुल ने अपने फॉर्म में लौटने के संकेत वर्ल्ड कप की तैयारी में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेली गई सिरीज़ में ही दे दिए थे.
उस सिरीज़ के पहले दो मैचों में राहुल ने कप्तानी की थी और दोनों ही मैच भारत जीत गया था.
राहुल ने मैच में जिस तरह गेंदबाज़ी में परिवर्तन किए उससे उनकी कप्तानी की भी खूब तारीफ़ की गई.
मुश्किल स्थिति में पिच पर उतरने के बाद राहुल ने 58 रनों की कप्तानी पारी खेली थी और भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेटों से हरा दिया.
दूसरे मैच में भी राहुल ने अर्धशतक लगाया था और ये मैच भारत 99 रनों से जीत गया था.
केएल राहुल के लिए ये रन शतक से कम नहीं थे क्योंकि वो लंबे समय के बाद चोट से वापसी कर रहे थे और अंतिम ग्यारह में उनकी जगह बनेगी भी या नहीं इस पर सवाल उठने लगे थे.
वापसी की चुनौती
केएल राहुल के लिए वर्ल्ड कप से पहले का का सफ़र बेहद चुनौती-पूर्ण रहा. लगभग एक साल से वो टीम से अंदर बाहर हो रहे थे और उनके बैटिंग की पुरानी धार खो गई जैसी नज़र आ रही थी.
टेस्ट मैचों में उनसे ओपनिंग की जगह शुभमन गिल ने छीन ली और वनडे में भी शुभमन का फॉर्म इतना तगड़ा रहा कि वहां से भी राहुल ने अपनी जगह खो दी.
इनके साथ साथ उन्हें बार बार चोट और सर्जरी से भी जूझना पड़ रहा था.
आईपीएल 2023 में भी उनकी बैटिंग पर सवाल उठाए जाने लगे थे. आईपीएल के एक मैच के दौरान पूर्व टेस्ट क्रिकेटर आरपी सिंह ने कहा कि राहुल बेहद दबाव में खेल रहे हैं और ऐसी बैटिंग तो वो करते नहीं जैसा इस सीज़न देखने को मिल रहा है. लेकिन राहुल ने उम्मीद न छोड़ी और एनसीए में भारतीय फिटनेस के कोच के साथ जमकर मेहनत की.
उन्होंने अपनी बैटिंग प्रैक्टिस में कोई कमी नहीं छोड़ी और मानसिक तौर पर भी मज़बूत होने की कोशिश की.
वर्ल्ड कप से पहले ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सिरीज़ में सबसे बड़ी नज़र राहुल के फिटनेस और फॉर्म पर ही थी और इसमें राहुल ने निराश नहीं किया.
इसी साल अगस्त में एक इंटरव्यू के दौरान युवराज सिंह ने कहा था कि इस वर्ल्ड कप में भारतीय मिडिल ऑर्डर पर बहुत ज़्यादा दबाव रहेगा और इस वजह से वो बिखर भी सकती है. लेकिन तब तक केएल राहुल 2.0 का आगमन नहीं हुआ था.
चोट के बाद ये राहुल के नए जन्म जैसा है… और न सिर्फ़ मिडिल ऑर्डर बल्कि पूरी भारतीय बैटिंग का भार संभालने के लिए अब केएल राहुल तैयार दिख रहे हैं.
केएल राहुल की आंखों में रनों की भूख दोबारा दिखने लगी है और उनका आत्मविश्वास भी नई ऊंचाइयों पर है. भारतीय टीम के लिए ये अच्छी ख़बर है.