‘फूड टेररिज़्म’ और असहिष्णुता : गुजरातियों की तानाशाही के खिलाफ बढ़ रहा है मुंबई वालों का गुस्सा


वे कहते हैं कि मुलुंड हाउसिंग घटना के अगले दिन एक मराठी लड़के की इसलिए पिटाई की गई कि उत्तरी उपनगर की एक हाउसिंग सोसाइटी में प्रवेश करते समय उसने वहां रहने वालों की इच्छा के अनुसार ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने से इनकार कर दिया था।

युवा मराठा सोशल मीडिया पर ‘शेठजी और भट्टजी’- व्यापारियों, पुजारियों, ब्राह्मणों और गुजरातियों- के खिलाफ भड़ास निकाल रहे हैं और उन्हें मुंबई और महाराष्ट्र से बाहर निकालने का आह्वान कर रहे हैं! यहां तक कि को-ऑपरेटिव कानून विशेषज्ञ भी इसमें शामिल हो गए हैं। उनका कहना है कि महाराष्ट्र के उपनियम जाति, समुदाय या खाद्य प्राथमिकताओं के आधार पर आवास में भेदभाव की इजाजत नहीं देते।

विधानसभा में मुंब्रा के मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अवहाद ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘जब मुसलमानों को इसी आधार पर सोसाइटियों में रहने नहीं दिया जाता था तो हम चुप थे। अब जब हम खुद उसी हालात का सामना कर रहे हैं, तो हम उनकी तकलीफ को महसूस कर सकते हैं। हम इस तरह के भेदभाव को नहीं बढ़ने देंगे।’


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