‘कर्नल’ के 2 फैसले, जिसने भारत को दिए दो खास खिलाड़ी, एक बना सबसे बड़ा कप्तान


हाइलाइट्स

दिलीप वेंगसरकर का भारतीय क्रिकेट का इतिहास बदलने वाले दो फैसलों में बड़ी भूमिका थी
सचिन तेंदुलकर के रणजी ट्रॉफी डेब्यू में वेंगसरकर का बड़ा रोल था

नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी का कितना बड़ा योगदान है, इसे बताने की जरूरत नहीं. एक ने बल्लेबाजी के शिखर को छूआ तो दूसरा कप्तानी में शीर्ष पर पहुंचा. धोनी की अगुआई में ही भारत ने टी20, वनडे वर्ल्ड कप के अलावा चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी. इन दोनों खिलाड़ियों के क्रिकेट करियर को नई दिशा देने में पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर का बड़ा हाथ था. वेंगसरकर ही वही शख्स थे, जिनकी भारतीय क्रिकेट के 2 इतिहास बदलने वाले फैसलों में बड़ी भूमिका थी.

इसमें से एक फैसला था सचिन तेंदुलकर का मुंबई की रणजी टीम में चुना जाना और दूसरा 2007 के टी20 वर्ल्ड कप के लिए महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाना. दोनों ही फैसलों में दिलीप वेंगसरकर का बड़ा रोल था. वेंगसरकर के कहने पर ही 1988 में तेंदुलकर को मुंबई की रणजी टीम में शामिल किया गया था. मंगलवार को बैंगलुरू में ‘द लॉर्ड्स ऑफ वानखेड़े’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर, वेंगसरकर ने इन दोनों घटनाओं को याद किया.

वेंगसकर ने की थी तेंदुलकर की सिफारिश
दिलीप वेंगसरकर ने कहा, “मैं अपने 100वें टेस्ट से पहले पारसी जिमखाना में टाइम्स शील्ड का एक मैच खेल रहा था और दिवंगत वासु परांजपे ने जोर देकर कहा कि मैं हैरिस शील्ड टूर्नामेंट फाइनल में खेल रहे 14 साल के लड़के सचिन की बैटिंग देखूं. मैं टी ब्रेक के दौरान गया और सचिन की बल्लेबाजी देखी. उन्होंने उस मैच में 300 रन बनाए थे.

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14 साल में रणजी ट्रॉफी टीम में चुने गए थे सचिन
वेंगसकर ने आगे बताया, “तब वासु सर ने जोर देकर कहा कि सचिन को टीम इंडिया के नेट सेशन में लाना चाहिए. इस पर मैंने कहा कि अभी वो बहुत छोटा है लेकिन सचिन नेट्स पर आए और कपिल देव, अरशद अयूब जैसे गेंदबाजों के खिलाफ आत्मविश्वास से बल्लेबाजी की. उसी दिन रणजी ट्रॉफी के लिए मुंबई की टीम चुनी जा रही थी और मैंने सचिन को चुनने के लिए कहा था. तब मैंने कहा था कि सचिन को भले ही प्लेइंग-11 में शामिल नहीं किया जाए लेकिन उन्हें तैयार करने के इरादे से तो टीम में रखा ही जा सकता है. उन्होंने गुजरात के खिलाफ डेब्यू मैच में शतक जड़ा. फिर दलीप ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी में शतक. इसके बाद 1989 में वो पाकिस्तान गए और इसके बाद जो हुआ, वो इतिहास है.”

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धोनी को कैसे मिली कप्तानी?
जब 2007 में महेंद्र सिंह धोनी टी20 विश्व कप के लिए भारत के कप्तान बने थे, तब दिलीप वेंगसकर ही सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन थे. उन्हें कप्तान बनाने के फैसले को याद करते हुए वेंगसरकर ने कहा कि वह बहुत आक्रामक और बेहद सकारात्मक सोच वाले थे और हर कोई उन्हें कप्तान बनाने को लेकर फौरन सहमत हो गया था जबकि उन्होंने अपने स्टेट या ईस्ट जोन की टीम की भी कप्तानी नहीं की थी. इसके बावजूद हमने उन्हें कप्तान बनाया था.

Tags: Dilip Vengsarkar, Ms dhoni, Sachin tendulkar


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