गर्व का पल… जब कोटला से शुरू हुआ क्रिकेट मैचों का सीधा प्रसारण


नई दिल्ली: वो तारीख थी 20 दिसंबर, 1966 जब फिरोजशाह कोटला मैदान में वेस्ट इंडीज और बोर्ड प्रेसिडेंट इलेविन के बीच चार दिवसीय मैच शुरू हुआ। वेस्ट इंडीज टीम की कप्तानी कर रहे थे महान गैरी सोबर्स। उस दिन भारत की क्रिकेट एक नए युग में प्रवेश कर रही थी। दरअसल उस मैच का दूरदर्शन से पहली बार सीधा प्रसारण होने जा रहा था। तब तक आकाशवाणी का हिस्सा ही था दूरदर्शन। मशहूर क्रिकेट कमेंटेटर डॉ. नरोत्तम पुरी ने हाल ही में बाजार में आई वेंकट सुंदरम द्वारा संपादित किताब Indian Cricket- Then and Now में भारत में क्रिकेट कमेंट्री के इतिहास और वर्तमान पर लिखे अपने शानदार निबंध में बताया कि वेस्ट इंडीज और बोर्ड प्रेसिडेंट इलेवन के बीच खेले गए उस मैच की कमेंट्री जोगा राव और देवराज पुरी ने की थी

क्यों गैरी सोबर्स डीयू गए थे

क्यों गैरी सोबर्स डीयू गए थे

चूंकि बात गैरी सोबर्स की शुरू हो चुकी है तो बता दें कि वे 1958 में भी वेस्ट इंडीज टीम के साथ दिल्ली खेलने आए थे। वे तब दिल्ली यूनिवर्सिटी भी गए थे। मशहूर कमेंटेटर रवि चतुर्वेदी ने बताया कि वेस्ट इंडीज की टीम 1958 में गैरी सोबर्स की कप्तानी में भारत आई थी। उस दौरान जब उनका दिल्ली में मैच चल रहा था तब ही डीयू का इंटर कॉलेज का फाइनल मैच सेंट स्टीफंस कॉलेज और हिंदू कॉलेज के दरम्यान चल रहा था। तब वेस्ट इंडीज की टीम विश्राम वाले दिन उस मैच को कुछ देर के लिए देखने के लिए गई थी। रवि चतुर्वेदी को डीयू में जाकर मैच देखने की बात खुद सोबर्स ने कुछ साल पहले बताई थी। वेस्ट इंडीज की उस टीम में सोबर्स के अलावा रफ्तार के सौदागर वेस हॉल भी थे। डीयू में इंटर कॉलेज क्रिकेट चैंपियनशिप के फाइनल मैच को देखने के लिए भारी भीड़ रहा करती थी।

रवि चतुर्वेदी लोदी रोड से कोटला

रवि चतुर्वेदी लोदी रोड से कोटला

महान बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग ने एक बार कहा था कि वे बचपन में रवि चतुर्वेदी की कमेंट्री को सुनकर ही क्रिकेट के संसार से जुड़े थे। रवि चतुर्वेदी ने फिरोजशाह कोटला से ही अपने कमेंटेटर के करियर का श्रीगणेश किया था। उन्होंने पहली बार 7 फरवरी, 1964 को भारत- इंग्लैंड के बीच कोटला में खेले गए टेस्ट मैच की कमेंट्री की थी। वे तब लोदी रोड के एक सरकारी फ्लैट में रहते थे। वहां से थ्री वीलर पर सुबह कोटला पहुंचे थे। उसी टेस्ट मैच में राजस्थान के हनुमंत सिंह ने अपना पहला टेस्ट खेला था। उन दिनों को याद करते हुए रवि चतुर्वेदी कहते हैं कि तब भी क्रिकेट का क्रेज तो देश में था। पर तब दर्शक मैदान में झंडे या बैनर लेकर नहीं आते थे। उन्होंने आकाशवाणी से 100 से अधिक टेस्ट मैचों का आंखों-देखा हाल सुनाया और क्रिकेट पर 20 से अधिक किताबें लिखीं।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *