Cricket world cup 2023: टीम इंडिया के धूम धड़ाके के बीच जान लें पाकिस्तान की 7 गलतियां, इसी वजह से गर्दिंश में है बाबर आजम की टीम


नई दिल्ली: आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्‍वकप ( ICC ODI Cricket World Cup 2023) में अब तक जितने भी उलटफेर हुए उसमें उसमें सबसे ज्यादा चर्चा अफगानिस्तान के हाथों पाकिस्तान टीम की बुरी तरह हार है। अफगानिस्‍तान ने पाकिस्‍तान के 7 विकेट पर 282 रन के जवाब में 49 ओवर में दो विकेट पर 286 रन बनाकर एक ओवर शेष रहते आठ विकेट से मैच जीत लिया। अफगानिस्तान जैसी छोटी टीम से पाकिस्तान की इस अनचाही हार की हर तरफ चर्चा हो रही है। चर्चा होना भी लाजिमी है। इस बार क्रिकेट विश्वकप एशियाई पिच पर हो रही है। सीरीज शुरू होने से पहले पाकिस्तान के बॉलिंग अटैक को बेस्ट कैटेगरी में माना जा रहा था। लेकिन जब अफगानिस्तान जैसी नई नवेली टीम के टॉप चार बल्लेबाजों में तीन ने पचासा जड़ा और चौथे बैट्समैन का स्कोर भी नॉटआउट फिफ्टी के करीब रहा। पाकिस्तान टीम की हार पर ना केवल फैंस बल्कि दुनिया भर के तमाम पूर्व क्रिकेटर निगेटिव फीडबैक दे रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के तमाम एक्स प्लेयर भी मौजूदा पाक टीम को खूब खरी खोटी सुना रहे हैं। यह अलग बात है कि उनके दौर में भी पाक टीम कई दफा इस तरह की बुरी हार देख चुकी है। यहां हम पाकिस्तान क्रिकेट के उन पहलुओं पर आपका ध्यान दिलाने की कोशिश करेंगे, जिसकी वजह से उनकी टीम को विश्व कप जैसे प्रतियोगिता में इस तरह की हार उठानी पड़ती है।

टीम स्ट्रेटजी में क्या कर सकते हैं बदलाव बाबर आजम

1. विश्व कप की टॉप टीम भारत की बात करें तो उसके दोनों ओपनर अटैकिंग क्रिकेट खेल रहे हैं। रोहित शर्मा, शुभमन गिल और शुरुआती दो मैच में ईशान किशन तीनों क्रिज पर आते ही विरोधी टीम के स्ट्राइक बॉलर को टारगेट करते दिखे हैं। जब स्ट्राइक बॉलरों को छक्के और चौके लगते हैं तो विरोधी टीम के बॉलिंग अटैक का डिफेंसिव होना लाजिमी होता है, जिसका सीधा फायदा बैटिंग करने वाली टीम के मिडिल ऑर्डर को मिलता है। वहीं पाकिस्तान के ओपनर अब्दुल्ला शफीक और इमाम उल हक अफगानिस्तान जैसी टीमों के खिलाफ भी डॉट बॉल खेलते दिखे। ऐसे में अफगान टीम को पाक के खिलाफ स्ट्रैटजी लागू करने का पूरा मौका मिला। अक्सर क्रिकेट में देखने को मिला है कि जब बैटसमैन कुछ अच्छी बॉल पर भी अटैक करते हैं तो बॉलर का मनोबल टूट जाता है और वह प्रयोग करने के बहाने कई गलतियां कर जाता है।

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2. बाबर आजम अपनी कप्तानी स्ट्रैटजी में चेंज कर सकते हैं। पिछले चार साल में बाबर की कप्तानी पर नजर डालें तो वह प्रेशर वाले मैच में खास प्रयोग नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए बैटसमैन के पार्टनरशिप को ब्रेक करने के लिए वह क्लोजिंग फिल्डर नहीं लगाते। बॉलर के हिसाब से वह फिल्डर को भी ज्यादा चेंज नहीं करते दिखते हैं।

3. क्रिकेट में जब बैट्समैन क्रीज पर पैर जमा लेता है तो आमतौर पर कप्तान और बॉलर मिलकर यही स्ट्रैटजी बनाते हैं कि उसे सिंगल डबल नहीं लेने देना है ताकि वह लंबे शॉट्स लगाने को मजबूर हो, जिससे वह गलती करे। बाबर की कप्तानी में हाल के दो मैचों ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान वाला मैच देखें तो बाबर ने फिल्डिंग में कोई ऐसा बदलाव नहीं किया जिससे सिंगल्स रोके जा सकें। यही वजह है कि विरोधी टीम आसानी से अपने रन रेट को मेंटन रखा और उनपर कोई प्रेशर नहीं बन पाया।
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4. बॉलिंग अटैक लगाने में भी बाबर खास एक्सपेरिमेंट नहीं कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर अफगानिस्तान वाले मैच की बात करें तो आखिरी के पांच ओवर बचे थे, जिसमें 2 ओवर शाहीन अफरीदी के, 2 ओवर हारिस राऊफ के, एक ओवर हसन अली के बचे थे, लेकिन बाबर ने बॉलिंग के मोर्चे पर स्पिनर उसामा मीर को लगाया गया। उसी तरह विश्व कप में हारिस रऊफ को जब भी पावर प्ले के ओवर दिए जा रहे हैं तो वह इफेक्टिव नहीं दिख रहे हैं। उनके पहले ओवर में ही 12 से ज्यादा रन जा रहे हैं। इसके बाद भी उनके बॉलिंग नंबर में चेंज नहीं किया जा रहा है। इससे साफ दिख रहा है कि हारिस रऊफ का कान्फिडेंस डगमगाया हुआ है।
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5. पाकिस्तान टीम की फिल्डिंग में भी काफी लूप होल दिख रहे हैं। ऐसे माना जाता है कि मैदान पर कैप्टन अपने प्लेयर को मोटिवेट करे। जैसा कि न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत के मैच में देखने को मिला। रविंद्र जडेजा जैसे फिल्डर से कैच छूटने पर रोहित ने तत्काल मैदान पर ही साथी खिलाड़ियों से कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। हम पिछला चार मैच जीते हैं, इसलिए प्रयास जारी रखें। वहीं पाकिस्तानी प्लयेर्स से जब फिल्डिंग में गलतियां होती दिख रही हैं, कैच छूट रहे हैं, फिर भी कप्तान बाबर आजम एक लीडर के तौर पर कुछ करते नहीं दिखाई दे रहे हैं।

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6. रसातल में है पाक का डोमेस्टिक क्रिकेट:

इंटरनेशनल क्रिकेट में सक्सेस रेट कहीं ना कहीं डोमेस्टिक टूर्नामेंट के लेवल पर निर्भर करता है। आज जब हम भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड जैसी क्रिकेट टीमों के शानदार खेल की बात करते हैं तो कहीं ना कहीं इसका श्रेय इन देशों के घरेलू क्रिकेट को जाता है। इन तमाम देशों ने अपने यहां घरेलू क्रिकेट का ऐसा लेवल तय कर रखा है जिसमें यंग क्रिकेटरों की घिसाई होती है। घरेलू क्रिकेट में अच्छा करने के बाद ही उन्हें लीग टूर्नामेंट या इंटरनेशनल क्रिकेट में एंट्री दी जाती है। जबकि पाकिस्तान का घरेलू क्रिकेट बेहद खराब हालात में है। यंग प्लयेर के पास संसाधनों की भारी कमी है, जिसके चलते उन्हें इंटरनेशनल स्तर की ट्रेनिंग नहीं मिल पाती है। ऐसे में मॉडर्न पाकस्तानी क्रिकेटरों के पास दूसरा विकल्प बचता है इंटरनेशनल लीग टूर्नामेंट। लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड यहां भी पिछले कुछ समय से अड़ंगा लगा रहा है। कई यंग क्रिकेटर आरोप लगाते रहे हैं कि पाक क्रिकेट बोर्ड उन्हें घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट के नाम पर इंटरनेशनल लीग में जाने से रोकते हैं। क्रिकेटर कई बार लीग टूर्नामेंट को कुर्बान भी कर देते हैं, लेकिन उन्हें घरेलू टूर्नामेंट में उन्हें ना तो उस लेवल का संसाधन मिलता है, ना तो पेमेंट होती है और ना ही उस लेवल के प्लेयर मिलते हैं, कि जिनसे मुकाबला कर वह इंटरनेशनल लेवल के लिए तैयार हो सकें। ऐसे में प्लेयर के सामने स्पष्टता नहीं होती है कि वह क्या करे। उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं कि हाल ही में घरेलू क्रिकेट से दूरी बनाकर कैरेबियन प्रीमियर लीग (CPL) में लंबा समय बिताकर लौटे सईम अयूब के खेल में कितना सुधार हुआ है।
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7. बेंच स्ट्रेंथ की मजबूती पर ध्यान दे पाकिस्तान

टीम इंडिया, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों की बात करें तो इनका बेंच स्ट्रेंथ काफी अच्छा है। इन तमाम टीमों ने कुछ प्लेयर टेस्ट, वनडे और टी20 के हिसाब से बांट रखे हैं। इससे इनकी टीमें हमेशा रिफ्रेश रहती हैं। इसके अलावा इनके पास रिजर्व में ऐसे प्लेयर हैं जिन्हें किसी भी वक्त मैदान पर उतारकर उनका शानदार परफॉर्मेंस देखा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर टीम इंडिया में शुरुआती चार मैच नहीं खेलने वाले मोहम्मद शमी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में पांच विकेट लेकर सबको चौंकाया। उसी तरह आर अश्विन और श्रेयस अय्यर ने भी अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा। वहीं पाकिस्तान टीम पर नजर डालें तो उनके ज्यादातर प्लेयर क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट की टीम में होते हैं। ज्यादातर प्लयेर में अनुभव की कमी होने के चलते अचानक से टी20 से वनडे के फॉर्मेट में ढलने में दिक्कतें साफ तौर से दिख रही है।

नोट: लेखक के निजी विचार हैं, यह एक बतौर क्रिकेट दर्शक के ऑब्जर्वेशन के तौर पर लिखे गए हैं।


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