नई दिल्ली: भारत में क्रिकेट का खुमार किसी से छिपा नहीं है। गली-गली में आपको लोग क्रिकेट खेलते दिख जाएंगे। क्रिकेट न केवल भारत का सबसे पॉपुलर गेम बन गया है, बल्कि सबसे महंगा खेल भी है। क्रिकेट टूर्नामेंट के टेलीकास्ट के लिए करोड़ों की बोलियां लगती हैं। वहीं विज्ञापन के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है। क्रिकेट का सीजन शुरू होते ही खेल प्रेमियों के बीच फैंटेसी गेम्स का खुमार छा जाता है। जब बात स्पोर्ट्स फैंटेसी गेम्स की होती है तो दिमाग में पहला नाम Dream 11 का नाम आता है। सबसे पॉपुलर फैंटेसी गेम्स ड्रीम 11 भले ही आज करोड़ों की कंपनी बन चुकी हो, लेकिन एक वक्त वो भी था जब कंपनी को 150 से अधिक बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। आज कहानी उन दो दोस्तों की, जिन्होंने बार-बार फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी और आखिरकार 64000 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी।
कैसे हुई शुरुआत
ड्रीम 11 के पीछे दो दोस्तों का हाथ है। हर्ष जैन ने अपने दोस्त भावित सेठ के साथ मिलकर ड्रीम 11 की शुरुआत की। हर्ष को लंदन में पढ़ाई के दौरान फैंटेसी स्पोर्ट्स का चस्का लगा। पढ़ाई खत्म कर जब वो भारत लौटे तो उन्हें हैरानी हुई कि क्रिकेट जैसे लोकप्रिय गेम होने के बावजूद यहां कोई फैंटेसी गेम्स नहीं है। उन्होंने ये बात अपने बचपन के दोस्त भावित के सामने रखी और फिर दोनों ने मिलकर साल 2008 में ड्रीम 11 की नींव रखी। शुरुआती दौर में इसे सोशल मीडिया की तरह लॉन्च किया गया, जहां ऐप पर आने वाले यूजर्स को पैसे नहीं देने पड़ते थे।
150 बार हुए रिजेक्ट
ऑनलाइन बेटिंग ऐप ड्रीम 11 की शुरुआत तो हो गई, लेकिन फंड नहीं मिल रहे थे। हर्ष कंपनी में डिजाइन, टेक, प्रोडक्ट और मार्केटिंग का काम देखते थे तो भावित ऑपरेशन संभालते थे। दोनों ने काफी हाथ-पैर मारे, लेकिन फंड नहीं मिल पा रहा था। 2 साल में उन्होंने करीब 150 से ज्यादा इंवेस्टर्स से संपर्क किया, लेकिन उन्हें ये आइडिया पसंद नहीं आता। वेंचर कैपिटलिस्ट ने उनके आइडिया को रिजेक्ट कर दिया। भले ही फंड नहीं मिल रहे थे, लेकिन ऐप पर यूजर्स की संख्या बढ़ती जा रही थी। साल 2014 में ड्रीम 11 के यूजर्स की संख्या 10 लाख के पार पहुंच गई। साल 2018 में ये 4.5 करोड़ को पार कर गई। साल 2019 आते-आते उनके यूजर्स 20 करोड़ के पार हो गए। कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर को पार कर गई। कंपनी को यूनिकॉर्न का दर्जा मिल गया। सफलता के साथ कंपनी को फंडिंग भी मिलने लगी। कंपनी ने साल 2014 में करीब 9 राउंड में 1.62 अरब डॉलर के फंड जुटाए।
64000 करोड़ की कंपनी
तमाम मुश्किलों और असफलताओं के बाद हर्ष और भावित की कंपनी को बड़ी सफलता उस वक्त मिली, जब उन्हें साल 2020 आईपीएल की स्पांसरशिप राइट मिले। इसके बाद से कंपनी का नाम बच्चे-बच्चे के जुंबा पर चढ़ गया। भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी की स्पांसरशिप भी ड्रीम 11 के पास ही है। आज कंपनी की मार्केट वैल्यू करीब 64 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गई। कंपनी लगातार नई कामयाबी हासिल कर रही है। हर्ष और भावित की कहानी जीवन में असफलता के बाद भी हिम्मत न हारने की सीख देती है।