खाद्य तेलों (Edible Oils) की वजह से इस दीपावली पर खाने-पीने की वस्तुओं का भाव नहीं बढ़ेगा। उपभोक्ताओं को इसका लाभ अवश्य मिलेगा। खाद्य तेल की पर्याप्त मात्रा बाजार में उपलब्ध है। खाद्य तेलों की अच्छी पैदावार और उनकी कम कीमतों के कारण देश में उनकी कीमतें कम हुई हैं।
प्राइस रीजनेबल बने हुए हैं
जैसा कि सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (COOIT) के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने बताया, खाद्य तेलों की कीमतें इस बार रीजनेबल हैं। यह किसी भी तरह की कम कीमतों पर नहीं आया है। ग्राहकों को फेस्टिव सीजन में तेल लेने में निश्चिंत रहना चाहिए। दिवाली जैसे उत्सवों पर सोयाबीन और पामोलीन तेल की मांग बढ़ती है। नमकीन बनाने में खाद्य तेल का सर्वाधिक उपयोग होता है। तमाम बड़ी कंपनियों से लेकर हलवाइयों ने दीपावली को लेकर तैयार की जाने वाली नमकीन के लिए होलसेल प्राइस में खाद्य तेल खरीद लिए हैं। अब उपभोक्ताओं द्वारा बनाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के लिए खाद्य तेल रिटेल में बिक रहा है। दीपावली पर सरसों का तेल भी अधिक खपत होता है।
25 फीसदी बढ़ती है मांग
कुल मिलाकर, पर्वों में खाद्य तेल की मांग सामान्य दिनों से 25 प्रतिशत अधिक होती है। तेल के भाव में इस वर्ष कोई तेजी नहीं हुई है। बकौल नागपाल, भावना आने वाले महीनों में भी किफायती रहेगी। सोयाबीन की पैदावार इस बार अच्छी रही। अब सरसों की बुआई होने लगी है। पिछले वर्ष देश में 112 लाख टन सरसों की खेती हुई थी। रकबा अगले वर्ष 5 से 10 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
तेल की कीमत क्या है?
दिल्ली में खाद्य तेलों का होलसेल प्राइस प्रति किलो रुपये है
सरसों — 105 से 106
पामोलीन — 85 से 90
सोयाबीन — 90 से 95
मूंगफली — 140 से 145
कॉटन शीड्स — 90 से 95
राइस ब्रान — 90 से 95