मोहाली। बाबा बंदा सिंह बहादुर अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी) फेज-6 बनने के बाद इसके अंदर काफी समय तक बसें नहीं गईं। वहीं, अब कुछ बसें जा रही हैं लेकिन ज्यादातर बसें अभी भी सवारियां उतार-चढ़ाकर निकल जाती हैं। फेज-6 से हटाए जाने के बाद ऑटो चालकों ने आईएसबीटी के बाहर वेरका के फुटपाथ पर ही अपना अड्डा बना लिया है। देखकर यहीं लगता है कि शायद उनकी बस वालों से सांठगांठ है, तभी वे बस स्टैंड के अंदर न जाकर वहां पर सवारियां उतार रहे हैं। यहां से ऑटो वाले सवारियां ले जाते हैं। बसों के चालकों की ओर से बाहर ही सवारियां उतारे जाने के चलते एक ओर आईएसबीटी अंदर से खाली रहता है तो दूसरी ओर बाहर वाहनों की भीड़ लगी रहती है। इससे सड़क पर ट्रैफिक जाम की समस्या पेश आती है। ऑफिस-स्कूल के समय के दौरान यह समस्या सबसे अक्सर बढ़ जाती है। इससे प्रशासन बेखबर है। वेरका मिल्क प्लांट के पास खड़े ऑटो चालकों ने बताया कि पहले फेज-6 स्थित गुरुद्वारा के सामने बसें रुकती थी, इससे वहां ट्रैफिक जाम लगता था इसलिए वहां बसों के रुकने पर पाबंदी लगा दी गई। अब अगर को कोई बस वहां रुकती है तो उसका चालान कटता है इसलिए ऑटो चालक भी वहां ज्यादा नहीं रुकते। अब चंडीगढ़ से आने वाली कुछ बसें आईएसबीटी में ही रुकती हैं लेकिन ज्यादातर बसें बाहर से चली जाती है। वहीं, खरड़ की तरफ से आने वाली बसें भी वेरका के बाहर ही सवारियां उतारकर चली जाती हैं। वह तो आईएसबीटी के आसपास भी नहीं जाती। कायदे से इन बसों को वेरका चौक से घूमकर आईएसबीटी में प्रवेश करना होता है, लेकिन कोई इस नियम का पालन नहीं करता। दूसरी तरफ बस स्टैंड के पीछे वाले रास्ते की भी हालत बुरी है। इस सिंगल रोड पर दोनों तरफ का ट्रैफिक रहता है। ऊपर से यह सड़क जगह-जगह से टूटी है और स्टीट लाइट्स तक नहीं है।
कोर्ट में लटक रहा आईएसबीटी का मामला करोड़ों की लागत से यह आईएसबीटी बनकर तैयार हुआ लेकिन ज्यादा वक्त तक चल नहीं पाया। यहां बसें रुकती नहीं थीं और सवारियां भी आने से गुरेज करती थी जिससे सरकार के राजस्व को भी काफी नुकसान हुआ। आईएसबीटी बनने के कारण यहां कई बड़ी कंपनियों ने निवेश किया था। यहां दुकानें किराए पर लीं लेकिन खरीदार न होने कारण उन्हें घाटा झेलना पड़ा। अब इसका अदालत में केस चल रहा है लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। इतना नहीं बस चालकों पर आरोप है कि वे सांठगांठ कर बिना अंदर प्रवेश किए ही पर्ची कटवा लेते हैं और बाहर से ही निकल लेते हैं। वहीं, लोगों का कहना है कि बसें जहां रुकेंगी तो उन्हें भी मजबूरन आना पड़ेगा। अब वेरका के फुटपाथ पर बस का इंतजार करते हुए काफी समय बीत जाता है। यहां बैठने, पानी, शौचालय, केल्टर आदि कोई सुविधा नहीं है। लोगों ने कहा कि प्रशासन को इसका कोई ठोस हल निकालना चाहिए।
कोट
वेरका के सामने न बसें रुकती हैं और न ही वहां ऑटो रुकते है। अगर ऐसा कोई करता है तो चालान काटा जाता है। समय समय पर ऑटो चालकों को जागरूक किया जाता है। उल्लंघन करने पर कार्रवाई भी होती है। रही बात टूटी सड़क की तो निगम-गमाडा के साथ बैठकों में टूटी सड़कों को रिपेयर करने बनवाने, स्ट्रीट लाइट्स लगाने जैसे प्रस्ताव समय पर दिए जाते हैं। -एचएस मान, एसपी (ट्रैफिक), मोहाली