Dehradun News: 2019 में बिकी थी एक ई-कार, अब दून में सालाना बिक्री 300 पार




Iपिछले पांच सालों में राजधानी में इलेक्ट्रिक कार की सालाना बिक्री में 300 गुना इजाफाI

पर्यावरण संरक्षण और बचत के पैमाने पर खरा उतरने के कारण इलेक्ट्रिक कारों ने दूनवासियों का भरोसा जीत लिया है। पांच वर्ष पूर्व तक दून में इलेक्ट्रिक कार बेचना बड़ी चुनौती था। वर्ष 2019 में तो साल भर कवायद के बाद भी एक ही ई-कार बेची जा सकी, लेकिन वर्ष 2019 के बाद दून में ई-कार ने रफ्तार पकड़ी तो ब्रेक नहीं लिया।

पिछले पांच वर्षों में राजधानी में इलेक्ट्रिक कार की सालाना बिक्री में 300 गुना का इजाफा हो गया है। देहरादून में भी प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए ई-वाहनों ने बड़ी उम्मीद जगाई है। आरटीओ प्रवर्तन शैलेश तिवारी के अनुसार एक औसत कार वर्ष भर में करीब चार मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करती है। इस लिहाज से देखा जाए तो देहरादून में कुल ई-कारों से करीब 400 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड का वायुमंडल में उत्सर्जन रोकने में सफलता मिल रही है।

Iलंबे सफर की गारंटी ने जीता भरोसाI

आरटीओ सुनील शर्मा कहते हैं कि अब बाजार में आ रहीं नई ई-कार पहले की ई-कार की अपेक्षा काफी बेहतर हैं। 39.4 किलोवॉट से लेकर 72.6 किलोवाट तक की बैटरी ई-कार में दी जा रही है, इस कारण अब लंबा सफर ई-कार से तय कर सकते हैं। एक बार चार्ज होने पर इलेक्ट्रिक कार 631 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है। वहीं ओबेराय मोटर्स के टीम लीडर आरिफ खान ने बताया कि लांग रेंज मॉडल की ई-कार उपलब्ध हैं। इसमें 40.5 किलोवाट का बैटरी पैक सिंगल चार्ज में 453 किमी की रेंज आसानी से दे रही है। यह किफायती भी पड़ रही है। 144 रुपये में ई-कार से 315 किमी. का सफर तय की सकते हैं।

Iदिमाग तक पहुंचा प्रदूषणI

डॉ. एनएस बिष्ट बताते हैं कि वायु प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक है। इससे याददाश्त काे नुकसान पहुंचता है, जबकि कई मामलों में अल्जाइमर रोग की शुरूआत का कारण भी वायु प्रदूषण से निकलने वाले जहरीले तत्व होते हैं।

Iवायुमंडल में इन खतरनाक तत्वों को जाने से रोकाI

कार के धुएं में कई खतरनाक तत्व शामिल होते हैं। ओजोन खांसी, दम घुटना और फेफड़ों की क्षमता प्रभावित करता है। वहीं धुएं में शामिल सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। नाइट्रोजन ऑक्साइड से फेफड़ों में जलन होती है। कार्बन मोनोऑक्साइड मानव शरीर में मस्तिष्क, हृदय और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक ऑक्सीजन के प्रवाह को अवरुद्ध करता है। सल्फर डाइऑक्साइड छोटे बच्चों और अस्थमा के मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर देता है।


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