लोकल अनाज ओगला और फाफरा मधुमेह के मरीजों के लिए रामबाण
संवाद न्यूज एजेंसी
रिकांगपिओ (किन्नौर)। जनजातीय जिले की रसोई में पकने वाले किन्नौरी व्यंजन औषधिय गुणों से भरपूर होते हैं। इनमें कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं। जिले में पाए जाने वाली स्थानीय फसलें कोदा, जौ, फाफरा, ओगले का आटा, चुल फटिंग, अखरोट, बेमी, चुली का तेल, अंगूरी, चुली, बेमी और अनाज की शराब औषधि का काम करते हैं। किन्नौरी व्यंजन और अनाज बहुत सारी बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। इसी तरह से किन्नौर का ओगला और फाफरा का आटा मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है।
किन्नौर जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में बोर्स मेडिकल क्लिनिक के डॉ. सूर्य बोरस नेगी का कहना है कि जिले में उगने वाले अनाज डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों को दूर करते हैं। यह फूल की भांति और खाने में हल्का होता है और यह ऑर्गेनिक भी होता है। इसी प्रकार से किन्नौर के अनाज ओगला, फाफरा के आटे का दूध के साथ और लोकल घी के साथ सेवन करना बहुत पौष्टिक आहार माना जाता है। प्रसव या किसी व्यक्ति का ऑपरेशन हुआ है तो उन्हें यह खाना अवश्य दिया जाना चाहिए। यह व्यंजन बहुत हल्का और जल्दी पाचनशील माना जाता है। चुल फेंटिंग पूरे शरीर में डेटॉक्सिफिकेशन का काम करता है। यह कॉन्सिपेशन में बहुत बढि़या दवाई का काम करता है। एक तो यह कब्ज को मिटाता है, वहीं पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है। जिस व्यक्ति को बबासीर और कब्ज की समस्या रहती है, उनके लिए रामबाण का काम करती है। डॉ. सूर्य बोरस ने कहा कि किन्नौर के अंगूर, चुली, बेमी और अनाज की शराब बिना किसी मिलावट से निकाली गई है, तो यह बेहतरीन दवा का काम करती है। चुली, बेमी, अखरोट का तेल जोड़ों के दर्द और त्वचा का बीमारी को ठीक करता है। इस तेल का इस्तेमाल आंखों में करने और सेवन करने पर विशेष लाभ मिलता है। सरकार ने किन्नौर के अनाज को मोटे अनाज के कैटगरी में शामिल किया है। इन अनाजों में सॉल्युबल फाइबर के साथ ही कैल्शियम और आयरन की मात्रा अधिक होती है। मोटे अनाज को कुपोषण के खिलाफ लाभकारी माना जाता है। मोटे अनाज का सेवन कई बीमारियों से बचाव करता है। मोटे अनाज का लगातार सेवन करने से वजन कम होने के साथ-साथ शरीर को स्वस्थ रखता है। इतने फायदे होने के कारण डब्ल्यूएचओ और फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन ने साल-2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है।