खाने-पीने के शौकीन लोग तरह-तरह की चीजें ट्राई करते रहते हैं. नए-नए व्यंजन बनाते रहते हैं. लेकिन ज्यादातर व्यंजन का बेस आटा, चावल या सब्जियां ही होती हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि 2050 तक इंसान क्या-क्या खा सकता है? एक्सपर्ट ने जिन चीजों के नाम लिए हैं, उनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इंसान आटा-चावल ही नहीं, कई ऐसी चीजें खाते नजर आएं, जिन्हें आज देखकर घिन आ जाती है. उनके मुताबिक, यही चीजें भविष्य में खाने का विकल्प होंगी और ज्यादातर लोग इन्हीं चीजों से अपना पेट भरते नजर आएंगे.
फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे पहली चीज होगी बग यानी कीड़े-मकौड़े. इन्हें फ्यूचर फूड कहना गलत नहीं होगा. वैसे तो इंसान प्राचीन काल से कीड़े खा रहे हैं. लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक, जिस तरह जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, झींगुर, टिड्डे और खाने के कीड़े हमारी डायनिंग टेबल पर हमेशा दिखाई देने वाले हैं. इनमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व हैं, इसलिए इनकी डिमांड ज्यादा रहेगी. खास बात, मवेशिया या मुर्गियों को पालने की तुलना में इन पर खर्च भी कम आने वाला है.
एंजेलिना जौली रोज खाती हैं कीड़े
एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में तो कई जगह कीड़े अभी खाए जाते हैं. लेकिन ये तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. हाल ही में यूरोप में प्रोटीन बार की डिमांड में तेजी आई है. यह ऐसे ही एक कीट से बना है. हाल ही में वायरल हुए बीबीसी के एक वीडियो में अभिनेत्री एंजेलिना जोली को झींगुर, बिच्छू को खाते हुए देखा गया था. उन्होंने अपने बच्चों को भी खिलाया था. वह रोज रात को इन्हें खाती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, झींगुर और टिड्डे की 100 ग्राम खुराक में 13 और 21 ग्राम प्रोटीन होता है.
सुपरफूड शैवाल में 12 पोषक तत्व
दूसरा फूड होगा शैवाल. सुनने में यह भले डरावना लगे कि हरे शैवाल प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत हैं. यहां तक कि यह अंडे-मक्खन और अन्य फैट वाली चीजों का विकल्प हो सकते हैं. इनमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी कम होती है. दूसरे-ये शाकाहारी होते हैं. इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी पाया जाता है, जो हृदय की सेहत को अच्छा रखता है. स्पिरुलिना, नीले हरे शैवाल को पहले ही सुपरफूड की मान्यता मिल चुकी है. यह प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी12, आयरन, मैग्नीशियम, बीटा-कैरोटीन, स्वस्थ वसा गामा-लिनोलेनिक एसिड और सभी आठ आवश्यक अमीनो एसिड से भरपूर है. इसकी गोलियां बाजार में उपलब्ध हैं. स्पिरुलिना प्राकृतिक रूप से गर्म तालाबों और ताजे पानी की झीलों में उगता है. नासा के अंतरिक्ष यात्री भी इसे अपने साथ लेकर जाते हैं.
लैब में तैयार मांस खाएंगे लोग
जनसंख्या विस्फोट के कारण मांस की कमी हो जाएगी. इस जरूरत को लैब में बने मीट से पूरा किया जाएगा. इससे 7-45 प्रतिशत कम ऊर्जा और 78-96 प्रतिशत कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होगा. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 20 साल के अंदर हम इसका भारी मात्रा उत्पादन शुरू कर सकते हैं. सिर्फ मांस क्यों, नासा के साइंटिस्ट ने मछली गोल्ड फिश की मांसपेशियों को सीरम में डुबोकर मछली का बुरादा तक बना लिया है. मछली पालन की डिमांड भी खूब रहेगी और यह सब्जियों की तरह उत्पादन किया जाएगा. लोग टैंकों, तालाबों और सिंचाई वाले नालों में इसका उत्पादन करेंगे और उपयोग करेंगे. आप जानकर हैरान होंगे कि पहली बार मांस की तुलना में ज्यादा मछली की खेती हो रही है.
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FIRST PUBLISHED : November 16, 2023, 13:12 IST