लाल ग्रह मंगल अचानक से हरा क्‍यों दिखने लगा, वैज्ञानिकों ने बताई इसके पीछे की वजह


पेरिस: मंगल को लाल ग्रह कहते हैं। इसकी वजह ये है कि मंगल का वातावरण और मिट्टी लाल दिखती है लेकिन इसमें एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। मंगल भले ही लाल ग्रह हो लेकिन इसका वातावरण हरा भी चमकता है। अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल के यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (टीजीओ) का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने पहली बार लाइट स्पेक्ट्रम में मंगल ग्रह के नाइटग्लो में वायुमंडल को हरा चमकते हुए देखा है।

इस इफेक्ट को एयरग्लो (दिन या रात के आधार पर डेग्लो या नाइटग्लो) कहा जाता है। यह पृथ्वी पर भी होता है। यह धरती पर उत्तरी रोशनी (या अरोरा) के साथ कुछ समानताएं साझा करता है। मंगल ग्रह के वातावरण में ऑक्सीजन की हरी चमक का पता लगाने वाले ईएसए के मुताबिक मंगल ग्रह पर देखा गया यह उत्सर्जन, अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल के चारों ओर दिखाई देने वाली रात की चमक के समान है। ईएसए के अनुसार विशेष रूप से नाइटग्लो तब होता है जब दो ऑक्सीजन परमाणु मिलकर एक ऑक्सीजन अणु बनाते हैं। मंगल ग्रह पर यह लगभग 50 किमी की ऊंचाई पर होता है। वहीं अरोरा तब उत्पन्न होता है जब सूर्य से आवेशित कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं।

मंगल पर 40 साल से है एयरग्लो

वैज्ञानिकों को लगता है कि मंगल ग्रह पर करीब 40 सालों से एयरग्लो है, लेकिन पहली बार ये एक दशक पहले ईएसए के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर से महसूस हुआ। इसके बाद 2020 में वैज्ञानिकों ने टीजीओ का उपयोग करके इस घटना को देखा था, लेकिन ये रात के बजाय मंगल ग्रह के दिन के उजाले में देखा गया। अब टीजीओ के माध्यम से रात में ये घटना देखी गई है। जब मंगल का वातावरण हरा दिखा है।

ग्रहविज्ञानी जीन-क्लाउड जेरार्ड ने कहा है कि लाल ग्रह की भविष्य की यात्राओं के लिए ये नए अप्रत्याशित और दिलचस्प है। भविष्य का ईएसए मिशन ग्लोबल इमेजिंग के लिए एक कैमरा ले जा सकता है। माना जा रहा है कि तेज उत्सर्जन की वजह से भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों को कक्षा में या मंगल ग्रह की जमीन से देखा जा सकता है। मंगल ग्रह की रात की रोशनी का अध्ययन टीजीओ मिशन के हिस्से के रूप में जारी रहेगा। वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के वातावरण में होने वाली प्रक्रियाओं के बारे में भी जानकारी देगा। इन उत्सर्जनों की रिमोट सेंसिंग 40 से 80 किमी के बीच मंगल के ऊपरी वायुमंडल की संरचना और गतिशीलता की जांच करने के लिए एक बेहतरीन उपकरण है।


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