परवरिश: बच्चों के साथ खेलें ये खेल, मनोरंजन के साथ बच्चों में शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास होगा


  • Hindi News
  • Madhurima
  • Play These Games With Children, Along With Entertainment There Will Be Physical, Social And Emotional Development In Children.

मेघा शर्मा2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
  • बच्चों को मगन रखने या उनके मन-बहलाव की कुछ गतिविधियां ऐसी हैं, जो दिखने में तो सामान्य लगती हैं, लेकिन इन्हें गंभीरता से लिया जाए तो इनका दूरगामी असर होता है।

तीन-चार साल के बच्चे कच्ची मिट्‌टी की तरह होते हैं। उन्हें जैसे मोड़ा जाए वैसे मुड़ जाते हैं। और उनके माता-पिता या अभिवावक होते हैं उनके कुम्हार जो उन्हें आने वाले जीवन के लिए एक नए स्वरूप में ढालते हैं। तो इससे बेहतर समय और क्या हो सकता है जब उन्हें शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के बारे में खेल-खेल में सिखाया जाए।

शारीरिक विकास संबंधी गतिविधियां

झूला-झुलाना- सुनने में भले ही थोड़ा अटपटा लगे कि झूला झुलाने से क्या हो सकता है। पर ये बच्चे में बैलेंस करने की क्षमता को बेहतर करता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को अधिक तेज़ी से झूला न झुलाएं। वह घबरा भी सकता है। उसे सुरक्षित रखते हुए पकड़कर ही झूला झुलाएं।

डांस करना- बच्चों को सामंजस्य की कला सिखाने के लिए नृत्य बेहतर विकल्प है। इसके ज़रिए बच्चे की मांसपेशियों का विकास होगा। नृत्य के स्टेप्स को करने से बच्चे क्रियाशील भी बनेंगे। ऐसे कौशल लोगों के साथ मेल-जोल और तालमेल बैठाने की कला में भी माहिर बनाते हैं।

सामाजिक विकास संबंधी गतिविधियां

रोलप्ले या एक्टिंग करना- बच्चों को एक्टिंग करने में या फिर नकल करने में बहुत मज़ा आता है। और वे इस उम्र में स्कूल भी जाने लगते हैं तो उनसे स्कूल के दोस्तों की नकल करने को कहें। इससे होगा यह कि बच्चा अपने आस-पास मौजूद लोगों को ग़ौर से देखना और समझना शुरू कर देगा। ये उसके लिए बाक़ी लोगों से जुड़ने में सहायक होगा।

प्रतियोगिता में भाग लेना- स्कूल में किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता में भाग लेने से बच्चा न केवल ज़्यादा से लोगों से बात कर पाएगा बल्कि कई प्रकार की चुनौतियों के लिए तैयार हो पाएगा। इसके लिए ज़रूरी है कि आप उसका साथ दें, जितना हो सके उसे समझें और उसके संसार को उसके अनुसार विस्तार देने की कोशिश करें।

भावनात्मक विकास संबंधी गतिविधियां

कहानी सुनाना- बच्चों को कहानी सुनना बेहद पसंद होता है और ये उनके सामाजिक-भावनात्मक विकास के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि कहानियां बच्चों में भाव और रचनात्मकता पैदा करती हैं। बच्चे को कहानियां सुनाएं और फिर इस बारे में उससे चर्चा भी करें। ऐसा करने से बच्चे में समाानुभूति विकसित होगी। वह ख़ुद की और दूसरों की भावनाओं को बताना भी सीखेगा।

घर के बाहर घुमाना- पार्क या किसी ऐसी जगह उसे घुमाने ले जाएं जहां पर्यावरण या इतिहास से संबंधी चीज़ें/इमारतें मौजूद हों। इससे बच्चा चीज़ों को महसूस करके उनके बारे में जानेगा। जो उसके संसार की तस्वीर को बड़ा करने का काम करेंगे। कोशिश करें कि बच्चे को जानकारी देते समय आप उत्साहित रहें। इससे वह भी आपसे हर प्रश्न उत्साह के साथ ही पूछेगा जो उसे जिज्ञासु बनाने के साथ उसके बौद्धिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।

न भूलें कि वह बच्चा ही है

बच्चे को कोई भी चीज़ सिखाने से पहले इतना याद रखें कि वह अभी संसार को जानने के लिए पहला क़दम रख रहा है। इसलिए उस पर बोझ न बनने न दें कि उसे क्या सीखना और क्या करना है। उसे हर चीज़ प्यार के साथ धीरे-धीरे ही सिखाएं। साथ ही बच्चे के प्रश्नों के जितना हो सके उत्तर देने की कोशिश करें। इससे उसके दिमाग़ में हर चीज़ को जानने की इच्छा और बढ़ेगी। जिस गतिविधि में बच्चा उत्साहित नहीं हो उसे न ही करें तो बेहतर है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *