ICC World Cup 2023 Final: वर्ल्ड कप में इन टेक्नोलॉजी से बरती जाती है पारदर्शिता, दर्शकों का एक्स्पीरियंस करती हैं दोगुना


ICC World Cup 2023 Final: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में शुरु हो चुका है. ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस ने टॉस जीतकर पहले भारत को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया है. दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों की नजर इस समय फाइनल मुकाबले पर टिकी है.  इस मैच को देखने-सुनने के लिए लोग ऑनलाइन स्ट्रीमिंग, टीवी, मोबाइल, वेबसाइट सहित कई माध्यमों पर क्रिकेट कमेंट्री सुन रहे हैं. 

मैच के दौरान क्रिकेट प्रेमियों की नजर खिलाड़ियों के हर एक गतिविधि पर होती है. उनके फील्डिंग करने के अंदाज से लेकर, बॉलिंग और बल्लेबाजों के स्ट्रोक लगाने के अंदाज तक पर. इस लेख में हम उन सभी तकनीकों के बारे में बात करेंगे, जो खेल प्रेमियों के टीवी या किसी अन्य डीजिटल स्क्रीन पर देखे जाने वाले मैच के के अनुभव को और मजेदार बना देते हैं. क्रिकेट मैच के दौरान इन टेक्नोलॉजीक का इस्तेमाल ब्राडकास्टिंग कंपनियां करती हैं.आइये जानते हैं उन टेक्नोलॉजी के बार में…

स्मार्ट बॉल टेक्नोलॉजी- इस साल भारत के मेजबानी में आयोजित होने वाले क्रिकेट के महाकुंभ के मैचों के दौरान आपने देखा होगा कि गेंदबाज के गेंद फेंकने के तुरंत बाद, उसकी वास्तविक गति स्क्रीन पर दिखाई पड़ती है. दरअसल, इसके लिए ब्रॉडकास्टिंग कंपनी इसके लिए “स्मार्ट बॉल टेक्नोलॉजी” का इस्तेमाल करते हैं. इससे गेंदबाजी के दौरान गेंद की वास्तविक गति, स्विंग और उसके सही दिशा का जानकारी मिलती है. इसका इस्तेमाल क्रिकेट टीमें विरोधी टीम के खिलाफ रणनीति बनाने में भी इस्तेमाल करती हैं. इस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमानल पहली बार साल 2019-2022 किया गया.

स्पीड गंस- क्रिकेट मैच के दौरान स्पीड गंस का इस्तेमाल भी टीवी पर मैच देखने के मजे को दोगुना कर देते हैं. इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल गेंदबाज के जरिये फेंकी जाने वील गेंद की वास्तविक गति बताती हैं. जो विकेट कीपर के हाथ में गेंद पहुंचते ही उसकी गति स्क्रीन पर शो होने लगती है.

वर्चुअल रिएलिटी (VR) और ऑग्युमेंटेड रिएलिटी (AR)- वर्चुअल रिएलिटी वर्चुअल रिएलिटी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल क्रिकेट में प्रिव्यू, गेंदबाज का रिव्यू या बल्लेबाज के एक्शन सहित अन्य चीजों के विश्लेषण में इस्तेमाल करते हैं.

स्निको या स्निकोमीटर (Snicko or Snickometer)- ये टेक्नोलॉजी क्रिकेट में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. ये एक विशेष सिस्टम है, जिसे स्टंप्स में या उसके आसपास कई जगहों पर लगाए गए माइक्रोफोन का की आवाज को रिकॉर्ड करते हैं. ये स्ट्रोक खेलते समय बैट और गेंद के संपर्क को दर्शाता है, इससे तीसरे अंपायर को कैच या अन्य फैसलों को देने में मदद मिलती है. 
  
स्पाइडर कैम या बर्ड आई व्यू- बैटसमैन के शॉट्स, गेंदबाजी के गेंद फेंकने के तरीके सहित कई मैदान में होने वाली अन्य गतिविधियों को दिखाने के लिए स्पाइडर कैम और बर्ड आई व्यू का इस्तेमान किया जाता है. स्पाइडर कैम को केबल के सहारे मैदान के सभी कोनों में उसकी पहुंच को सुनिश्चित किया जाता है. जबकि बर्ड आई व्यू कैमरे को स्टंप्स में इनबिल्ड किया जाता है. 

एलईडी स्टंप्स और स्टंप बेल्स- मैदान में स्टंप्स पर गेंद के स्टंप्स के सही संपर्क को देखने के लिए इस टेक्नोलाजी का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए हालिया दिनों में स्टंप्स और उसके ऊपर रखे गए बेल्स में एलईडी लाइट लगाई गई है. ये एलईडी लाइट विकेट के जरिये स्टंपिंग करते समय या थ्रो लगते ही जल उठती हैं. हालांकि ये टेक्नोलॉजी बहुत महंगी है. आज तक में छपी खबर के मुताबिक, बाजार में इसकी कीमत 32 से 41 रुपये है.

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