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सरकारी बाल गृहों में की खराब दशा को लेकर शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Government Children Home Allahabad High Court) ने प्रदेश सरकार को व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए. कहा कि बच्चों के विकास में कोई रुकावट न आने पाए.
प्रयागराज : प्रदेश के सरकारी बाल गृहों की खराब दशा को लेकर हाईकोर्ट की ओर से स्वतः कायम जनहित याचिका की सुनवाई की गई. कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि सरकारी बाल गृहों में खेलकूद, स्वास्थ्य, पर्यावरण व मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा की व्यवस्था की जाए. जिससे बच्चों के सर्वांगीण विकास में किसी प्रकार की रुकावट न आने पाए.
बच्चों के व्यक्तित्व विकास में न आने पाए बाधा : कोर्ट ने कहा कि जब बच्चे बाल गृह में रहने की अवधि पूरी कर बाहर निकले तो उनको किसी प्रकार की झिझक, दबाव या मानसिक परेशानी का सामना न करना पड़े. मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने कहा कि सरकारी बाल गृहों में रहने वाले बच्चों को भी समाज में रहने वाले सामान्य बच्चों की तरह ही शिक्षा व अन्य क्रियाकलापों में शामिल करना जरूरी है, ताकि उनके व्यक्तित्व विकास में किसी प्रकार की बाधा न आने पाए.
बच्चों को सुविधाओं के वंचित नहीं रखा जा सकता है : हाईकोर्ट ने प्रयागराज स्थित कई बाल गृहों के निरीक्षण के बाद यह जनहित याचिका कायम करते हुए प्रदेश सरकार को बाल गृहों में सुधार के लिए कई जरूरी निर्देश दिए हैं, ताकि यहां रहने वाले बच्चों के जीवन स्तर को ऊपर उठाए जा सके. समाज से समायोजन में बच्चों को मदद मिल सके. आमतौर पर बाल गृहों में परिवार से बिछड़े बच्चे रखे जाते हैं जिनके खाने-पीने, पढ़ने , खेलने कूदने आदि की उचित व्यवस्था बाल गृहों में नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि इन मूलभूत आवश्यकताओं से बच्चों को वंचित नहीं रखा जा सकता है. यह प्रदेश सरकार का दायित्व है कि वह बच्चों को हर वह जरूरी सुविधा मुहैया कराए जिसकी आवश्यकता किसी भी सामान्य बच्चे को होती है.