अंबिकापुर के दो दोस्तों की सक्सेस स्टोरी, डेवलप किया फूड चौपाटी का बिजनेस फंडा, कर रहे बंपर कमाई


Success Story देश में पढ़े लिखे युवाओं ने एक नया ट्रेंड बनाया है. जिस प्रोफेशन को पहले लोग छोटा समझते थे, आज उसी काम को कर लोग ऊंचाईयों तक पहुंच रहे हैं. अंबिकापुर के दो दोस्तों ने भी ये कमाल कर दिखाया है. successful business idea

अंबिकापुर के दो दोस्तों की सक्सेस स्टोरी

अंबिकापुर: अनिकेत और अफरोज इनकी उम्र महज 27 साल है. दोनों बचपन के दोस्त हैं और ये दोस्ती आज भी बरकरार है. हर आम युवा की तरह स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद कॉलेज की पढ़ाई की. उसके बाद अपना भविष्य बनाने में लग गए. अनिकेत को प्राइवेट बैंक में नौकरी मिल गई. अफरोज ने सीजीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. अनिकेत की 24X7 की ड्यूटी थी, अफरोज सीजीपीएससी की तैयारी से संतुष्ट नहीं था. जिंदगी इसी तरह चल रही थी. लेकिन उसी दौरान देश दुनिया में कोरोना आया, जिसका असर ये हुआ कि लॉकडाउन लग गया. इसी दौरान दोनों दोस्तों को स्टार्टअप का आइडिया आया. परिवार वालों को बिना बताए दोनों दोस्तों ने इस पर काम करना शुरू कर दिया.

दूध के बिजनेस से शुरू किया स्टार्टअप: दोनों दोस्तों ने अपने बिजनेस की शुरुआत दूध डिलीवरी के काम से शुरू किया. फ्रेश मूव्स नाम से कंपनी बनाई. दूध पैक कर उसकी होम डिलीवरी देने लगे. इसके साथ ही बेकरी प्रोडेक्ट्स भी घर पहुंचाने लगे. लेकिन उसमें इंवेस्टमेंट ज्यादा और इनकम कम थी. लिहाजा अनिकेत और अफरोज ने दूध का बिजनेस बंद कर दिया.

”अफरोज को स्टार्टअप का बहुत शौक था. उसने मुझे अप्रोच किया और दूध का बिजनेस शुरू किया. लेकिन फाइनेंस इश्यू होने के कारण उसे बंद कर दिया.”- अनिकेत सिंह परिहार, दि अर्बन चौपाटी

चाय की खोली दुकान: इसके बाद दोनों ने कम खर्च में बिजनेस चलाने की सोची और अंबिकापुर में चौपाटी में टी स्टॉल खोला. लेकिन इनकी चाय की दुकान दूसरी चाय की दुकान की तरह नहीं थी. अपने टी स्टॉल को इन्होंने एक ब्रांड के रूप में मार्केट में उतारा और दि कुल्हड़ कैफे के नाम से लोगों को खुद चाय बनाकर पिलाई. मार्केट में चाय की दुकान का नया लुक और ट्रेंड लोगों को काफी पसंद आया और देखते ही देखते दि कुल्हड़ कैफे चल पड़ा. चाय की अच्छी बिक्री होने के बाद इन्होंने दि कुल्हड़ कैफे में एक चाय बनाने वाले को रख लिया.

”हमने दि कुल्हड़ कैफे के नाम से चाय बेचना शुरू किया. जिसे मार्केट में काफी पसंद किया जाने लगा. इसके बाद हमने बड़े लेवल पर काम करने की सोची.”- अनिकेत सिंह परिहार, दि अर्बन चौपाटी

स्टार्टअप बढ़ाने के लिए खोली अर्बन चौपाटी, अब अच्छी खासी टीम: अनिकेत और अफरोज यहीं नहीं रुके और अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने की प्लानिंग की. शहर की पुरानी चौपाटी के सामने लीज पर जमीन ली. इस जमीन पर चौपाटी डेवलप की और उसे अर्बन चौपाटी नाम दिया. कुछ ही समय में इस अर्बन चौपाटी ने अच्छा नाम कमा लिया है और इससे जुड़े लोग अच्छी आमदनी भी कर रहे हैं. लगभग 40 लोगों का अर्बन चौपाटी में रोजगार चल रहा है.

”ये सफर लॉकडाउन के समय शुरू किया. दि कुल्हड़ कैफे शुरू करने के दौरान सिर्फ एक को रोजगार दिया. अब 35 से 40 लोगों का स्टाफ है. अच्छा लगता है कि आज हम रोजगार देने वाले बने हैं. बिजनेस करने के लिए पैसों के साथ ही मजबूत हौसलों की जरूरत हैं. आगे और कई लोगों को रोजगार देना चाहते हैं.” – अफरोज खान, दि अर्बन चौपाटी

इस सफल बिजनेस मॉडल के बारे में अन्य स्टाफ भी बात करते हैं और अपनी खुशी जताते हैं

”स्वीटकॉर्न का स्टॉल है इसेअक्टूबर से शुरू किया. ये अच्छा चल रहा है, चौपाटी में दूसरे स्टॉल को देखकर स्वीटकॉर्न का स्टॉल लगाने का आइडिया आया.”- स्वीटकॉर्न स्टॉल स्टाफ, दि अर्बन चौपाटी

युवाओं की फेवरेट जगह बनी अर्बन चौपाटी: आज अर्बन चौपाटी युवाओं की फेवरेट जगह बन गई है. खाने के कई स्टॉल अर्बन चौपाटी में बने हैं. अलग अलग तरह की चाय के साथ बटर स्वीट कॉर्न, मोमोस, मॉकटेल, वड़ा पाव, पाव भाजी, चायनीज, समेत कई खाने पीने की चीजें एक छत के नीचे मिल रही है. आकर्षक लुक और बेहतर बैठने की व्यवस्था के कारण लोग यहां आना पसंद करते हैं. शाम होते ही यहां लड़के लड़कियों के ग्रुप आने लगते हैं और चौपाटी में भीड़ हो जाती है.

”यहां सब कुछ सस्ता और अच्छा मिलता है. मोमोज यहां का फेमस है. चाय भी अलग अलग फ्लेवर की मिलती है. यहां बैठने की अच्छी व्यवस्था है.”- कस्टमर, दि अर्बन चौपाटी

यहां आने वाले लोग इस प्लेस की काफी तारीफ करते हैं. वे इस कॉन्सेप्ट को काफी बढ़िया बताते हैं.

”यहां का इन्वायरनमेंट अच्छा है. पॉकेट फ्रेंडिली है, टेस्ट काफी अच्छा है. शहर के बीच में होने के कारण अर्बन चौपाटी में आना आसान है. पॉजिटिव वाइब्स हैं, इसलिए यहां आना अच्छा लगता है.” –कस्टमर, दि अर्बन चौपाटी

कितनी होती है कमाई: अर्बन चौपाटी में दुकान लगाने वाले लोग करीब 40 से 45 हाजर रुपये महीने की कमाई कर लेते हैं. इस पूरी चौपाटी को मैनेज करने वाले अनिकेत और अफरोज भी महीने का 80 हजार रुपये के करीब बचा लेते हैं. प्रॉफिट तो अच्छा है लेकिन जमीन का किराया व अन्य खर्च काफी अधिक है. जिस कारण प्रॉफिट इतना ही बचता है. इस चौपाटी में फिलहाल 10 स्टाल चालू हैं और जल्दी ही इनकी संख्या 16 होने वाली है.

अनिकेत और अफरोज ने ये सब महज 27 वर्ष की उम्र में कर दिखाया है. जिस उम्र में लोग नौकरी के लिए स्ट्रगल करते हैं, उस उम्र में इन दोनों युवाओं ने कई युवाओं को रोजगार दिया. इनकी सोच है कि आगे भी इस काम को और बढ़ाएं और ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं को अपने पैरों पर खड़े करें.


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