लखनऊ समेत यूपी के तमाम जिलों में आज भी फूड डिपार्टमेंट द्वारा हलाल प्रोडक्ट बैन के चलते रेड हुई. लखनऊ में हुई रेड में फिलहाल कोई हलाल प्रोडक्ट नहीं पाया गया, जो भी प्रोडक्ट पहले से स्टॉक में है दुकानदारों को वह प्रोडक्ट फर्म को वापस करने होंगे. यही एक तरीका है. अगर रेड के दौरान हलाल प्रोडक्ट दुकान में पाए गए तो कारोबारी के खिलाफ केस दर्ज होगा. साथ ही 3 लाख रुपये तक की पेनल्टी भी देनी पड़ सकती है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेशन पर क्या कहा?
राज्य की सरकार ने एक बयान में कहा, ‘उत्तर प्रदेश के भीतर हलाल प्रमाणित दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, खाद्य सामग्रियों और सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, खरीद और बिक्री में लगे किसी व्यक्ति या फर्म के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हलाल प्रमाणीकरण एक समानांतर प्रणाली के रूप में काम कर रहा है और यह खाद्य गुणवत्ता के संबंध में भ्रम पैदा करता है, इस संबंध में सरकारी नियमों का उल्लंघन करता है.’ एफएसडीए आयुक्त अनीता सिंह ने कहा, ‘राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से राज्य में हलाल प्रमाणित उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. केवल निर्यात उत्पादों को इस प्रतिबंध से छूट दी जाएगी.’
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FSSAI ही खाद्य उत्पादों को प्रमाणपत्र जारी कर सकता है
इस मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए अनीता सिंह ने कहा, ‘पहले, हलाल प्रमाणीकरण केवल मांस उत्पादों तक ही सीमित था. लेकिन आज तेल, चीनी, टूथपेस्ट और मसालों जैसे सभी प्रकार के उत्पादों को हलाल प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है.’ राज्य सरकार ने बताया कि भारत में खाद्य उत्पादों के प्रमाणीकरण से संबंधित सभी अधिनियमों को खत्म किया जा चुका है और इसके लिए फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) को एकमात्र आधिकारिक निकाय के रूप में मान्यता दी गई है. एफएसएसएआई को छोड़कर, अन्य कोई भी एजेंसी या निकाय उत्पादों को प्रमाणपत्र जारी नहीं कर सकता है.
हलाल सर्टिफिकेशन क्या है?
हलाल प्रमाणीकरण इस बात की गारंटी है कि उत्पाद इस्लामी कानून के अनुसार तैयार किया गया है और मिलावट रहित है. भारत में, हलाल प्रमाणपत्र जारी करने के लिए किसी संस्था को मान्यता प्राप्त नहीं है, जबकि अरब देशों में एक मजिस्ट्रेट हलाल प्रमाणपत्र जारी करता है. भारत में, सिर्फ FSSAI और ISI जैसी सरकार द्वारा संचालित संस्थाएं ही खाद्य उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए अधिकृत हैं. यूपी सरकार के मुताबिक, अब मिठाई और नमकीन, खाद्य उत्पाद, कोल्ड ड्रिंक, जूस, आइसक्रीम, सौंदर्य प्रसाधन, खाद्यान्न, चिकित्सा उत्पाद और अन्य वस्तुओं को हलाल प्रमाणित जाने लगा है, जिस कारण यह प्रतिबंध लगाना पड़ा है.
हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका
वकील विभोर आनंद ने अप्रैल 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें हलाल उत्पादों और हलाल प्रमाणीकरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पादों का उपयोग करने वाली मात्र 15% आबादी के लिए 85% नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बाजार से अपने सभी हलाल-प्रमाणित उत्पादों को वापस लेने का निर्देश देने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि ‘हलाल’ प्रमाणीकरण पहली बार 1974 में वध किए गए मांस के लिए पेश किया गया था और 1993 तक केवल मांस उत्पादों पर ही लागू था.