हलाल प्रमाणीकरण वाले खाद्य पदार्थेा को ढूंढ़ रहे खाद्य सुरक्षा अधिकारी। संवाद
-बडे़ शहरों के हलाल प्रमाणीकरण का खाद्य पदार्थ मिलने पर दर्ज हुआ है केस
-महराजगंज जिले में खाद्य विभाग की दो टीमें कर रहीं जांच, छह दुकानों पर हुई जांच
संवाद न्यूज एजेंसी
महराजगंज। खाद्य पदार्थों के निर्माण व बिक्री की अनुमति देने की संस्था भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण है। इसके अलावा अन्य कोई संस्था प्रमाणीकरण की अनुमति नहीं देती है। बीते दिनों हलाल प्रमाणीकरण वाले कुछ खाद्य पदार्थ मिलने पर बड़े शहरों में केस दर्ज होने के बाद खाद्य विभाग सतर्क हो गया है। मंगलवार को महराजगंज में भी दो टीमों ने छापा मारा। पहले चरण की जांच में अभी कुछ हाथ नहीं लगा है, लेकिन इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है।
मंगलवार को फूड विभाग की टीम महराजगंज के छह दुकानों पर छापा मार कर हलाल प्रमाणीकरण की जांच की। बड़े प्रतिष्ठानों में छापे से हड़कंप मच गया। पहली टीम में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी सुरेंद्र वर्मा व खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित कुमार पांडेय शामिल रहे। दूसरी टीम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी रंजनी मौर्या व रंजन श्रीवास्तव शामिल हैं। अलग-अलग स्थानों पर टीम छापा डाल रही है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार खाद्य पदार्थों की बिक्री व निर्माण के लिए सिर्फ भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की प्रमाणीकरण कर सकता है। इसके अलावा भारतवर्ष में कोई संस्था प्रमाणीकरण के लिए अधिकृत नहीं है। अगर कोई संस्था किसी खाद्य पदार्थ का प्रमाणीकरण करती है तो वह गैरकानूनी है। इस वजह से लखनऊ समेत अन्य शहरों में हलाल प्रमाणीकरण वाले प्रोडक्ट मिलने पर कार्रवाई हुई है, इसे देखते हुए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त की ओर से पत्र जारी कर जांच के आदेश मिले हैं। निर्देश के क्रम में टीम गठित कर छापा मारा डाला जा रहा है।
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समानांतर व्यवस्था चलने पर टूटी विभाग की नींद
खाद्य उत्पादों, डेरी उत्पाद, चीनी, बेकरी उत्पाद, पिपरमिंट ऑयल, नमकीन रेडी टू ईट सेवरीज व खाद्य तेल आदि के लेबल पर हलाल प्रमाणन का उल्लेख किया जा रहा है। बड़े शहर में उत्पाद मिलने पर विभाग की नींद खुली और आनन फानन में कार्रवाई हुई। अब जिले में अधिकारी इधर उधर खाक छान रहे हैं। खाद्य पदार्थों के मानकों का निर्धारण भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण करती है, जिसके आधार पर खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है। इस प्रकार खाद्य उत्पादों का हलाल प्रमाणन एक समानांतर व्यवस्था है, जो खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता के विषय में भ्रम की स्थिति उत्पन्न करता है, ऐसे में यह अपराध की श्रेणी में आता है।
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जिले में टीमें छापा डाल रही हैं। हलाल प्रमाणीकरण के उत्पाद अभी तक जिले में नहीं मिले हैं। अगर कहीं उत्पाद मिला तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हलाल प्रमाणन युक्त खाद्य उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण एवं विक्रय पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
-बृजेंद्र शर्मा, सहायक आयुक्त द्वितीय, खाद्य सुरक्षा
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बेचने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी
जांच के दौरान किसी उत्पाद पर हलाल लिखा मिला तो उत्पाद तैयार करने वाली कंपनी और बेचने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आयुक्त की ओर से नए शासनादेश से अवगत करा दिया गया है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि औषधियों, चिकित्सा में प्रयुक्त अन्य सामग्री व सौंदर्य प्रसाधन की लेबलिंग संगत नियमों में निर्धारित प्रावधान के अनुसार न करने, लेबल पर गलत व भ्रामक तथ्य छापने की दशा में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, वर्ष 1940 की धारा-17 और धारा-17 सी के तहत मिथ्याछाप की श्रेणी में आता है।
-अमित कुमार पांडेय, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, सदर
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यह हो सकती है कार्रवाई
नियमावली में हलाल प्रमाणीकरण का कोई नियम नहीं है। सिर्फ गुणवत्ता, पैकिंग, लेबलिंग सही होनी चाहिए। नए आदेश के बाद यदि कोई हलाल प्रमाणीकरण युक्त दवाओं, प्रसाधन सामग्री व खाद्य सामग्री तैयार करता है अथवा भंडारण व वितरण करता है तो उसके खिलाफ अधिनियम 1940 व तत्संबंधी नियमावली के अधीन कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत तीन साल का कारावास, एक लाख रुपये जुर्माना, और नियम 18 ए के तहत छह का कारावास अथवा 25 हजार का जुर्माना हो सकता है।