
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमणImage Credit source: File Photo : PTI
भारत में इन दिनों ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है. इसकी वजह उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का 18 नवंबर को इसके विरोध में लाया गया एक नया आदेश है. उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने इस तरह के किसी भी फूड सर्टिफिकेशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस तरह के सर्टिफिकेशन को लेकर बड़ा बयान दिया है.
कुछ महीनों पहले सावन के दौरान ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ को लेकर एक वीडियो भी वायरल हुआ था. इस वीडियो में भारतीय से सफर कर रहे एक यात्री ने उसे ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ वाला फूड आइटम परोसने पर आपत्ति जताई थी. उसका कहना था कि सावन के महीने में उसे ये खाना क्यों परोसा? हालांकि रेलवे कर्मचारियों ने उन्हें समझाया था कि जो खाना परोसा गया है वह पूरी तरह शाकाहारी है.
‘सरकार को करनें दें सर्टिफिकेशन का काम’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि फूड आइटम्स का सर्टिफिकेशन सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही करना चाहिए. किसी गैर-सरकारी एजेंसी की तरफ से ऐसा सर्टिफिकेट देना ठीक नहीं है. निर्मला सीतारमण का ये बयान उत्तर प्रदेश सरकार के ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ वाले फूड आइटम्स के प्रोडक्शन, स्टोरज, डिस्ट्रिब्यूशन और सेल्स पर बैन लगाने के हालिया फैसले पर आया है.
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उन्होंने एक प्रेस वार्ता में कहा, ”फूड की क्वालिटी और उसकी जांच निश्चित तौर पर सरकार का काम है. यह काम सरकार को करना चाहिए. इसके लिए हमारे पास भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) है. सरकारी एजेंसियों को ही यह पता लगाना चाहिए कि फूड प्रोडक्ट्स में किस तरह के कैमिकल, नुकसानदायर रंग इत्यादि मौजूद हैं.”
उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियों के पास ये अधिकार होना चाहिए कि वह तय कर सकें कि देश के लोगों के लिए कौन से फूड आइटम्स सेफ हैं और कौन से नहीं. प्राइवेट संगठनों को इससे दूर रहना चाहिए.
क्या होता है ‘हलाल सर्टिफिकेशन’?
जिस तरह हिंदू मान्यताओं में शाकाहार और मांसाहार भोजन को लेकर कई विचार हैं. ठीक उसी तरह मुस्लिम धर्म में भी खानपान को लेकर कई मत हैं. इसी में एक है ‘हलाल’ और ‘झटका’. मुस्लिक धर्म में ‘हलाल’ मांस को खाने की अनुमति है, लेकिन ‘झटका’ मांस को लेकर मनाही है. इन दोनों मांस का निर्धारण उनके काटने के तरीके से तय होता है.
इसलिए मुस्लिम आबादी वाले देशों में यदि किसी कंपनी को अपने खाने-पीने के सामान को बेचना होता है, तो वह ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ लेती हैं. ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ असल में एक गारंटी हैं कि उस खाने-पीने की वस्तु को मुस्लिम शरिया कानून के हिसाब से बनाया गया है. उसमें किसी तरह की मिलावट नहीं है और उसमें ऐसे किसी जानवर या उसके बाय-प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं हुआ है, जिसे इस्लाम में ‘हराम’ माना गया है.