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नाहन, 27 नवंबर : जिला परिषद नाहन सभागार में स्टेपको नाट्य एवं सामाजिक संस्था द्वारा द्वितीय शूरवीर सिंह कंवर नाट्य उत्सव का रविवार को समापन किया गया। उत्सव का समापन दो नाटकों के मंचन से हुआ। पहला नाटक राजस्थान अलवर से डॉक्टर देशराज मीणा द्वारा निर्देशित रिश्तो के भंवर में नाटक का मंचन किया गया।
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नाटक की कहानी दो ऐसी औरतों की कहानी है जो एक ही व्यक्ति से प्रेम करती है, जिसका नाम गोविंद है। एक औरत वह है जो उसकी पत्नी और दूसरी औरत वह है जिसके पास गोविंद जाता है वह वेश्या है। एक दिन गोविंदा की पत्नी वैश्या के पास जाती है और कहती है कि तुम मेरे पति को छोड़ दो। वैश्या कहती है कि हम दोनों प्यार करते है। उसने तो मेरे शरीर को आज तक नहीं छुआ।
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वेश्या कहती है कि गोविंद मेरे साथ होता है तो मुझे अच्छा लगता है। नाटक में दो औरतों के बीच चल रहे द्वंद को दिखाया गया है। कभी-कभी रिश्ते इस तरह होते हैं कि उनके भंवर में आदमी फंस जाता है और उनसे निकलना आसान नहीं होता यह रिश्ते जिंदगी भर चलते हैं। प्रियम जानी द्वारा लिखित इस नाटक को जिला परिषद सभागार में सभी ने बहुत अधिक पसंद किया और मोनालिसा दास तथा सुनीता मोंडल को बहुत सराहा।
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वहीँ, इसी कड़ी में दूसरा नाटक और समारोह का अंतिम नाटक गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित और रजित सिंह कंवर द्वारा निर्देशित नाटक डाकघर का मंचन हुआ। 20वीं साड़ी के ग्रामीण बंगाल के प्रवेश पर आधारित डाकघर की कहानी अनाथ लड़के अमल के इर्द-गिर्द घूमती है। जो एक लाइलाज बीमारी से ग्रस्त है। बीमारी के चलते अमल अपने कमरे से बाहर जाने में असमर्थ है। इसी के चलते अमल अपने कमरे की खिड़की के पास से गुजरने वालों से बात करता है और पीड़ा को भुलाकर खिड़की के पास से गुजरने वाले सभी लोगों से बातचीत करता है। अंत में अमल की मृत्यु हो जाती है तभी सुधा फूल लेकर आती है और अमल को बताने के लिए कहती है कि वह उसके लिए रोजाना फूल लेकर आई है। नाटक बहुत ही मार्मिक अंत के साथ समाप्त होता है।
अमल की भूमिका में वैभव अत्री शानदार का काम किया जिसे सभागार में सभी ने बहुत सराहा। इसके अलावा फकीर की भूमिका में राम सैनी, फूफा की भूमिका में राकेश शर्मा, सुधा की भूमिका में सिमरन जपोत्रा, चौधरी की भूमिका में नीरज गुप्ता, चौकीदार और पहरेदार की भूमिका में सोहेल खान ,दही वाली की भूमिका में शालिनी ठाकुर, राज वेद की भूमिका में शशिकांत अत्री और दूत की भूमिका में ऋषभ शर्मा को दर्शकों ने खूब सराहा। नाटक से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया गया। वहीं रंग मंच के कलाकारों ने मीठे कटाक्षों से समाज को संदेश भी दिया।