प्रेमचंद ने साहित्य को मनोरंजन की वस्तु से अलग विद्रोही और आंदोलनात्मक बनाया


बेगूसरायएक महीने पहले

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सिटी रिपोर्टर| बेगूसराय

मुंशी प्रेमचंद की 143 वीं जयंती पर जिला से लेकर विभिन्न प्रखंडों में सेमिनार, संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया है। इस दौरान प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा जीडी कॅालेज में विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसके साथ ही एसबीएसएस कॅालेज एवं गंगा ग्लोबल बीएड कॅालेज प्रशासन द्वारा जयंती समारोह आयोजित की गई है। जीडी कॅालेज में प्रेमचंद साहित्य की जातीय-राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक परिवर्तन की वैज्ञानिक दृष्टि पर विद्वानों ने अपने विचारों को रखा, जिसकी अध्यक्षता प्रलेस के जिला अध्यक्ष सीताराम प्रभंजन ने किया है। मौके पर विषय प्रवेश कराते हुए प्रलेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन ने कहा कि प्रेमचंद ने समाज के मुख्य धारा से वंचित लोग को अपनी रचना का नायक बनाया है।

साहित्य को मनोरंजन की वस्तु से अलग विद्रोही एवं आंदोलनात्मक बनाया । पूर्णिमा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मो. कमाल ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना को अपना लक्ष्य बनाया। साथ ही जातीय एवं धार्मिक विचार को समाज का दुश्मन बताया। एएन कॉलेज,पटना के उर्दू विभाग के प्राध्यापक डॉ मणिभूषण ने कहा कि हिंदू या मुस्लिम सांप्रदायिकता या कोई और हो धार्मिक अंधभक्ति को उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। जयनारायण महाविद्यालय गया के पूर्व प्राध्यापक प्रो देवनारायण पासवान ने कहा कि बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं कहोगे। यह बात आज कितना महत्वपूर्ण हो जाता, जब आज भीड़ समाज को दिग्भ्रमित कर रहा है। मॉब लिंचिंग में लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।

गंगा ग्लोबल बीएड कॉलेज में मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर लिखे आलेख गंगा ग्लोबल बीएड कॅालेज में सत्र 2023-25 के प्रशिक्षुओं ने मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया। प्रशिक्षुओं ने पांच-पांच सौ शब्दों में प्रेमचंद की साहित्यिक दृष्टिकोण पर आलेख लिखा। कार्यक्रम को प्राचार्य डॉ. नीरज कुमार ने कहा कि हिन्दी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद ने ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता दी और आमजन की स्थिति को साहित्य का हिस्सा बनाया है। कार्यक्रम के संयोजक व हिन्दी विभाग की प्राध्यापक डॉ. कामायनी कुमारी ने कहा कि आज हम प्रेमचंद की 143 वीं जयंती मना रहे हैं। शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जो उनकी कहानी से परिचित नहीं होगा।

उनकी कहानियों में गांव की तस्वीर झलकती है। मुंशी प्रेमचंद के संबंध में प्रशिक्षु भारती कुमारी ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की तथा उनकी कहानी का प्रसिद्ध संवाद कोड किया- क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं करोगे। मौके पर कहानी का पाठ नेहा कुमारी, मोनू कुमार, श्रृष्टि गौतम, हर्षिता कुमारी, मनोज कुमार, अमलेश कुमार, विशाल कुमार, आशीष कुमार, लिपी कुमारी, नीकू कुमारी, मीणा कुमारी, शांभवी कुमारी, हिमरेणु, डॉली, जागृति, प्रतिमा आनंद, स्वाति प्रिया आदि उपस्थित थे। मौके पर मंच संचालन प्रशिक्षु श्रृष्टि गौतम और मोनू कुमार ने किया।

इन्होंने भी किया संबोधित मौके पर ई सुनील कुमार, जीडी कॅालेज के प्राचार्य राम अवधेश कुमार, अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष कमलेश, प्रलेस के राज्य सचिव रामकुमार, जिला उपाध्यक्ष अनिल पतंग, कन्हाई पंडित, नरेंद्र कुमार सिंह, ललन लालित्य संयुक्त सचिव राज किशोर सिंह, कोषाध्यक्ष स्वाति गोदर, पूर्व विधान परिषद उषा सहनी, समाजसेवी कामिनी कुमारी आदिन ने किया। मौके पर स्वागत भाषण जिला सचिव कुंदन कुमार, संचालन राज्य कार्यकारिणी सदस्य डॉ शगुफ्ता ताजवर एवं कविता पाठ कवयित्री मुकुल लाल ने की है।


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