गाजा में लादेन के गढ़ में घुसे इजरायली सैनिक, 58 दिन की लड़ाई के बाद कितना कमजोर हुआ हमास? जानें


गाजा: इजरायल और हमास के बीच गाजा पट्टी में जारी लड़ाई को अब दो महीने का समय होने जा रहा है। 7 अक्टूबर को लड़ाई छिड़ने के बाद 24 नवंबर से एक दिसंबर तक विराम हुआ और इसके बाद फिर से लड़ाई शुरू हो गई। 24 नवंबर से पहले तक इजरायल के ज्यादातर हमले उत्तरी गाजा में थे, जिसमें आईडीएफ ने उत्तरी गाजा के ज्यादातर हिस्से पर नियंत्रण कर लिया था। अस्थायी युद्धविराम के बाद आईडीएफ हमास की उन टुकडियों को निशाने पर ले रहे हैं, जो अभी भी संगठिक प्रतिरोध कर रहे हैं। आईडीएफ ने खान यूनिस के आसपास के क्षेत्रों में हवाई हमले और गोलाबारी की है, जिसे गाजा के लादेन याह्या सिनवार का गढ़ कहा जाता है। हालांकि बड़ी संख्या में सेना को इजरायल ने अभी वहां नहीं भेजा है।

यरूशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध में फिलहाल ऐसा लग रहा है कि आईडीएफ अपनी सेना को तभी दक्षिण में ले जाएगा जब निकट अवधि में अपने बंधकों की वापसी की उम्मीद नहीं रहेगी। इजरायली फोर्स एक बार पूरी तरह से दक्षिण गाजा की ओर रुख कर लेगी तो फिर इजरायल को हमास पर सीधे हमले और अधिक बंधकों को बचाने के बीच में से एक किसी एक को चुनना पड़ेगा। अब तक इजरायल हमास को कमजोर करने में कामयाब रहा है। वहीं उसको बंधकों को छुड़ाने के लिए एक सप्ताह का युद्धविराम भी करना पड़ा है। जिसमें उसको 114 बंधकों की रिहाई कराने में कामयाबी मिली है लेकिन अभी भी उसके करीब इतने ही लोग हमास के पास बंधक हैं। ऐसे में सवाल है कि ये युद्ध अब किस ओर बढ़ेगा।

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अब किस तरफ बढ़ेगा युद्ध!

आईडीएफ ने अभियान को आगे बढ़ाते हुए रविवार को गाजा में 800 सुरंग शाफ्टों पर हमला किया लेकिन ये सिर्फ सुरंगों के छोटे हिस्से हैं। सुरंगों में सेना जाती है फिर सुरंग युद्ध एक ऐसा युद्ध बन जाएगा जो लंबे समय तक चलेगा। सुरंगों को नष्ट करने के लिए इंजीनियरिंग इकाइयों को हर एख सुरंग के सभी हिस्सों का सावधानीपूर्वक नक्शा बनाने की आवश्यकता होगी, जिसमें काफी समय लगता है। एक तरफ इजरायली सेना के सामने सुरंगों का लंबा युद्ध है तो दूसरी ओर लेबनान से हिज्बुल्ला का खतरा भी है। हिजबुल्ला के पास 150,000 मोर्टार और बड़ी संख्या में रॉकेट हैं। कई विशेषज्ञों ने आईडीएफ से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि हिजबुल्लाह के राडवान विशेष बलों को इजरायल के साथ सीमा से दूर धकेल दिया जाए और सीमा पर एक सुरक्षा बेल्ट स्थापित की जाए।

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हिजबुल्ला को पीछे धकेलने के लिए आईडीएफ क्या दक्षिणी लेबनान में आक्रमण करेगी या फिर वह तीसरे पक्ष के माध्यम से हिज्बुल्ला के साथ किसी समझौते तक जाए। ये भी सवाल है कि हिज्बुल्ला किसी समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इसका उल्लंघन करता है, तो आईडीएफ क्या करेगी। हमास की हार या हिज्बुल्ला के बारे में रणनीतिक निर्णयों से पहले इजरायली नागरिक जानना चाहते हैं कि सेना उनके घरों पर रॉकेट हमलों के खतरे को कैसे रोकेगी। ऐसे में आने वाले दिनों में दक्षिण गाजा में इजरायल में की कार्रवाई पर सभी की निगाहें होंगी।


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