खाना ताजा है या बासी, ये जानने के लिए टेस्‍ट करने की जरूरत नहीं, आ गई है ई-नोज


E-Nose Use: अभी तक फूड इंडस्ट्री के पास ऐसी कोई तकनीक मौजूद नहीं थी जो फूड आइटम्स को रियल टाइम पर टेस्ट करके उनकी क्वॉलिटी बता सके. दुनियाभर में फूड आइटम्स की टेस्टिंग के लिए लैब्स का सहारा लिया जाता रहा है और इसे कुछ दिनों का समय लगता है. हालांकि ये अब बीते दिन की बात हो गई है, ऐसा इसलिए है क्योंकि मार्केट में जल्द ही Sensifi नाम की एक तकनीक आ रही है जो तुरंत ही बता सकती है कि खाना सही है या खराब.

वैज्ञानिकों ने किया आविष्कार 

इस्राइल के वैज्ञानिकों ने ‘सेंसिफी’ नाम की एक इलेक्ट्रॉनिक नोज विकसित की है और इसे लेकर ऐसा दावा किया जा रहा है कि ये खाने की क्वॉलिटी बता सकती है. खाना खाने लायक है या नहीं, या उससे बीमारियों का खतरा है, ये बात जानने के लिए इस इलेक्ट्रॉनिक नोज को एक परफेक्ट डिवाइस बताया जा रहा है. सबसे जरूरी बात तो ये है कि इस तकनीक की बदौलत ये जानकारी कुछ ही मिनटों में हासिल की जा सकती है. 

इस यूनिवर्सिटी ने किया कारनामा 

जानकारी के अनुसार इस्राइल की बेन गुरियन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस ‘ई-नोज’ डिवाइस तैयार किया है. ये डिवाइस फूड इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है. इस डिवाइस में हाई-टेक सेंसर लगाए गए हैं जो फटाक से ही डेटा ऐनालाइज कर लेते हैं और इसका रिजल्ट कुछ ही मिनटों में दे देते हैं. ये खाने की गंध लेकर ही बता सकता है कि ये खाने लायक है या नहीं, साथ ही ये भी बता सकता है कि इसमें कौन सी चीजें मौजूद हैं जो इसे हानिकारक बना रही हैं. 

बीमारियों के कारणों का पता लगाती है तकनीक 

जानकारी के अनुसार ‘सेंसिफी’ रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया का पता लगाता है जिनमें ई. कोलाई और साल्मोनेला शामिल हैं. इनकी वजह से लोगों को फूड पॉयजनिंग जैसी समस्याएं हो जाती हैं क्योंकि फूड क्वॉलिटी पता नहीं चल पाती है. इस तकनीक के आने के बाद इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा.

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कैसे काम करती है तकनीक 

Sensifi की स्थापना जनवरी 2023 में हुई थी, यह कार्बन ‘डॉट्स’ (कार्बन के नैनोपार्टिकल्स) से लेपित इलेक्ट्रोड का उपयोग करके बैक्टीरिया और कुछ अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्सर्जित वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) का पता लगाती है. इससे फूड इंडस्ट्री को कुछ ही मिनटों में परीक्षण के परिणाम मिल सकते हैं, वहीं लैब से टेस्ट करवाने में दो से तीन दिन बड़े आराम से लग जाते हैं जिससे काफी समय और पैसा बर्बाद होता है. 

बैक्टीरिया के VOC ‘फिंगरप्रिंट’ का विश्लेषण करने के लिए AI मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए पोलेरिटी मैचिंग के माध्यम से सी-डॉट्स और गैस अणुओं के बीच, Sensifi की कैपेसिटेंस बेस आर्टिफिशियल नोज डिफरेंट स्ट्रेंस का पता लगा सकती है, ऐसा दवा कंपनी की तरफ से किया गया है. 

 


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