नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या जिसके पास लाइट मोटर वीकल (LMV) का ड्राइविंग लाइसेंस है, उसी वजन (7600 किलो) का ट्रांसपोर्ट वीकल चलाने के लिए उसे कानूनी तौर पर अनुमति दी जा सकती है? कोर्ट के सामने यह कानूनी सवाल आया था, जिसके बाद उसने कहा कि यह नीतिगत मामला है। उसने केंद्र सरकार से इस पर स्टैंड रखने को कहा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा है कि यह मसला नीतिगत है और इससे लाखों लोगों के जीवन यापन पर असर हो सकता है।
2 महीने में फैसले के बारे में बताए सरकार
चीफ जस्टिस ने कहा है कि सरकार को चाहिए कि इस मामले को वह दोबारा देखे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा है कि इस मुद्दे पर वह दो महीने में अपने फैसले के बारे में बताए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून की इस मामले में किसी तरह की भी व्याख्या के दौरान रोड सेफ्टी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूजर्स के मद्देनजर भी देखा जाए।
रोड सेफ्टी और सामाजिक उद्देश्य के बीच बैलेंस की जरूरत
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को कोर्ट को सहयोग करने को कहा था। कोर्ट के सामने यह सवाल है कि अगर कोई शख्स LMV का ड्राइविंग लाइसेंस रखता है तो क्या उसे कमर्शल LMV चलाने की इजाजत हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार के रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री का स्टैंड जानना चाहा है कि इस मामले में उनका क्या कहना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाखों ड्राइवर सड़क पर काम कर रहे हैं। यह मामला संवैधानिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह नीतिगत मुद्दा है। रोड सेफ्टी और सामाजिक उद्देश्य के बीच बैलेंस की जरूरत है। संवैधानिक बेंच ने कहा कि कोर्ट सामाजिक नीति को तय नहीं कर सकता है। सरकार इस मामले में अपना स्टैंड कोर्ट के सामने रखे तब कोर्ट मामले में आगे की सुनवाई करेगा।
क्या सरकार की ओर से मिलेगी अनुमति?
LMV का डीएल होने के बाद क्या कोई कमर्शल LMV चला सकता है? यह एक व्यापक मसला है जिससे लाखों लोग प्रभावित होंगे। देखा जाए तो देश में ऐसे लाखों लोग हैं, जिनके पास LMV का लाइसेंस है लेकिन वह नियम के तहत इसी भार वाले कर्मशल वीकल नहीं चला सकते। नियम के तहत उन्हें कमर्शल लाइसेंस अलग से लेना होगा। अगर किसी के पास कार का लाइसेंस है तो भी वह ऑटो या टेंपो नहीं चला सकता, क्योंकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता। हालांकि, यह नीतिगत मामला है और सरकार को रोड सेफ्टी और दूसरी बातों के मद्देनजर फैसला लेना है। इसके जवाब के बाद भी सुप्रीम कोर्ट आगे इस मामले को देखेगा लेकिन इतना तय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से जो सवाल किया है वह बेहद अहम है। अगर, इस मामले में केंद्र सेफ्टी आदि के मद्देनजर नियम को लचीला बनाता है तो लाखों लोगों पर इसका सीधा असर होगा।