Astrology: गजकेसरी योग के साथ ये ग्रह दिलाते हैं सिंगिंग और म्यूजिक के क्षेत्र में आपार सफलता


इंडियन आइडल का 14वां सीजन (Indian Idol S14) शुरू हो चुका है. संगीत प्रेमियों का ये पसंदीदा टीवी शो है. इंडियन आइडल का 14वे सीजन के लिए चयनित 15 कंटेस्टेंट्स अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इस बार इस शो के जज विशाल ददलानी (Vishal Dadlani), श्रेया घोषाल (Shreya Ghoshal) और कुमार सानू (Kumar Sanu) हैं. 2023 का इंडियन आइडल विशेष माना जा रहा है, क्योंकि इस बार प्रतिभागी सिंगरस की शैली और आवाज दोनों ही संगीत प्रेमियों को प्रभावित कर रही है.

संगीत (Music) के बारे में कहा जाता है कि संगीत की कोई जबान नहीं होती है. ना ही सरहदों में सुरों को बांधा जा सकता है. अच्छा संगीत किसी भी भाषा में हो हर किसी को आकर्षित करता है. संगीत प्रकृति के कण-कण में रचा और बसा है, इसलिए संगीत केवल इंसानों पर ही अपना प्रभाव नहीं डालता है बल्कि पेड़ों और जानवरों पर भी सुरों का असर होता है. इस बात को विज्ञान भी मानता है.

ज्योतिष शास्त्र मे कुछ ऐसे ग्रहों का वर्णन किया गया है जो संगीत, कला और अभिनय के कारक माने गये हैं. ज्योतिषीय मतानुसार जिन लोगों की कुंडली (Kundli) में बुध ग्रह, शुक्र, और चंद्रमा ग्रह की मौजूदगी शुभ भाव और शुभ ग्रहों से दृष्ट होती है. वे ललित कलाओं में पारंगत होते हैं. 

गजल गायक जगजीत सिंह की कुंडली (Jagjit Singh)
सिंगर बनने के लिए कड़ी मेहनत के साथ किस्मत का भी गहार कनेक्शन बताया गया है. यदि कुंडली में ग्रहों की मजबूत स्थिति है तो सफल सिंगर बनने से कोई नहीं रोक सकता है. इंटरनेट पर उपलब्ध कुंडली के मुताबिक महान गजल गायक और संगीतकार स्व. जगजीत सिंह की विशेष है. इस कुंडली का द्वितीय भाव में नजर डालें तो पाएंगे कि यहां बुध ग्रह विराजमान हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का दूसरा भाव वाणी का माना गया है. बुध ग्रह वाणी का कारक ग्रह है. दूसरे भाव में मौजूद रािशि का स्वामी केंद्र में शनि, गुरू के साथ है. इसके साथ ही सूर्य और शुक्र की युति विशेष राजयोग बना रही है. शनि के कारण जगजीत सिंह ने कड़ी मेहनत से गजल गायकी में अपना विशेष मुकाम बनाया.

शनि (Shani Dev) और गुरू (Guru) की युति ने जगजीत सिंह को संगीत के क्षेत्र में नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया और गजल गायकी का नई पहचान दिलाई. 12वें भाव में मौजूद मंगल ने उन्हें देश के बाहर विदेशों में भी सफल कॉन्सर्ट कराए. शुक्र की सूर्य के साथ साथ युति ने आपार संगीत के क्षेत्र में आपार लोकप्रियता प्रदान की.

कुंडली का 2,5 और 10वां भाव (Kundli Prediction)
सफल और लोकप्रिय गायक बनने के लिए कुंडली का दूसरा, पांचवां और दसवां भाव मजबूत और शुभ ग्रहों से दृष्ट होना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का दूसरा भाव वाणी, धन, भौतिक संपत्ति की जानकारी देता है. कुंडली का 5वां भाव, मनोरंजन, खेल, शिक्षा, प्रेम संबंध को दर्शाता है. वहीं कुंडली का 10वां भाव कर्म, यानि करियर के बारे में बताता है. सिंगर या गायक बनने के लिए कुंडली के ये भाव शुभ होने चाहिए.

  1. कुंडली का दूसरा भाव (Kundli Ka Second House)- शुक्र ग्रह इसका स्वामी है, राशि चक्र के अनुसार वृषभ राशि का स्थान दूसरा है. शुक्र को मनोरंजन, फैशन, ग्लैमर आदि का कारक माना गया है. जो फिल्मी जगत से इसका गहरा नाता है.
  2. कुंडली का पांचवां भाव (Kundli 5th House)- कुंडली का 5वां घर महत्वपूर्ण है. यहां से मनोरंजन, शिक्षा, प्रेम संबंधों का प्रदर्शित करता है. गायक बनने के लिए इस भाव का मजबूत होना अतिआवश्यक है. जब कुंडली का ये भाव शुभ और मजबूत होता है तो व्यक्ति गायक और संगीत रचना में भी निपुण होता है. ऐसे लोग फिल्म, लाइव शो में सफलता हासिल करते हैं.
  3. कुंडली का 10वां भाव (Kundali 10th House)- कुंडली का ये भाव कर्म का प्रतिनिधित्व करता है. यानि करियर को दर्शाता है. इस भाव के बलशाली होने पर व्यक्ति गायन और संगीत के क्षेत्र में अपना करियर बनाता है और इसी से धन अर्जित करता है.

नक्षत्रों की भूमिका (Constellation)
ज्योतिष शास्त्र में कुछ नक्षत्रों का भी वर्णन मिलता है, जो कल, संगीत आदि के लिए प्रभावशाली माने गए हैं. ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों का जिक्र मिलता है. संगीत और गायन के लिए जो प्रभावी नक्षत्र बताए गए हैं, वे इस प्रकार हैं-

शुभ योग जो व्यक्ति को बनाते हैं संगीत का चमकता सितारा
ज्योतिष ग्रंथों में शुभ योगों के बारे में बताया गया है, यदि किसी की भी कुंडली में मालव्य योग, शश योग, गजकेसरी और सरस्वती योग है, तो ऐसे जातक सफल गायक और संगीतकार होते हैं या संगीत के अच्छे जानकार होते हैं.

संगीत का जनक किस देवता को माना जाता है
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव को संगीत का जनक माना गया है. शिव ही आदि हैं. शिव के पास डमरू है और ये त्रयोदशी की तिथि में प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं.

उपाय (Upay)
अच्छा संगीतकार और सफल गायक बनने के लिए जहां कठोर परिश्रम, अभ्यास और सही मार्गदर्शन की आवश्यकता प्राथमिक है, वहीं ज्योतिषीय आधार पर उपायों के अपनाकर ग्रहों की शुभता में वृद्धि की जा सकती है. ताकि भाग्य का भी साथ मिल सके हैं, ये उपाय क्या हैं आइए जानते हैं-

बुध ग्रह के उपाय (Mercury) – बुध आपकी वाणी का कारक है, गायन में इसकी भूमिका अहम मानी गई है. इसलिए इस ग्रह को शुभ और मजबूत बनाने के लिए ज्योतिष ग्रंथों में मंत्र, उपाय आदि बताए गये हैं, बुध के लिए बुधवार का दिन उत्तम हैं. बुधवार का दिन बुध ग्रह को समर्पित है. इसदिन हरी चीजों का दान करें, भगवान गणेश जी की पूजा करने और उन्हें दूर्वा घास चढ़ाने से भी बुध ग्रह शुभ फल प्रदान करता है. इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं- 

।।ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।

चंद्रमा (Moon)- ज्योतिष ग्रंथों में चंद्रमा का मन का कारक माना गया है. ये शीतलता प्रदान करता है. इसके साथ ही मां का भी कारक है. कल्पनाशील बनाने में भी इस ग्रह की विशेष भूमिका है. मां की सेवा करने और भगवान शिव की उपासना करने से चंद्रमा की शुभता में वृद्धि होती है. पूर्णिमा के दिन अर्घ्य देने से भी लाभ होता है. मां की सेवा करने से भी चंद्रमा अच्छे फल प्रदान करता है. इसके मंत्र हैं-

1 ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:
2 ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:
3 ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:

शुक्र ग्रह (Venus)- इस ग्रह का कलियुग में विशेष माना गया है. क्योंकि इसका संबंध मनोरंजन, फैशन, लग्जरी लाइफस्टाइल और मंहगे गैजेट तथा ट्रैवल आदि से भी है. इसका शुभ होना अतिआवश्यक माना गया है. शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी की पुजा करने और स्त्रियों के सम्मान करने से भी शुक्र की शुभता में वृद्धि होती है. इसका मंत्र है-

।।ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।।

शिव जी की और माता सरस्वती की पूजा करने से भी लाभ होता है. जो लोग गायन, कला, संगीत में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें मां सरस्वती की वंदना अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि संगीत और गायन में रिदम की भूमिका अहम होती है. जब किसी चीज में ‘लय’ होती है तो उसकी खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है. यही कारण है कि झरना, नदियों का कलरब, पक्षियों का चहचहाना, भौरों का गुनगुना, पपीहे की बोली आदि लोगों को आकर्षित करती हैं क्योंकि इन सभी में एक ‘रिदम’ यानि लय होती है. यही सार है, बिना लय-ताल के संगीत नहीं होता.

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