मुकेश पंवार
बड़ौत। बेटा, लंच पैक नहीं हो पाया, ये पैसे लो कैंटीन से कुछ खा लेना। फिर क्या, बच्चे स्कूल की कैंटीन में पेटीज, बर्गर, चाऊमीन, कोल्ड डि्ंक का सेवन कर बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं। बच्चों में फास्ट फूड और जंक फूड की दीवानगी इस कदर भारी पड़ रही है कि उन्हें बचपन मेें ऐसी बीमारियां घेर रही हैं जो आमतौर पर बुढ़ापे में आती हैं। हर माह जनपद में जंकफूड से बच्चों में होने वाली बीमारियों की दवाइयों की खपत भी बढ़ रही है।
जनपद में आठ सीएचसी, 23 पीएचसी और एक जिला अस्पताल के अलावा ढेर सारे निजी अस्पताल संचालित हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार इनमें प्रतिदिन 750 से 850 अभिभावक जंक फूड से बीमार हुए अपने बच्चों को लेकर आ रहे हैं। जंक फूड का ज्यादा सेवन और पौष्टिक भोजन से दूरी बच्चों में एकाग्रता की कमी ला रहा है। इससे उनका आईक्यू लेवल भी घटा रहा है। वहीं शारीरिक रूप से भी बच्चे कमजोर हो रहे हैं। साथ ही बच्चों में मधुमेह का सात गुना खतरा बढ़ जाता है।
केस नंबर एक—–
मोटापे से बढ़ा मधुमेह, करा रहे उपचार
धनौरा गांव निवासी दीपा ने बताया कि लंबे समय सें उसका बेटा देव जंकफूड खाने का आदी हो गया। मैंने भी लाड-प्यार की वजह से कभी मना नहीं किया। वह एक दिन दौड़ते-दौडते थककर जमीन पर गिर गया और उसे सांस लेने मेेंं दिक्कतें हुई, तो चिंता बढ़ गई। जांच कराई तो मधुमेह बढ़ा हुआ था। अब मेरठ उपचार करा रही हूँ।
केस नंबर दो—–
दिन भर मोबाइल, टीवी पर चिपके रहने से आंखें कमजोर
फतेहपुर पुट्ठी निवासी अनिल का बेटे अक्की को भी जंकफूड की ऐसी लत लगी कि उसने घर का खाना खाना बंद कर दिया। थोड़ी-थोड़ी देर में रोने लगता है और बर्गर व चाऊमीन खाने की जिद करता है। अभिभावकों ने उसकी जिद पूरी की। वह पूरे दिन टीवी व मोबाइल देखता रहता। थोड़े दिनों बाद उसे आंखों की परेशानी हुई, जांच करानी पड़ी। वह शारीरिक रूप से कमजोर भी है। अब दिल्ली में उसका इलाज कराया जा रहा है।
मधुमेह का बढ़ रहा सात गुना खतरा
नगर स्वास्थ्य अधिकारी एवं पूर्व सीएचसी अधीक्षक डाॅ. अजेन्द्र मलिक ने बताया कि नूडल्स, पेटीज, चिप्स समेत अन्य फास्ट फूड में नमक, रंग समेत अन्य तत्वों की मात्रा कई गुना होती है। इन्हें लंबे समय तक खाने से बच्चों में मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह का खतरा सात गुना तक बढ़ जाता है। किडनी लीवर की क्षमता भी प्रभावित होती है। मैदा और ट्रांसफैट के कारण बच्चों की सेहत को प्रभावित कर रही है।
पौष्टिक आहार से दूरी बना रहे बच्चे
आस्था नर्सिंग अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिनव तोमर ने बताया कि जीभ की ऊपरी सतह पर लाल दाने के रूप में स्वाद कलिकाएं होती हैं। लार के जरिये ये खट्टा, मीठा, कड़वा और नमकीन स्वाद बतातीं हैं। जंक फूड में अजीनोमोटो समेत अन्य रसायन होते हैं, इनके खाने-पीने से जीभ में इनके प्रति नया स्वाद पनपता है। ऐसी स्थिति में बच्चों को दाल, हरी सब्जी समेत पौष्टिक आहार अच्छा नहीं लगता।
बच्चों की हड्डियां भी हो रहीं कमजोर
सीएचसी अधीक्षक डाॅ. विजय कुमार ने बताया कि आज 80 फीसदी बच्चे जंक-फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। इसकी वजह से बच्चे शारीरिक परिश्रम वाले खेल-कूद में भी भाग नहीं लेते। उनका अधिकांश समय टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल पर ही बीतता है। जंक फूड के चलते मोटापा होने से बच्चों की हड्डियां भी कमजोर होने लगती हैं।
ये है मनोविज्ञानी का कहना
दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज की मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. अंशु अग्रवाल के मुताबिक बच्चों को जब पसंदीदा फास्ट फूड नहीं मिलते तो उनमें गुस्सा करना, खाना फेंक देना, सामान फेंकना, जोर-जोर से चिल्लाना जैसे विकार पनपने लगते हैं। ऐसा होने पर परिजन फास्ट फूड उपलब्ध करा देते हैं। इससे बच्चे में विकार और बढ़ जाते हैं। अभिभावकों को बच्चों को मारने-पीटने की बजाए जंक-फूड से होने वाली बीमारी के बारे में बताना चाहिए।
हार माह लाखों की दवाइयों की हो रही खपत
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र पंवार ने बताया कि जनपद में 310 रिटेल व 110 होल सेल मेडिकल स्टोर हैं। हर माह जंक फूड खाने से बच्चों में होने वाली बीमारी से संबंधित ऑक्टेरोटाइड, फोलिक एसिड, मेट्रोनिडाजोल सहित बच्चों की बीमारियों से संबंधित अन्य दवाइयों की खपत बढ़ गई है। एक अनुमान के मुताबिक इन हर माह लगभग दस लाख रुपये की दवाइयों की बिक्री हो रही है।