जय प्रकाश पांडेय, बरेली। नाथ नगरी में कई दिनों से सज रहे दुर्गा पूजा पंडाल षष्ठी को देवी प्रतिमा की स्थापना के साथ ही जीवंत हो गए। दुर्गा सप्तशती और चंडी पाठ की सुमधुर प्रस्तुति ने माहौल को भक्तिमय कर दिया है। बरेली में दुर्गा पूजा का स्वरूप कोलकाता और काशी के स्वरूप से कुछ भिन्न हैं।
कोलकाता और काशी में शताधिक पूजा पंडाल सजते हैं और अष्टमी व नवमी को लाखों लोग सड़क पर उतर आते हैं। बरेली में पंडालों की संख्या कम है, प्रकृति शांत है और बांग्ला भक्ति गीत-संगीत आपको प्रफुल्लित कर देता है।
बरेली जंक्शन की मुख्य इमारत से बाहर निकलते ही एक पुराना भवन स्थित है, नाम है मनोरंजन सदन। इसके विशाल परिसर में पिछले 32 बरसों से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन बंगाली कल्चरल एंड वेलफेयर सोसायटी, सुभाषनगर के बैनर तले होता है।
मेज पर सजाते हैं अपनी रसोई
यहां भव्य पंडाल है जिसके अंतिम सिरे पर देवी की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। कोलकाता से आए पंडित देवी प्रसाद चटोपध्याय बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा सप्तमी शनिवार को होगी। यहां पंडाल में नीचे मोटी दरी बिछाकर उसपर सुंदर कुर्सियां और सोफे रखे गए हैं। बीच के विशाल हिस्से में एक रसोई जैसा मेला लगा हुआ था।
बहुत कम कीमत पर बेचा जाता है सामान
कमेटी के मीडिया प्रभारी ध्रुव चटर्जी ने बताया कि मेले के पहले दिन आसपास के बंगाली परिवारों से जुड़े लोग घर में तरह-तरह के पकवान और खाने योग्य अन्य सामग्री बनाते हैं। उसे लेकर यहां मेले में आते हैं। मेले में उन्हें एक बड़ी मेज उपलब्ध कराई जाती है। उसपर वो अपनी रसोई व सामग्री सजाते हैं, मेले में आने वाले भक्तजन यहां से खरीदारी करते हैं और स्वाद का आनंद लेते हैं। सामान बहुत कम कीमत पर बेचा जाता है। इस बार जयश्री राय चौधरी ने दही बड़ा बेचा तो एसएच राय ने छोले पापड़ी। शिप्रा बनर्जी ने सोडा लाइम और वेज बर्गर तो शाकी राय चौधरी ने पानी पूरी का स्टाल लगाया।
सुपर्णा नंदी ने डोनट व बड़ा तो मीठू गराई ने भेलपुरी व आलू चाट की बिक्री की। भाषुदी बागची ने धूगनी और नवनीता राय ने मोमो का स्टाल लगाया था। यहां अष्टमी और नवमी को बांग्ला सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे जिसकी प्रस्तुति के लिए प्रतिमा मंच के ठीक बगल में दूसरा मंच बनाया गया है। यहां पूजा कमेटी के अध्यक्ष हैं सीए विकास राय चौधरी जबकि कोष का जिम्मा संभालते हैं सनत तरफदार।
सेना के जवान भी आते हैं देखने
यहां से हम दूसरी ओर निकले। यह कैंट क्षेत्र है, दरअसल छावनी क्षेत्र कहना ज्यादा ठीक होगा। यहां दुर्गा पूजा कमेटी, बीआइ बाजार कैंट द्वारा भव्य पंडाल सजाया गया है। पुरानी दुर्गा पूजा है और सन 1971 से होती आ रही है।
अब क्योंकि यह छावनी क्षेत्र में स्थित है तो यहां फौजी भी खूब आते हैं। यहां भी दो मंच बनाए गए हैं। पहले भव्य मंच पर देवी भगवती की प्रतिमा विराजमान है वहीं दूसरा मंच इस मुख्य मंच के बगल में बनाया गया है जहां सप्तमी से नवमी तक रात में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
षष्ठी की देर शाम यहां भव्य देवी प्रतिमा की स्थापना कर सविधि प्राण प्रतिष्ठा की गई। यहां बच्चों के कुछ छोटे झूले भी लगाए जा रहे हैं। समिक बनर्जी यहां की कमेटी के अध्यक्ष हैं।
खास यह कि उक्त दोनों ही स्थानों की देवी प्रतिमा बनाई गई है बरेली के ही मूर्तिकार मिंटू पाल द्वारा। अद्भुत लगता है, प्रसन्नता होती है नवरात्र के इन दिनों में। कहीं मंदिरों में पूजन हो रहा है तो कहीं रामलीला का हो रहा है मंचन और, कहीं हो रही है भगवती उपासना। सनातन धर्म धारा यूं ही अविरल रहे। ओम नमो भगवती