Basti News: नवरात्र के बाद तली भुनी सामग्री कम खाएं, सेहत हो सकती है प्रभावित


सावधान : व्रत के बाद करें हल्का व ताजा भोजन, पानी की मात्रा बढ़ाएं, शरीर को मिलेगा लाभ

संवाद न्यूज एजेंसी

बस्ती। दो मौसम का संधिकाल सेहत के लिहाज से संवेदनशील होता है। अप्रैल (हिंदी महीना चैत्र) भी सर्दी और गर्मी का संधिकाल है, और इसी कारण हर साल इस मौसम में पेट से जुड़ी बीमारियों का असर अधिक रहता है।

वजह यह कि सर्दी की तरह खानपान की आदत गर्मी के इस पहले महीने में भी रहती है। इस बार रमजान और नवरात्र भी इसी महीने रहा। खानपान की बिगड़ी आदतों के चलते लोग खूब बीमार हो रहे हैं। बुधवार को रामनवमी के साथ नवरात्र व्रत पूरा होने के बाद अगर खाने में सावधानी नहीं बरती गई तो बीमार हो सकते हैं।

फिजिशियन डॉ. अंकित चतुर्वेदी बताते हैं कि जब भी दो मौसम का संधिकाल होता है, तो उस दौरान वैक्टीरिया और वायरस का असर तेज होता है। इस बदलाव के दौरान अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, तो बीमारी की चपेट में आने की आशंका प्रबल होती है। मार्च-अप्रैल में खाना बहुत तेजी से खराब होता है। चार घंटे बाद खाने की अम्लता बढ़ने लगती है। इसलिए इस मौसम में सुबह का बना खाना अगर दोपहर में भी खाते हैं तो उससे फूड प्वाइजनिंग की आशंका रहती है। अपच, गैस, पेट में दर्द, आंत में सूजन आदि की बीमारियां अधिक होती हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन

इसके अलावा लू लगने या डायरिया की वजह से तेजी से डिहाइड्रेशन होने लगता है

——-

सुबह खाली पेट चबाएं नीम का पत्ता

आयुर्वेदाचार्य डॉ. लक्ष्मी सिंह बताती हैं कि चैत्र का महीना धर्म-कर्म के अलावा सेहत के लिहाज से भी प्रमुख होता है। इस वक्त वातावरण में गरमी बढ़ जाने के कारण वायरस और बैक्टीरिया सक्रिय होकर लोगों में संक्रामक बीमारी का कारण बनते हैं। इस महीने डायरिया और चेचक की संभावना सबसे अधिक होती है। इसलिए इस मौसम में उपवास का खास महत्व है। यह महीना लोगों को प्रकृति से जोड़ने का सबसे बड़ा अवसर है। इन दिनों सभी प्रकार के पेड़-पौधों में नई कोपलें आती हैं, जिनमें बड़े औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद में बताया गया है कि अगर चैत्र महीने में प्रतिदिन सुबह खाली पेट नीम के नए निकल रहे पत्ते को चबाएं तो पेट के तमाम रोग दूर होते हैं। साथ ही इससे खून साफ होता है, जो अन्य बीमारियों से भी बचाता है।

विज्ञापन

——-

डिहाइड्रेशन का दिमाग और किडनी पर पड़ता है असर

एमडी मेडिसि डॉ. रजत पांडेय बताते हैं कि इन दिनों तेज धूप के चलते पसीना अधिक निकलता है। इसलिए शरीर को सामान्य से अधिक पानी की जरूरत होती है ऐसे में अगर किसी को डायरिया हुई तो डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) जल्द होता है। ऐसा होने पर खून का प्रवाह सुस्त पड़ने लगता है। इसका असर दिमाग और हृदय की गतिविधियों पर पड़ता है। हृदय को खून शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ता है। दिमाग में खून का प्रवाह बढ़ता है, लेकिन किडनी को अपनी सामान्य क्रिया जारी रखने के लिए खून कम मिलता है। इससे किडनी की प्रक्रिया सुस्त होती है, जिससे हानिकारक रसायनों का उत्सर्जन धीमा होता है। ऐसी स्थिति में किडनी पर दबाव बढ़ता है, जिससे किडनी के काम करना बंद जैसी नौबत आ सकती है।

——–

ताकत देता है ओआरएस नारियल पानी

इस मौसम में ओआरएस या नमक, चीनी व पानी का घोल बहुत लाभकारी होता है। इससे शरीर में पानी, ग्लूकोज और सोडियम की कमी नहीं होने पाती है। इसके अलावा नारियल पानी भी शरीर को पर्याप्त मात्रा में उर्जा देता है। डॉ. रामजी सोनी बताते हैं कि जब भी धूप में घर से बाहर निकलें तो पहले एक गिलास पानी जरूर पी लें। इससे सूर्य की गर्मी से पानी के होने वाले क्षरण से राहत मिलती है। इसके अलावा अगर बहुत अधिक पसीना निकल रहा हो, होंठ सूख रहे हों तो तत्काल किसी छायादार स्थान पर बैठ जाएं और पानी पीएं। इससे राहत मिलती है। बेहतर है कि घर से चलते समय पानी की बोतल साथ रखें।

विज्ञापन

——

साफ पानी पीएं, व्रत के बाद हल्का भोजन करें

जो लोग व्रत रहते हैं, वे हमेशा हल्का भोजन करें। नौ दिन तक व्रत रहने की वजह से शरीर की क्रिया उसके अनुरूप ढली होती है। ऐसे में अचानक ही तेल मसाले, घी में तली पूरी हलवा आदि को पचाने में वक्त लगता है, जिससे पेट में दर्द, ऐंठन, आंत में सूजन आदि होने की संभावना रहती है। इसलिए व्रत पूरा होने पर गुनगुना या सामान्य पानी पीएं, इसके बाद कुछ हल्का सुपाच्य भोजन करें। सड़क के किनारे मटकों में बिकने वाले पुदीना के पानी, आम के पाना आदि से परहेज करें, अगर इस तरह के पेय पीना चाहते हैं तो उसे अपने घर में साफ सुथरे तरीके से ही बनाएं।

-डॉ. रमाशंकर दुबे, सीएमओ


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *