गर्मियों की शुरुआत के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से कार में आग लगने की घटनाएं भी सामने लगी हैं. कहीं एक्सीडेंट के चलते आग लग रही है तो कहीं सड़क पर चलती कार में अचानक से धुआं निकल रहा है और इससे पहले चालक कुछ समझ पाता कार आग का गोला बन जा रही है. ताजा मामला गुरुग्राम का है, जहां पर सड़क पर दौड़ती कार में अचानक से आग लग गई. कुछ पल में ही आग ने इतना भयावह रूप ले लिया कि, चालक ने सीवर में कूद कर अपनी जान बचाई.
क्या है पूरा मामला-
बीते दिनों गुरुग्राम के सेक्टर 31 स्थित स्टार मॉल के पास दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस वे सड़क पर चलती हुई कार में अचानक से आग लग गई. थोडे ही देर में आग इतनी तेजी से भड़की कि हिसार निवासी कार चालक रणधीर सिंह को सीवर में कूद कर अपनी जान बचानी पड़ी. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस और दमकल कर्मियों ने बमुश्किल आग पर काबू पाया.
फायर डिपार्टमेंट के अनुसार, जब दमकल कर्मियों की टीम मौके पर पहुंची तो कार धू-धू कर जल रही थी. मौके पर कोई भी कार चालक या सवार मौजूद नहीं था. उसी वक्त उन्हें किसी के चीखने और मदद मांगने की आवाज सुनाई दी. टीम तत्काल समझ गई कि ये आवाज पास के ही सीवर के मेनहोल से आ रही है. जिसके बाद रणधीर सिंह को बाहर निकाला गया. बताया जा रहा है कि चालक बुरी तरह झुलस गया था और खुद को बचाने के लिए उन्होनें पास के मेनहोल में छलांग लगा दी. बहरहाल, चालक का इलाज अस्पताल में चल रहा है.
कैसे लगी आग?
हालांकि अभी कार में आग लगने के कारणों का पता नहीं चल सका है. लेकिन मौके पर पहुंचे अधिकारियों का कहना है कि, आग लगने के कारणों का पता लगाया जा रहा है. लेकिन प्रथम दृष्टया ये शॉर्ट सर्किट का मामला लगता है. संभव है कि, कार के इलेक्ट्रॉनिक्स में कुछ शॉर्ट सर्किट हुए हों जिसके बाद अचानक से कार में लग गई हो. बता दें कि, ये मारुति सुजुकी ऑल्टो (Maruti Alto) कार थी.
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वाहन में क्यों लगती है आग:
कार में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं. आमतौर पर शॉर्ट सर्किट या वाहन के वायरिंग में किसी तरह की फॉल्ट को जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन इसके अलावा भी कुछ अन्य कारण हैं जिनसे आग का खतरा बढ़ जाता है. पुराने वाहनों में वायरिंग और बैटरियां के फॉल्ट के चलते आग लगते हुए देखा गया है, जिससे दुर्घटना होने पर उनमें आग लगने का खतरा बढ़ जाता है.
इसके अलावा कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि, लांग रूट पर देर तक वाहन चलाने से टायर और रोड के बीच घर्षण के चलते भी आग लगे हैं. ऐसी घटनाएं ज्यादातर एक्सप्रेस-वे पर देखने को मिली हैं. एक्सप्रेस-वे के निर्माण में कंक्रीट (Concrete) या सीमेंट का इस्तेमाल ज्यादा होता है. वहीं पारंपरिक सड़कों में बिटुमेन (Bitumen) का इस्तेमाल किया जाता है.
कंक्रीट की सड़के टायर से घर्षण के दौरान ज्यादा हीट उत्पन्न करती हैं. जो कि टायर के स्ट्रक्चर को तेजी से डैमेज करता है. ऐसे में टायर फटने की संभावना बढ़ जाती हैं. चलती कार का टायर सीधे सड़क के संपर्क में रहता है और घर्षण के कारण टायर का तापमान काफी बढ़ जाता है. कई बार टायरों से जलने की दुर्गंध भी आने लगती है. यदि समय रहते इस पर गौर न किया जाए तो ये भी आग लगने का एक कारण बन जाती हैं.
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Hybrid कारों में आग का खतरा:
AutoInsuranceEZ की एक स्टडी की मुताबिक पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रिक कारों के मुकाबले हाइब्रिड कारों में आग लगने का खतरा ज्यादा रहता है. अमेरिकी संस्था की इस स्टडी में नेशनल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड द्वारा 2020 से रिकॉल किए गए वाहनों के उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर विश्लेषण किया गया. इस विश्लेषण में बताया गया है कि, प्रति 1 लाख यूनिट्स बेचे गए वाहनों में सबसे ज्यादा हाइब्रिड कारों में आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं. वहीं दूसरे स्थान पर गैसोलिन यानी पेट्रोल और तीसरे स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहन रहे हैं.
चूंकि अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहन अभी तक पुराने पेट्रोल-डीजल वाहनों की उम्र तक नहीं पहुंचे हैं, इसलिए वर्तमान में ऐसा कोई डेटा नहीं है जो यह दर्शाता हो कि पुराने होने के साथ उनमें बैटरी और इलेक्ट्रिक विस्फोट का खतरा अधिक होगा या नहीं. हालाँकि, इलेक्ट्रिक वाहनों में ओवरचार्जिंग और हाई-ट्रेंप्रेचर के कारण बैटरी में आग लगने का खतरा होता है. ऐसे कुछ मामले हाल के दिनों में भारत में भी देखे गए हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक कारों और स्कूटरों में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं.
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ऑफ्टर मार्केट CNG फीटिंग है खतरनाक:
दूसरी ओर CNG कारों में भी आग लगने की तमाम घटनाएं सामने आ चुकी हैं. हालांकि कंपनी फिटेड सीएनजी कार ज्यादा सेफ मानी जाती हैं. लेकिन कई बार लोग ऑफ्टर मार्केट अपनी कारों में सीएनजी किट लगवा लेते हैं. ये बेहद ही खतरनाक है. क्योंकि कार कंपनियां गाड़ियों को सभी मानकों के अनुसार तैयार करती हैं. इसमें कार के वजन से लेकर, शेप-डिज़ाइन इत्यादि सबकुछ शामिल होता है. दूसरी ओर आफ्टर मार्केट CNG फीटिंग में इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है.
कई बार सीएनजी फ्यूल पंप के वॉल्व या नॉजिल में लीकेज के कारण भी आग लगने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा सीएनजी कारों में कार के पिछले हिस्से में सिलिंडर दिया जाता है. जो कि पीछे से टक्कर होने पर एक विस्फोटक की तरह काम करता है. चूकिं CNG बहुत ही ज्वलनशील गैस है इसलिए कुछ पल में ही आग पूरी कार को अपने ज़द में ले लेती है.
कार में आग लगने के कुछ संभावित कारण:
- दूसरे वाहन से टक्कर होने पर कार में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है.
- इलेक्ट्रिकल फेल्योर या शॉर्ट सर्किट.
- ऑयल या गैस लीक होना.
- पेट्रोल-डीजल या CNG कारों में इंजन का ओवरहीट होना.
- कार का खराब मेंटनेंस.
- कार में स्मोकिंग मैटेरियल जैसे लाइटर, सिगरेट इत्यादि का इस्तेमाल.
- वाहन की बैटरी का डैमेज होना.
- कार की वायरिंग से छेड़छाड़ या उनका डैमेज होना.
सेंट्रल लॉकिंग… आग और बचाव?
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आजकल की आधुनिक कारों में सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम एक सुविधा भी है और आपात स्थिति में खतरा भी बन जाता है. ताजा मामले में भी देखा जा सकता है कि, जैसे ही कार में आग लगी वैसे ही सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम जाम हो गया. दरअसल, आग लगने के चलते इलेक्ट्रॉनिक्स वायरिंग खराब हो जाते हैं जो कि ठीक से फंक्शन नहीं करते हैं. इसलिए सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम काम नहीं करता है और कार सवार बाहर नहीं आ पाता है. ऐसे में अपने कार में हमेशा एक छोटा हथौड़ा (Hammer) रखें जिससे कार के विंडो को तोड़ा जा सके और कार सवार बाहर आ सके. इसके अलावा कार में फायर एक्सटिंगुइशर जरूर रखें जो कि किसी भी आपात स्थिति में काम आ सके.
चलती कार में आग लगने पर क्या करें:
- कार से यदि स्मोक या धुएं की गंध आ रही हो तो तत्काल अपने वाहन को सड़क के किनारे रोकें.
- कार का इंजन बंद करें और तत्काल कार से बाहर आएं.
- यदि दरवाजे जाम हों तो पैनिक न हों और विंडो तोड़कर बाहर आने का प्रयास करें.
- बाहर आने के बाद कार से दूर खड़े हों और आग के बुझने का इंतज़ार करें.
- भूलकर भी कार का बोनट खोलने की कोशिश न करें, इसमें आग हो सकती है.
- इस दौरान पुलिस या फायर ब्रिगेड को फोन कर सूचित करें.