चंडीगढ़। भारत सरकार के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा विभाग ने विशेष टीम का गठन कर मसालों की जांच शुरू कर दी है। इसके अंतर्गत विभाग की पांच फूड सेफ्टी ऑफिसरों की संयुक्त टीम लगातार चंडीगढ़ में मसाला बनाने वाली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से नमूने एकत्र कर विशेष प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि चंडीगढ़ में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के साथ ही रिपैकर्स भी हैं। उन सभी के यहां से पांच से सात मसालों के नमूने लिए जा चुके हैं। उसकी रिपोर्ट नमूना भेजने के 14 दिन बाद मिलेगी। फिलहाल प्रतिदिन की गतिविधि केंद्र को भेजी जा रही है।
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मसालों में एथिलीन ऑक्साइड गैस मिला होता है जिसकी मात्रा तय मानक से ज्यादा होने पर कैंसर का खतरा होने की बात सामने आई है। इसलिए उन मसालों के नमूने जांच के लिए जा रहे हैं, जिसमें इसकी मिलावट की आशंका है।
बता दें कि 5 अप्रैल को हांगकांग के खाद्य नियामक प्राधिकरण-सेंटर फॉर फूड सेफ्टी (सीएफएस) की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत में तीन मसाला उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाले रसायन होते हैं, जिनमें एथिलीन ऑक्साइड नामक कीटनाशक होता है। इसे गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार 24 अप्रैल को ने आदेश जारी कर सभी प्रदेशों में मसालों की जांच करने को कहा है।
क्या है ये एथिलीन ऑक्साइड
एथिलीन ऑक्साइड एक रंगहीन गैस है। रूम टेम्परेचर में रखे होने पर इससे मीठी सी गंध आती है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (NCI) के मुताबिक, इस गैस का उपयोग एथिलीन ग्लाइकोल (एंटी फ्रीज) जैसे केमिकल बनाने में किया जाता है। इसके अलावा इसका इसे टेक्सटाइल, डिटर्जेंट, फोम, दवाएं एडहेसिव और सॉल्वेंट्स बनाने में उपयोग किया जाता है।
खाने के मसालों में भी इसका थोड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है, ताकि ई. कोलाई और साल्मोनेला जैसे माइक्रोबायल कंटेमिनेशन को रोका जा सके। अस्पतालों में इसका इस्तेमाल सर्जिकल इक्विपमेंट को साफ करने में भी किया जाता है।
कितना खतरनाक है ये
इस केमिकल के संपर्क में रहते हैं या सेवन करते हैं तो कैंसर के साथ ही इससे आंखों, त्वचा, नाक, गले और फेफड़ों में जलन हो सकती है। ये दिमाग और नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा सकता है।