हाइलाइट्स
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अमेरिका में खूब बिकते हैं ये केमिकल्स
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कॉस्मेटिक्स में बैन है रेड डाई
अमेरिकी स्टेट कैलिफोर्निया खाने में केमिकल (फूड कलर) के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाला पहला राज्य बन गया है. इनमें से ज्यादातर केमिकल्स का इस्तेमाल फूड कलर के तौर पर किया जाता है. 2027 से इस फैसले पर अमल किया जाएगा. जिन चार रसायनों पर बैन लगाने की बात कही गई है वो हैं..Red dye No. 3, Potassium Bromate, Brominated vegetable oil और Propylparaben.
अमेरिका में खूब बिकते हैं ये केमिकल्स
डेमोक्रेट गेविन न्यूजॉम के असेंबली बिल 418 पर साइन करने के बाद ये कानून बन गया. ये चारों इंग्रिडियेंट्स यूरोपियन यूनियन और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में गैरकानूनी रूप से बनाए जाते हैं और अमेरिका में बिकने वाले सामानों जैसे ऑरेंज सोडा, आइसिंग, बर्गर रोल और कैंडीज में पाए जाते हैं. ये केमिकल्स बच्चों में हाइपर एक्टिविटी से लेकर कैंसर तक की समस्याओं से जुड़े हुए हैं.
खाने को आकर्षक बनाने के लिए होता है इस्तेमाल
इस कानून के जरिए किसी भी तरह के फूड को बैन करने के बजाय उन खाद्य उत्पादों की तलाश की जाएगी जोकि इन केमिकल्स की जगह पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इससे फूड कंपनिया केमिकल रहित सामाग्री बनाने को मजबूर होगी. इससे लोग हानिकारक रसायनों के बिना वो सभी फूड आइटम्स खा पाएंगे जो उन्हें पसंद हैं.स्टेट के इस फैसले से फूड कंपनियां देशभर में बेचे जाने वाले 12,000 से अधिक उत्पादों के लिए इंग्रेडिएंट्स में बदलाव करने पर मजबूर होंगी. इन केमिकल्स का इस्तेमाल खाने को ज्यादा आकर्षक बनाने से लेकर उसे लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए किया जाता है.
कॉस्मेटिक्स में बैन है रेड डाई
एफडीए ने पहले ही कॉस्मेटिक्स में रेड डाई नंबर 3 पर बैन लगाया है. कई अध्ययनों से ये पता चलता है कि रेड डाई नंबर 3 की हाई डोज जानवरों में कैंसर का कारण बनती है. बावजूद इसके आर्टिफिशियल कलर अभी भी खाद्य पदार्थों और दवाओं को चमकदार लाल रंग देने के लिए उपयोग किया जाता है. अध्ययनों से ये भी पता चला है कि आर्टिफिशियल फूड कलर बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याओं से जुड़े हैं.
कैंसर से जुड़े हैं ये केमिकल्स
इसके अलावा पोटेशियम ब्रोमेट का इस्तेमाल आटे में किया जाता है जोकि रोटी को स्पॉन्जी बनाने में मदद करता है, इसे भी कैंसर से जोड़ा गया है. वहीं ब्रोमिनेटेड वेजिटेबल ऑइल, खट्टे पेय पदार्थों में इस्तेमाल होता है जोकि जानवरों में व्यवहार और प्रजनन संबंधी दिक्कतों से जुड़ा हुआ है. इसी तरह propylparaben का इस्तेमाल कॉस्मेटिक में होता है जोकि एस्ट्रोजेन (सेक्स हार्मोन) को प्रभावित करता है.
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