Dehradun News: जले हुए तेल में पकाए जा रहे फास्ट फूड, मिठाई और समोसे


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Iस्वास्थ्य के साथ किया जा रहा खिलवाड़, खाकर लोग पड़ सकते हैं बीमार

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Iखाद्य सुरक्षा विभाग की जांच मशीन पड़ी है खराबI

पंचोत्सव शुरू होने जा रहा है। इस दौरान मिठाई, नमकीन और तले हुए ड्राई फ्रूट्स की जमकर बिक्री होती है। कई मिठाइयों और नमकीन को तेल में तला जाता है। इन दिनों फास्ट फूड की दुकानों में भी जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है। कई दुकानदार मिठाई, नमकीन और फास्ट फूड को एक ही तेल में बार-बार तल रहे हैं। जबकि एक ही तेल का तीन बार से अधिक प्रयोग नहीं कर सकते हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग नए खाद्य तेल के सैंपल तो ले रहा है। लेकिन मशीन खराब होने से दुकानों से इस्तेमाल हो रहे खाद्य तेल की जांच और सैंपलिंग नहीं की जा रही है।

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के मानकों के अनुसार खाद्य वस्तुओं को तलने के लिए तीन बार से अधिक तेल का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। जले हुए तेल में बने खाद्य पदार्थ और उसके जलने से निकला धुंआ दोनों ही लोगों को गंभीर बीमारी दे सकते हैं। लेकिन विकासनगर, हरबर्टपुर, सहसपुर और सेलाकुई में इस बात से बेखबर लोग जले हुए तेल में बनी खाद्य वस्तुओं को बड़े चाव से खा रहे हैं।

सेलाकुई से विकासनगर के बीच करीब 310 छोटे-बड़े फास्ट फूड सेंटर हैं। अधिकांश फास्ट फूड सेंटरों में स्प्रिंग रोल, वेज कबाब, वेज मंचूरियन बॉल्स, फिंगर चिप्स, फ्राइड मामोज, चाऊमीन आदि को बार-बार प्रयोग हो रहे तेल में तला जा रहा है। वहीं कई दुकानों में समोसे, शक्कर पारे, नमक पारे, कचौड़ी, नमकीन, भटूरे, पूरी आदि भी जले हुए तेल में पकाए जा रहे हैं।

कई मिठाइयों को चाशनी में डालने से पहले तेल में तला जाता है। दिवाली का त्योहार चल रहा है मिठाई तो लगातार बन रही है। लेकिन अधिकांश कारीगरों को तेल बदलने का ध्यान नहीं आ रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक जले हुए तेल से दिल की बीमारी के साथ कैंसर जैसे गंभीर रोग की आशंका बढ़ जाती है।

Iडोम 24 मशीन से होती है खाद्य तेल की जांचI

खाद्य तेल की जांच के लिए खाद्य पूर्ति विभाग को डोम 24 मशीन दी गई है। वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि तेल के बार-बार प्रयोग या जलने से उसमें फ्री रेडिकल और पोलर कंपाउंड बनते हैं। डोम 24 मशीन तेल में टोटल पोलर कंपाउंड (टीपीसी) के स्तर की जांच करती है। छह से 25 तक की टीपीसी रीडिंग देने वाला तेल खाने योग्य होता है। यह मशीन तुंरत तेल की टीपीसी रीडिंग बता देती है। मशीन 400 डिग्री सेल्सियस तक गर्म तेल में भी काम करती है।

Iतेल को एकत्र करें और 20 रुपये लीटर बेचेंI

देहरादून में भारतीय प्रेट्रोलियम, खाद्य एवं औषधि विभाग और एसडीसी फाउंडेशन रिपर्पज यूज्ड कुकिंग ऑयल अभियान चला रहीं है। वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि प्रयोग किए हुए खाद्य तेल से बायोडीजल बनाया जाता है। जले हुए खाद्य तेल को 20 रुपये लीटर की दर से खरीदा जाता है। उन्होंने बताया कि जले हुए तेल का करीब 90 फीसदी बायोडीजल बन जाता है। व्यापारी तेल को एकत्र करने के बाद में उसको बेच सकते हैं।

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Iजले हुए तेल है गंभीर बीमारीI

उप जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विजय सिंह ने बताया कि जले हुए तेल में फ्री रेडिकल्स की मात्र खतरनाक स्तर तक बढ़ जाती है। तेल को बार-बार गर्म करने से उसमें एलडीएल (लो डेंसिंटी कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा बढ़ जाती है। यह कोलेस्ट्रॉल हृदय के लिए खतरनाक होता है। ऐसे तेल में बने भोजन से हृदयघात का खतरा बढ़ जाता है। बताया कि जले हुए तेल में एसिड की मात्र बढ़ जाती है। इससे एसिडिटी और पेट की बीमारियां होने लगती हैं। लंबे समय तक परेशानी बनी रहने पर लीवर संबंधित रोग भी होने की आशंका रहती है। बताया कि तेल को कई बार गर्म करने से उसमें से 4-हाइड्रॉक्सी-ट्रांस-2-नॉमिनल (एचएनई) निकलता है। बताया कि अल्जाइमर, डिमेंशिया और पार्किंसंस जैसे रोग हो सकते हैं। जले हुए तेल में कार्सिनोजेनिक और एल्डिहाइड जैसे हानिकारक तत्व बन जाते हैं। इनसे कैंसर का खतरा होता है।

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Iमशीन खराब होने कारण इस्तेमाल हुए तेल की जांच नहीं हो पा रही है। मशीन ठीक होते ही जांच के लिए अभियान चलाया जाएगा। तीन बार से अधिक तेल का प्रयोग करने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई की जाएगी। – संजय तिवारी, वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी, विकासनगरI


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