Dehradun News: तीन रुपये का नाश्ता और चार रुपये का खाना खाकर सेहतमंद हो रहे आंगनबाड़ी के बच्चे


Iबच्चों को तीन रुपये में नाश्ता और पांच रुपये में खाना देने का प्रावधानI

आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए सरकार तीन रुपये में नाश्ता और चार रुपये में दोपहर का खाना दे रही है। इतने कम बजट में बच्चों को भरपेट संतुलित आहार मिलना मुश्किल हो रहा है। आंगनबाड़ी संचालकों की मजबूरी है कि उन्हें इतने बजट में ही आहार देना है। सरकार बच्चों को एक दिन के कुक्ड फूड के लिए सात रुपये दे रही है। यह पैसा भी आंगनबाड़ी केंद्र को नियमित नहीं मिल पा रही है।

आंगनबाड़ी केंद्रों पर तीन से छह साल के बच्चे पढ़ते हैं। उन्हें वहीं बनाकर कुक्ड फूड देना सुनिश्चित किया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुक्ड फूड बना रही हैं, लेकिन उन्हें इसका भुगतान भी समय पर नहीं हो रहा है। उन्हें अपना खर्च लगाकर खाना बनाना पड़ रहा है। इसके बाद भी उन्हें नोटिस आ रहे हैं। सहसपुर परियोजना स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता रजनी गुलेरिया ने बताया कि हमें नोटिस भेजा गया है कि अगर बच्चों को खाना बनाकर नहीं खिलाओगी तो आपको जवाब देना होगा। कुक्ड फूड बनाने का काम अगस्त से शुरू कर दिया था। अगस्त का पैसा तो आ गया, लेकिन सितंबर और अक्टूबर का पैसा अबतक नहीं आया है। इसके अलावा मोटे अनाज में गेंहू और चावल भी दो महीने से नहीं आया है।

I- दाल, सब्जी, घी, तेल भी नहीं मिल पा रहाI

उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष सुशीला खत्री ने बताया कि गेहूं और चावल के साथ में दाल भी दी जाती थी। गत दिसंबर से दाल आना बंद हो गई। सिर्फ गेहूं और चावल ही दिया जा रहा है। सरकार ने कुक्ड फूड का बजट इतना कम रखा है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उस बजट में बच्चों को खाना पूरा नहीं उपलब्ध करवा पा रही हैं। बच्चों को चावल और गेहूं अगर सरकार दे भी रही है तो इनते पैसे तो दिए जाएं जिससे दाल, सब्जी, घी और तेल खरीदा जा सके।

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Iबच्चों को जो गेहूं और चावल दिया जा रहा वह पकाकर बच्चों को खिलाना है। यह पैसा सिर्फ तेल, घी और मसालों के लिए दिया जा रहा है। यह भारत सरकार की योजना है और हर जगह इतना ही पैसा जा रहा है।

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Iजितेंद्र कुमार, डीपीओ, बाल विकास एवं महिला सशक्तीकरण विभागI


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