देवरिया रोडवेज परिसर में सवारी भरता ईरिक्शा चालक।संवाद
अमर उजाला लाइव
..फोटो
ऑटो चालक डबल किराया की कोशिश में रोडवेज स्टेशन से प्राइवेट बसों तक पहुंचा रहे यात्री
रोडवेज बसों की कमी और असुविधाओं के कारण भरमा रहे हैं दलाल
संवाद न्यूज एजेंसी
देवरिया। रोडवेज बस स्टेशन से यात्रियों को बरगलाकर निजी बसाें तक पहुंचाने का खुला खेल चल रहा है। इसमें कमीशन की सेटिंग है। यात्रियों को पहुंचाने में ऑटो चालकों को डबल किराया मिल रहा है। ऐसी स्थिति में यात्रियों की परेशानी के साथ रोडवेज को भी चूना लग रहा है। अधिकारी इस खेल को रोकने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।
देवरिया डिपो परिसर में उपलब्ध बसें यहां हर रोज आने वाले यात्रियों की जरूरतें नहीं पूरी कर पा रही हैं। इसका लाभ एक से दो किलोमीटर दूर खड़े रहने वाले डग्गामार वाहन वाले उठा रहे हैं। वे टेंपो व ई-रिक्शा चालकों से सेटिंग कर रोडवेज की सवारी अपने पास मंगा ले रहे हैं। डग्गामार वाहनों से इस एवज में उन्हें तय रेट भी मिल जाता है।
मंगलवार की दोपहर 1:10 बजे कुछ ऐसा ही दृश्य बस अड्डे पर दिखा। परिवार में एक सफेद बाल वाले व्यक्ति सहित दो गैर विभागीय लोग परिचालकों और चालकों के बीच बातें कर रहे थे। मौका मिलते ही यात्रियों से बातचीत करके ऑटो से निजी बसाें के अड्डे पर भेज रहे थे।
एक कर्मचारी ने बताया कि इन दोनों को कोई रोकने वाला नहीं है। क्योंकि इनके यहां से सवारी उठाने के और भी कारण हैं? एक परिचालक ने बताया कि रोडवेज बसों में सवारी कम होती है तो लोड फैक्टर कम हो जाता है। अधिकारी इनके खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं।
धूप में खड़े थे यात्री
परिसर में मौजूद ई-रिक्शा वाले बसों का इंतजार कर रहे यात्रियों से बात करने के बाद उन्हें रुद्रपुर मोड़ व सोनूघाट तक पहुंचाने की बात करते दिखे। वे वहां से उन्हें आसानी से बस में बैठा देने व समय से घर पहुंच जाने का झांसा दे रहे थे। बस के आने में देरी होते देखकर कई यात्री उनके साथ हो भी लिए। ऐसे में यात्रियों को ई-रिक्शा व टेंपो वालों को तो किराया देना ही पड़ा, डग्गामार वाहन वालों को भी किराया देकर अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ती है। रोडवेज परिसर में बसे मिलने में देर हाेती है। बैठने और आराम करने की जगह भी नहीं है। काफी संख्या में यात्री धूप में खड़े होकर बसों का इंतजार करते दिखे।
बसों व चालकों-परिचालकों की कमी बढ़ा रही परेशानी
संसाधनों की कमी भी यात्रियों की समस्या बढ़ा रही है। बसें कुल 197 हैं। विभागीय नियमों के अनुसार, 426 परिचालक चाहिए, जबकि 302 से काम चलाया जा रहा है। निगम की 69 बसों के सापेक्ष चालक 149 चाहिए, जबकि केवल 107 से की संचालन व्यवस्था संभाली जा रही है।
हर रोज वर्कशाॅप में खड़ी थीं 15 बसें
रोडवेज वर्कशाॅप में मंगलवार को 13 बसें खड़ी थीं। रोडवेज की बसें अक्सर रास्ते में खड़ी हो जा रही हैं। देवरिया से बिरनी जाने वाली बस मुरासो में दो दिन पहले सड़क पर खराब हो गई थी और मंगलवार को टोचन करके लाई गई।
रोडवेज के पास वर्तमान में निगम की 69 एवं अनुबंधित 129 बसें हैं। इसमें निगम की 69 बसों में 15 से 20 बसें अक्सर खराब ही रहती हैं। इससे संचालन व्यवस्था प्रभावित हो रही है। वर्कशाॅप में मरम्मत व जो पार्ट्स लगने हैं, उसके अभाव में दो से तीन दिन तक बसों का खड़ा रहना यात्रियों की परेशानी को बढ़ा देता है। जिम्मेदार समस्या को जानते हुए कोई गंभीर पहल नहीं करते।
यात्रियों का सौदा करने पर डबल किराया
एक परिचालक ने बताया कि यात्रियों काे बहला-फुसलाकर रोडवेज परिसर से निजी बसों के पास पहुंचाने में ऑटो चालकों को डबल किराया मिल जाता है। वे यात्रियों को बताते हैं कि वहां बस कई घंटे नहीं मिलेगी। निजी बसों में भी उतना ही किराया लगेगा। ऑटो चालक यात्रियों से किराया वसूलते हैं और उन्हें बस वालों से भी यात्रियों का किराया मिल जाता है।
इन रूटों पर नहीं चलती हैं बसें
वर्तमान में देवरिया से हाटा, हेतिमपुर, प्रतापपुर, कुकुरघाटी, रतसिया कोठी, बारादीक्षित आदि जगहों पर बसें नहीं चलती हैं। ऐसे में इन रूटों पर प्राइवेट वाहनों का एकछत्र राज चलता है। इन मार्ग पर वह अपने हिसाब से किराया तय करते हैं। जो रोडवेज के किराए से डेढ़ से दोगुना तक होता है।
स्पीकअप
ऑटो वाले यहां से निजी बसाें के पास पहुंचा देते हैं। निजी बसाें में यात्री कम हो जाते हैं तो रास्ते में उतार देते हैं। निजी बस जगह-जगह रुकती है तो अधिक समय लग जाता है।
-सत्यप्रकाश यादव, सोगड़ी बरहज
मैं तो रोडवेज बस से ही जाना चाहता हूं। निजी बसों के चालक सवारी मिलने पर तेज चलाते हैं। रोडवेज बस की यात्रा सुरक्षित होती है। यहीं कारण है कि मैं काफी देर इंतजार करके भी रोडवेज से ही यात्रा करता हूं।
-परशुराम, मधुबन मऊ
मैं पडरौना से आया हूं। दो घंटे से आजमगढ़ के लिए बस का इंतजार कर रहा हूं। ऑटो चालक ने बताया कि आगे बस मिलेगी, लेकिन मैं गया नहीं। पता नहीं वे ले जाएंगे तो कैसी बस मिलेगी।
-हरिकेश सिंह, पडरौना
हाटा, खामपार, भाटपाररानी, मैरवा आदि जगहों के लिए रोडवेज बसें कम ही चलती हैं। ऐसे में प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना मजबूरी है। कई बार ऑटो वाले भरमाकर बैठा तो लेते हैं, लेकिन मनमानी किराया वसूलते हैं।
-सत्यप्रकाश, खामपार
यात्रियों को बसें समय से मिलें, इसके लिए जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, पूरा किया जाता है। परिसर में बसों के अलावा किसी अन्य वाहन के प्रवेश करने पर मनाही है। ई-रिक्शा व टेंपो वाले आ रहे हैं तो इस पर रोक लगाई जाएगी।
– मो. इरफान, एआरएम देवरिया डिपो
शहर में चिह्नित स्थानों पर ही ई-रिक्शा व टेंपो वाले खड़े हों। यह हर रोज सुनिश्चित किया जाता है। मनमानी करने पर इनके खिलाफ चालान की कार्रवाई भी की जाती है। डग्गामार वाहनों के खिलाफ भी अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। उन्हें शहर से बाहर ही खड़े होने की अनुमति दी गई है।
-भूपेंद्र सिंह, टीएसआई