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lekhaka-Aarti Kumari
Food
Wastage:
क्या
हम
भारतीय
दुनिया
में
सबसे
ज्यादा
खाना
बर्बाद
करते
हैं?
रोम
स्थित
खाद्य
और
कृषि
संगठन
की
रिपोर्ट
के
अनुसार
भारत
में
हर
साल
इतना
भोजन
फेंक
देते
हैं
जिनको
उपजाने
में
हम
10
करोड़
लोगों
के
पीने
लायक
पानी
का
इस्तेमाल
कर
देते
हैं।
चीन
खाना
बर्बाद
करने
वाला
दूसरा
सबसे
बड़ा
देश
है
तो
भूख
से
परेशान
पाकिस्तान
इस
मामले
में
तीसरे
स्थान
पर
है।
पिछले
महीने
प्रकाशित
इस
रिपोर्ट
में
यह
भी
कहा
गया
है
कि
वैश्विक
स्तर
पर,
उत्पादित
भोजन
का
एक
तिहाई
बर्बाद
हो
जाता
है,
जिससे
विश्व
अर्थव्यवस्था
को
लगभग
750
बिलियन
डॉलर
(47
लाख
करोड़
रुपये
से
अधिक)
का
नुकसान
होता
है।
भारत
और
चीन
मिलकर
हर
साल
1.3
अरब
टन
भोजन
की
बर्बादी
के
जिम्मेदार
हैं।
यह
शर्मनाक
सच्चाई
है
कि
मौजूदा
दौर
में
दुनिया
के
करीब
82
देशों
में
84
करोड़
से
ज्यादा
लोग
भूखे
रहने
पर
मजबूर
होते
हैं।
यह
दुनिया
की
कुल
आबादी
का
लगभग
10वां
हिस्सा
है।
इनमें
से
लगभग
35
करोड़
लोग
तो
भीषण
खाद्य
संकट
से
जूझ
रहे
हैं।
जीने
के
लिए
सबसे
जरूरी
भोजन,
पानी
और
हवा
जैसी
बुनियादी
चीजों
में
भोजन
को
लेकर
लोगों
की
लापरवाही
और
दुनिया
का
हाल
दोनों
एक
दूसरे
के
विरोधाभासी
है
कोविड
के
बाद
दुनिया
में
भुखमरी
की
हालत
पहले
दुनिया
में
भूख
की
बात
करें
तो,
संयुक्त
राष्ट्र
की
ईकाई
वर्ल्ड
फूड
प्रोग्राम
के
आंकड़ों
के
अनुसार
कोविड-19
महामारी
से
ठीक
पहले
साल
2019
में
दुनिया
में
13.5
करोड़
लोग
भीषण
खाद्य
संकट
से
जूझ
रहे
थे।
कोविड-19
का
खतरा
कम
होने
के
बाद
साल
2022
की
शुरुआत
में
इनकी
संख्या
बढ़कर
28.2
करोड़
हो
गई
और
अब
साल
2023
की
शुरुआत
में
इनकी
संख्या
दुनिया
के
82
देशों
में
35
करोड़
तक
पहुंच
गई।
संयुक्त
राष्ट्र
के
खाद्य
एवं
कृषि
संगठन
के
अनुसार
साल
2021
में
दुनिया
भर
में
सिर्फ
भूख
की
वजह
से
पांच
लाख
से
ज्यादा
लोगों
की
मौत
हो
गई।
इस
संस्था
की
ओर
से
एक
साल
पहले
जारी
क्रॉप
प्रॉस्पेक्ट्स
एंड
फूड
सिचुएशन
रिपोर्ट
के
अनुसार
दुनिया
के
45
देशों
में
करीब
पांच
करोड़
लोग
अकाल
जैसी
हालत
में
हैं।
इन
देशों
में
अफ्रीका
के
33,
एशिया
के
नौ,
लैटिन
अमेरिका
के
दो
और
यूरोप
के
एक
देश
का
नाम
शामिल
है।
बिना
बाहरी
मदद
के
वहां
के
लोगों
के
लिए
भूखों
मरने
की
नौबत
है।
वहीं
डब्लूऍफ़पी
ने
साफ
कहा
है
कि
बीते
महज
पांच
साल
में
दुनिया
में
अकाल
का
सामना
कर
रहे
लोगों
की
संख्या
10
गुना
बढ़
गई
है।
ये
सब
हालत
तब
हैं,
जबकि
दुनिया
भर
में
भूख
से
पीड़ितों
की
बदहाली
की
ओर
ध्यान
खींचने
और
सेहतमंद
भोजन
के
लिए
जागरूकता
बढ़ाने
के
लिए
खाद्य
एवं
कृषि
संगठन
16
अक्टूबर
1979
से
ही
हर
साल
वर्ल्ड
फूड
प्रोग्राम
की
देखरेख
में
खाद्य
दिवस
मनाता
आ
रहा
है।
भारत
में
कितना
खाना
होता
है
बर्बाद
भूख
की
भयानक
हालत
से
रूबरू
होने
के
बाद
चौंककर
शर्मिंदा
होने
की
वजह
तब
आती
है
जब
हम
दुनिया
भर
में
भोजन
की
बर्बादी
के
आंकड़ों
से
दो-चार
होते
हैं।
खाद्य
संकट
बढ़ाने
में
भोजन
की
बर्बादी
की
बड़ी
भूमिका
है।
संयुक्त
राष्ट्र
पर्यावरण
कार्यक्रम
की
2022
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
दुनियाभर
में
साल
2019
में
93.1
करोड़
टन
खाद्य
सामग्री
यानी
भोजन
बर्बाद
हुआ।
यह
दुनिया
के
कुल
खाद्य
उत्पादन
का
17
प्रतिशत
है।
बर्बाद
भोजन
में
घरेलू
खाना
का
हिस्सा
सबसे
ज्यादा
61
फीसदी
है।
वहीं,
26
फीसदी
भोजन
फूड
सर्विस
में
और
13
फीसदी
खाद्य
सामग्री
रिटेल
फूड
चेन
में
बर्बाद
हुआ
है।
भारत
में
इसकी
भयावहता
का
आलम
यह
है
कि
यहां
हर
एक
इंसान
हर
साल
औसतन
50
किलो
खाना
बर्बाद
कर
देता
है।
देश
में
यह
खाना
लगभग
उतना
है,
जितना
देश
में
एक
साल
में
पैदा
हुए
तिलहन,
गन्ना
और
बागवानी
का
कुल
उत्पादन
होता
है।
हालांकि,
एशिया
और
दुनिया
के
ज्यादातर
देश
तो
इस
मामले
में
भारत
से
काफी
आगे
हैं।
सबसे
ज्यादा
खाद्य
संकट
झेल
रहे
अफ्रीका
और
लैटिन
अमेरिका
के
कई
देशों
में
भोजन
बर्बादी
का
प्रति
व्यक्ति
औसत
तो
100
किलो
से
भी
ज्यादा
है।
इससे
साफ
जाहिर
होता
है
कि
भोजन
की
बर्बादी
का
भीषण
खाद्य
संकट
से
सीधा
रिश्ता
है।
सिर्फ
खाना
बचाना
शुरू
करके
दुनिया
के
कई
देशों
के
लोगों
को
भुखमरी
की
हालत
से
बाहर
लाया
जा
सकता
है।
वर्ल्ड
फूड
वेस्ट
की
रैंकिंग
में
चीन
का
हाल
बदतर
पर्यावरण
के
क्षेत्र
में
काम
करने
वाली
वेबसाइट
ग्रीनली
ने
अपनी
हालिया
रिपोर्ट
में
साल
2023
के
वैश्विक
खाद्य
अपशिष्ट
के
बारे
बताया
कि
चीन
और
भारत
दुनिया
भर
में
किसी
भी
अन्य
देश
की
तुलना
में
हर
साल
अनुमानित
92
मिलियन
और
69
मिलियन
मीट्रिक
टन
से
अधिक
घरेलू
खाद्य
अपशिष्ट
पैदा
करते
हैं।
यह
आश्चर्य
की
बात
नहीं
है,
क्योंकि
दोनों
देशों
की
आबादी
विश्व
स्तर
पर
अब
तक
की
सबसे
बड़ी
आबादी
है।
अक्सर
माना
जाता
है
कि
भोजन
की
बर्बादी
अमीर
देशों
में
ज्यादा
होती
है,
लेकिन
इससे
उलट
प्रति
व्यक्ति
भोजन
की
बर्बादी
के
मामले
में
विकसित
और
विकासशील
देशों
के
बीच
काफी
समानताएं
हैं।
भोजन
के
सामानों
की
बर्बादी
के
सामाजिक
प्रभाव
भी
होते
हैं
जो
हम
सभी
को
प्रभावित
करते
हैं।
इससे
न
केवल
वर्ल्ड
इकोनॉमी
को
हर
साल
सैकड़ों
अरब
डॉलर
का
नुकसान
होता
है
और
संसाधनों
की
कमी
होती
है,
बल्कि
यह
पर्यावरण
को
भी
भारी
नुकसान
पहुंचाता
है
और
जलवायु
संकट
में
योगदान
देता
है।
आमतौर
पर
फूड
वेस्ट
को
लैंडफिल
साइटों
पर
फेंक
दिया
जाता
है।
वहां
सड़
कर
यह
बड़ी
मात्रा
में
मीथेन
गैस
पैदा
करता
है।
एक
शक्तिशाली
ग्रीनहाउस
गैस
मीथेन
के
दुष्प्रभाव
से
शायद
ही
कोई
अनजान
हो।
खाद्य
अपशिष्ट
वैश्विक
खाद्य
प्रणाली
ग्रीनहाउस
गैस
उत्सर्जन
का
अनुमानित
नौ
प्रतिशत
है।
यह
साल
2015
में
कुल
17.9
बिलियन
मीट्रिक
टन
CO2
के
बराबर
था।
जिनपिंग
के
दावों
को
लगा
पलीता
ग्लोबल
हंगर
इंडेक्स
में
अपने
देश
भारत
का
खराब
रैंक
बताया
जाता
है।
ग्लोबल
हंगर
इंडेक्स
में
साल
2020
में
भारत
94वें
नंबर
पर
था।
साल
2021
में
सात
पायदान
फिसलकर
101वें
नंबर
पर
जा
पहुंचा
और
साल
2023
में
107वें
नंबर
पर
बताया
जा
रहा
है।
इसे
देखकर
चिंता
होना
स्वाभाविक
है।
हाल
ही
में
चीन
के
राष्ट्रपति
शी
जिनपिंग
के
गरीबी-मुक्त
देश
होने
के
दावे
को
लगातार
भुखमरी
की
खबरें
पलीता
लगा
रही
हैं।
ग्लोबल
टाइम्स
ऑफ
चाइना
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
चीन
में
ऑपरेशन
‘क्लीन
योर
प्लेट’
कैंपेन
शुरू
कर
बताया
जा
रहा
है
कि
थाली
में
उतना
ही
खाना
लें,
जितनी
भूख
हो।
खाद्य
सामग्री
की
कमी
के
कारण
चीन
का
काफी
लोकप्रिय
लाइव
और
वेबकास्ट
शो
मुकबंग
खतरे
में
आ
गया
है।
चाइना
नेशनल
रेडियो
के
मुताबिक
इस
शो
के
दौरान
होस्ट
ढेर
सारा
खाना
खाते
हुए
दिखता
है।
शो
के
जरिए
करोड़ों
कमाने
वाले
होस्ट
चीन
में
स्टेट
मीडिया
की
कड़ी
आलोचना
से
जूझने
पर
मजबूर
है।
चीनी
मीडिया
सरेआम
ऐसे
होस्ट
को
भुखमरी
का
गुनाहगार
ठहरा
रहा
है।
माना
जा
रहा
है
कि
इस
टीवी
शो
पर
जल्द
ही
आधिकारिक
तौर
पर
रोक
लगाई
जा
सकती
है।
खाद्य
संकट
से
मुकाबला
करने
का
क्या
है
कारगर
उपाय
360इंफो
डॉट
ओआरजी
की
एक
रिपोर्ट
में
अनुमान
जताया
गया
है
कि
दुनिया
भर
में
खाद्यान्न
का
लगभग
30
प्रतिशत
फसल
खाने
की
प्लेट
तक
नहीं
पहुंच
पाता
है।
लिहाजा
इसकी
पैदावार
में
लगने
वाला
बीज,
पानी,
भूमिगत
खनिज
और
मानव
श्रम
जैसे
संसाधन
बर्बाद
हो
जाते
हैं।
खाद्यान्न
की
इस
बर्बादी
को
वितरण
की
प्रभावशाली
सप्लाई
और
उचित
पैकिंग
के
जरिए
रोका
जा
सकता
है।
भारत
के
मामले
में
बीते
दिनों
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
भी
अपने
मासिक
रेडियो
कार्यक्रम
मन
की
बात
में
भोजन
की
बर्बादी
को
रोकने
की
अपील
की
थी।
हम
थोड़ा
गंभीर
और
जागरूक
होकर
रहें
तो
भोजन
की
बर्बादी
को
बड़े
पैमाने
पर
रोकने
में
योगदान
कर
सकते
हैं।
इन
उपायों
में
जरूरत
से
ज्यादा
भोजन
न
बनाना,
थाली
में
खाने
से
ज्यादा
सामान
नहीं
लेना,
समारोहों
को
बेहद
खर्चीला
नहीं
बनाना,
खाद्य
सामग्रियों
के
भंडारण
और
वितरण
में
उचित
रख-रखाव
के
नियमों
का
पालन
करना,
गरीबों
तक
हरसंभव
तरीके
से
खाना
पहुंचाने
में
मदद
करना,
खाना
बचाने
की
सरकारी
और
गैरसरकारी
योजनाओं
में
हाथ
बंटाना
जैसे
कारगर
काम
शामिल
हैं।
इसके
अलावा
भारतीय
प्राचीन
ज्ञान
परंपरा
में
जैसा
खाए
अन्न
वैसा
हो
मन,
अन्न
ब्रह्म
है,
भोजन
प्रसाद
है,
जूठन
नहीं
छोड़ना,
उतना
ही
लें
थाली
में
जो
व्यर्थ
न
जाए
नाली
में,
मिल-बांटकर
खाना,
कोई
भूखा
न
रह
जाए,
खेती
और
किसानी
को
महत्व
देने,
भंडारा-लंगर
लगाने
जैसे
प्रेरक
सूत्रों
और
कामों
को
अपने
जीवन
में
अमल
करना
भी
खाद्य
संकट
को
मिलकर
पराजित
करने
का
सटीक
उपाय
हो
सकता
है।
Tea:
रोचक
है
चाय
के
भारत
आने
की
कहानी
English summary
Hunger and Food Wastage of billions of tonnes who is responsible after all