नई दिल्ली: इसे विडंबना ही कहेंगे कि कुछ लोगों को बड़े आराम से दो जून की रोटी नसीब होती है और कुछ लोगों का पेट भी नहीं भरता। जी हां, आज विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर इतना याद रखिएगा जो खाना हम प्लेट में डस्टबिन के लिए छोड़ रहे हैं, वह किसी का पेट भर सकता था। शादियों या पार्टियों में ही नहीं, कुछ लोगों की तो रोज की आदत होती है कि वे कुछ खाना यूं ही छोड़ देते हैं। भुखमरी और कुपोषण से दुनिया को बचाने के लिए खाद्य दिवस हर साल मनाया जाता है। लोगों को जागरूक किया जाता है लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2023 में भारत की स्थिति काफी चिंताजनक है। 125 देशों में भारत 111वें स्थान पर रहा है। सरकारों के सामने विशाल आबादी के लिए भोजन उपलब्ध कराना चुनौती है लेकिन एक छोटी पहल हर किसी को करनी होगी। कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं कि खाना जरूरत के हिसाब से बनाएं और प्लेट में उतना ही भोजन लें जितना खा सकें। वैसे भी भारत में प्राचीन काल से गरीबों को भोजन कराने की परंपरा रही है। अगर थोड़ा भोजन बचाकर किसी का पेंट भर सकें तो इससे बड़ा पुण्य का काम क्या होगा।
एक तिहाई भोजन बर्बाद हो रहा
- संयुक्त राष्ट्र की कुछ साल पहले की एक रिपोर्ट बताती है कि हर साल जितना खाना बर्बाद होता है उसे तैयार करने में 3.3 अरब टन ग्रीनहाउस गैसें धरती के वायुमंडल में चली जाती हैं।
- हर साल दुनिया के कृषि क्षेत्र के करीब 30 प्रतिशत हिस्से (1.4 अरब हेक्टेयर भूमि) से जो खाद्यान्न पैदा किया जाता है वह बर्बाद हो जाता है।
- इसका पर्यावरण पर असर होने के साथ ही खाद्यान्न उगाने वालों को भी अरबों का नुकसान होता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि किसानों, मछुआरों, खाद्य प्रसंस्करण और सुपरमार्केट से जुड़े लोगों को भोजन की बर्बादी रोकने का प्रयास करना चाहिए।
- 2013 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 8.7 करोड़ लोगों को भूख झेलनी पड़ी। आज भी यह आंकड़ा ज्यादा घटा नहीं है।
तीन में से एक शख्स का पेट भरा नहीं
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में दुनिया में तीन में एक आदमी को पर्याप्त भोजन नहीं मिला। कोरोना काल के बाद स्थिति थोड़ी और बिगड़ी है। हेल्दी डाइट दुनिया के करीब 3 अरब लोगों की पहुंच से बाहर थी।
- 2020 का साल कोरोना से बुरी तरह प्रभावित रहा। उस साल 7 से 8 करोड़ लोगों को भूखे रहना पड़ा था।
- एक्सपर्ट का मानना है कि 2030 में भी करीब 6.6 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाएगा। इसकी एक बड़ी वजह वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर कोविड-19 महामारी का दीर्घकालिक प्रभाव भी है।
- 2030 तक भूख झेलने वाले लोगों की तादाद अमेरिका की मौजूदा आबादी से दोगुनी या ब्राजील से तीन गुना ज्यादा हो सकती है।
- एक अनुमान के मुताबिक कुल वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन का 17 प्रतिशत घरों, फूड सर्विसेज और रीटेल में बर्बाद हो जाता है। 2022 में करीब 7 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिला।
सद्गुरु बोले, यह हमारी विफलता है