नेस्ले
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खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने गुरुवार को बताया है कि वह पूरे भारत से नेस्ले के बेबी फुड सेरेलैक के नमूने इकट्ठे कर रहा है। नियामक की ओर से यह कार्रवाई उत्पादों में अतिरिक्त चीनी मिलाने की खबरों के बाद की जा रही है।
खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जी कमला वर्धन राव ने एसोचैम के एक कार्यक्रम से इतर पीटीआई से कहा, ”इस प्रक्रिया को पूरा करने में 15 से 20 दिन का समय लगेगा।” एफएसएसएआई स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जो खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच के लिए उत्तरदायी है।
इससे पहले, स्विस एनजीओ पब्लिक आई की ओर से प्रकाशित एक वैश्विक रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने नेस्ले के शिशु खाद्य उत्पादों में कथित उच्च चीनी की मात्रा पर चिंता व्यक्त किया था। उसके बाद एफएसएसएअई की ओर से सैंपल इकट्ठा कर कंपनी की ओर से बच्चों के लिए बनाई जा रही खाद्य उत्पादों की जांच करने का कदम उठाया गया।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेस्ले यूरोप के बाजारों की तुलना में भारत, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों सहित कम विकसित दक्षिण एशियाई देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचती है। हालांकि, नेस्ले इंडिया की ओर से दावा किया गया कि उसने अनुपालन से कभी समझौता नहीं किया और उसने पिछले पांच वर्षों में भारत में शिशु खाद्य उत्पादों में चीनी की मात्रा में 30 प्रतिशत तक की कमी की है।
‘चीनी विवाद’ के बीच नेस्ले इंडिया के लिए अच्छी खबर, चौथी तिमाही में मुनाफा 27% बढ़ा
दैनिक उपयोग की घरेलू वस्तुएं (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया का चौथी (जनवरी-मार्च) तिमाही में शुद्ध लाभ 27 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 934 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में शुद्ध मुनाफा 737 करोड़ रुपये रहा था। समीक्षाधीन अवधि में परिचालन आय बढ़कर 5,267 करोड़ रुपये हो गई, जो वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 4,830 करोड़ रुपये थी।