सीएनजी का धमाका होने के डर से घटना स्थल पर मौजूद लोग भी मदद के लिए नहीं पहुंचे
आग बुझने के बाद गेट तोड़ कर निकाले गए तीनों युवकों के शव, दम घुटने से हुई मौत
मयंक तिवारी
गुरुग्राम। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर हुए हादसे में कार मेंं लगी आग में दम घुटने से तीनों दोस्तों की मौत हुई । आग लगने के बाद कार ऑटोमेटिक लॉक हो गई। जिसे खोलने का भीतर बैठे लोगों ने प्रयास भी किया। इस बात का खुलासा फॉरेंसिक टीम की ओर से मौके पर लिए नमूने से हुआ है। कार में बैठे लोगों को इस बात की आस थी कि बाहर से गेट तोड़कर उनको कोई निकालेगा। जबकि वहां मौजूद लोग इस डर से कार से दूर रहे कि कहीं सीएनजी टैंक का धमाका न हो जाए।
हादसे के बाद कमिश्नरेट की वाहन दुर्घटना की जांच के लिए बने प्रकोष्ठ की टीम जांच कर रही है। पुलिस सूत्रों की माने तो अगर उनकी समय पर मदद की जाती तो वह बच जाते। जिस समय हादसा हुआ उसके आधे घंटे बाद पुलिस उलटी दिशा में होकर पहुंची। आग बुझने के बाद गेट को तोड़कर तीनों के शवों को बाहर निकाला गया।
एक्सपर्ट बताते हैं कि आग लगने के बाद पूरा सिस्टम खराब हो जाता है। इसके बाद गेट खोलना कठिन हो जाता है। लोग तमाशा देख रहे थे। उन्होंने इसलिए वहां जाने पर जोर नहीं दिया कि उनको सिलिंडर फटने का डर सता रहा था। पोस्टमार्टम करने वाले डाॅ. ललित ने बताया कि तीनों की मौत दम घुटने से हुई है, अगर उनको समय पर मदद मिल जाती तो उनकी जान को बचाया जा सकता है।
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वापस आकर दोस्त से मिलने का किया था वादा
गन्नौर के रहने वाले संदीप ने पुलिस को बताया कि तीनों लोगों से मुलाकात हादसे से कुछ देर पहले हुई थी। वह कमरे पर गया तो उसे हादसे की जानकारी हुई। तीनों ने कहा था कि भिवाड़ी से गिफ्ट देकर आते हैं तो मिलते हैं। मगर काल इस तरह से तीनों को लील लेगा। उसने सपने में नहीं सोचा था।
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वीडियो बनाने में ही लगे रहे लोग
हादसे के बाद वहां पर खड़े लोग वीडियो बना रहे थे, अगर उनकी ओर से मदद की कवायद की जाती तो शायद तस्वीर कुछ और होती। पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर वीडियो बनाने व तमाशा देखने वालों को दूर किया।
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ऑटोमैटिक कार में शीशा तोड़ने का औजार रखें साथ
कार एक्सपर्ट का कहना है कि लग्जरी कार से चलने वाले लोग अगर सुरक्षा को लेकर मिनी हथौड़ा साथ रखे तो बड़ा हादसा टाला जा सकता है। बहुत से कार में इसका प्रावधान किया गया है। अगर नहीं है तो उसका इंतजाम साथ रखे।