Halal Certificate: खाने पीने की वस्तुओं का शरई फतवा है हलाल सर्टिफिकेट


Opinion

lekhaka-Sanjay Tiwari

|

Published: Monday, November 20, 2023, 15:12 [IST]

Google Oneindia News

Halal
Certificate:
उत्तर
प्रदेश
के
फूड
एंड
ड्रग
कन्ट्रोलर
ने
18
नवंबर
को
एक
आदेश
जारी
किया।
अपने
आदेश
में
आयुक्त
ने
कहा
कि
“जन
स्वास्थ्य
के
दृष्टिगत
राज्य
की
सीमा
में
हलाल
प्रमाणन
युक्त
खाद्य
पदार्थों
के
निर्माण,
भंडारण,
वितरण
एवं
विक्रय
पर
तत्काल
प्रतिबंध
लगाया
जाता
है।”
हालांकि
इस
प्रतिबंध
से
उन
उत्पादों
को
मुक्त
रखा
गया
है
जो
निर्यात
किये
जाते
हैं।
मतलब
निर्यात
के
लिए
हलाल
सर्टिफिकेट
पहले
की
तरह
मान्य
रहेंगे
लेकिन
अब
यूपी
के
स्थानीय
बाजार
में
कोई
भी
वस्तु
बेचने
के
लिए
किसी
कंपनी
के
लिए
हलाल
सर्टिफिकेट
लेना
गैर
जरूरी
हो
गया
है।
अब
अगर
कोई
कंपनी
यूपी
में
अपना
सामान
बनाने
या
बेचने
के
लिए
हलाल
स्टैंप
का
इस्तेमाल
करती
है
तो
उसके
खिलाफ
कानूनी
कार्रवाई
भी
की
जा
सकती
है।

उत्तर
प्रदेश
प्रशासन
का
यह
निर्णय
कई
मामलों
में
ऐतिहासिक
है।
सबसे
पहले
तो
यह
हलाल
सर्टिफिकेट
शासन
को
ही
एक
प्रकार
से
चुनौती
देता
है।
जैसा
कि
फूड
एण्ड
ड्रग
कन्ट्रोलर
ने
अपने
आदेश
में
कहा
है
कि
खाद्य
और
दवाइयों
के
प्रमाणन
के
लिए
भारत
सरकार
और
उत्तर
प्रदेश
सरकार
की
वैध
संस्थाएं
पहले
से
ही
काम
कर
रही
है।
इनमें
भारतीय
खाद्य
संरक्षा
एवं
मानक
प्राधिकरण
शीर्ष
संस्था
है
जो
खाद्य
मानकों
को
निर्धारित
और
शिकायत
मिलने
पर
जांच
भी
करती
है।
ऐसे
में
हलाल
के
नाम
एक
समानांतर
व्यवस्था
बनाने
का
क्या
तुक
है?

Uttar pradesh Halal Certificate is a conditional fatwa for food items

हलाल
सर्टिफिकेट
की
व्यवस्था

केवल
धार्मिक
रूप
से
आपत्तिजनक
है
बल्कि
भारतीय
लोकतंत्र
और
संविधान
को
भी
चुनौती
है।
यह
ठीक
वैसे
ही
है
जैसे
भारत
में
कोर्ट
कचहरी
के
रहते
हुए
शरीया
अदालतों
की
व्यवस्था
कायम
कर
दी
जाए
और
यह
कहा
जाए
कि
मुसलमान
तो
सिर्फ
शरीया
अदालतों
से
ही
बंधे
हुए
होंगे।
अगर
सामान्य
अदालतों
से
फैसला
हो
भी
जाए
तो
भी
तब
तक
मुसलमान
नहीं
मानेगा
जब
तक
शरई
अदालत
की
उस
पर
मोहर

लग
जाए।
हलाल
सर्टिफिकेट
भी
खाने
पीने
वाली
चीजों
के
लिए
शरई
अदालत
जैसा
ही
है।

इसलिए
किसी
इस्लामिक
देश
में
तो
इसके
लिए
जगह
हो
सकती
है
लेकिन
किसी
सेकुलर
लोकतांत्रिक
देश
में
हलाल
सर्टिफिकेट
जैसी
किसी
व्यवस्था
का
होना
उसके
सेकुलर
चरित्र
को
चुनौती
देने
जैसा
है।
इसलिए
यूपी
की
योगी
सरकार
ने
यह
जो
फैसला
किया
है
वह
भारत
के
सेकुलर
लोकतंत्रिक
चरित्र
को
बनाये
रखनेवाला
प्रयास
है।
इस
बारे
में
केन्द्र
सरकार
ही
कोई
स्थाई
कानून
बनाए
तो
ही
इस
समस्या
का
स्थाई
समाधान
होगा।

जहां
तक
हलाल
फूड
का
सवाल
है
तो
उसे
लेकर
कुछ
भी
निश्चित
तौर
पर
नहीं
कहा
जा
सकता
कि
इस्लाम
के
मुताबिक
किसे
हलाल
कहा
जाए
और
किसे
हराम।
हलाल
के
नाम
पर
इस्लाम
में
सिर्फ
मीट
का
ही
ध्यान
रखा
जाता
रहा
है।
इस्लामिक
किताबों
में
इसी
से
जुड़े
निर्देश
भी
हैं
कि
मुसलमान
को
हलाल
गोश्त
ही
खाना
चाहिए।
इस्लाम
में
हलाल
गोश्त
का
मतलब
होता
है
कि
जिन
जानवरों
को
अल्लाह
का
नाम
लेकर
(बिस्मिल्लाह
अल्लाह
हू
अकबर)
काटा
जाता
है,
वही
हलाल
मीट
होता
है।
एक
मुसलमान
सिर्फ
उसी
जानवर
का
मांस
खा
सकता
है
जिसे
अल्लाह
के
नाम
पर
जिबह
किया
गया
हो।

लेकिन
बदलते
समय
के
साथ
जैसे
जैसे
बाजार
में
पैकेज्ड
फूड
का
दायरा
बढा
तो
हलाल
हराम
का
फर्क
भी
बढ़ता
चला
गया।
आज
दुनियाभर
में
7.5
लाख
करोड़
से
ऊपर
का
हलाल
मार्केट
है।
इसमें
खाने
पाने
का
सामान
तथा
सौंदर्य
प्रसाधन
का
बाजार
शामिल
है।
भारत
की
बात
करें
तो
अनुमान
है
कि
80
हजार
करोड़
का
हलाल
कन्ज्यूमर
मार्केट
है।
इसमें
सबसे
बड़ी
हिस्सेदारी
यूपी
की
ही
बताई
जाती
है
लगभग
30
हजार
करोड़
की।
इसका
कारण
यह
है
कि
उत्तर
प्रदेश
में
सर्वाधिक
मुस्लिम
जनसंख्या
निवास
करती
है।
यूपी
की
कुल
जनसंख्या
का
19.25
प्रतिशत
यानी
लगभग
3.8
करोड़।

उत्तर
प्रदेश
में
1400
के
करीब
होटलों
और
रेस्टोरेन्ट
के
पास
हलाल
सर्टिफिकेट
है
जहां
इस
बात
की
गारंटी
दी
जाती
है
कि
यहां
जो
मांस
परोसा
जाता
है
वह
हलाल
तरीके
से
काटा
गया
है।
आज
हलाल
का
दबाव
इतना
अधिक
बढ़ता
जा
रहा
है
फाइव
स्टार
होटल
भी
हलाल
सर्टिफिकेट
लेने
के
लिए
लाइन
में
लग
गये
हैं।
इसका
कारण
यह
है
कि
मुस्लिम
कहीं
भी
मांसाहार
करते
हैं
तो
सबसे
पहले
इसी
बात
की
जानकारी
लेते
हैं
कि
क्या
यहां
हलाल
गोश्त
मिलता
है
या
नहीं।
जबकि
दूसरे
किसी
भी
धर्म
के
माननेवाले
इस
तरह
का
खाने
पीने
में
भेदभावपूर्ण
रवैया
नहीं
अपनाते।

लेकिन
गोश्त
के
कारोबार
से
आगे
निकलते
हुए
अब
यह
हर
प्रकार
के
एफएमसीजी
उत्पादों
तक
पहुंच
गया
है।
पैकेटबंद
फूड,
सौंदर्य
प्रसाधन,
ट्रेवेल
बिजनेस,
फाइनेन्स
और
दवाइयों
की
खरीदारी
में
भी
मुस्लिम
हलाल
सर्टिफिकेट
की
जांच
करने
लगे
हैं।
अभी
इसी
साल
जुलाई
में
वन्दे
भारत
ट्रेन
में
हलाल
टीबैग
दिया
गया
था
तब
एक
हिन्दू
यात्री
ने
इसकी
शिकायत
भी
की
थी
कि
चाय
में
भी
हलाल
हराम
का
फर्क
क्यों
डाला
जा
रहा
है।
लेकिन
भारत
में
अपने
फूड
आइटम
पर
हलाल
मार्क
लगाने
का
दबाव
इतना
बढ़ता
जा
रहा
है
कि
इस
समय
1400
कंपनियों
के
3200
उत्पादों
को
हलाल
सर्टिफिकेट
लेना
पड़ा
है।
खुद
बाबा
रामदेव
के
उत्पादों
के
बारे
में
मुस्लिम
समाज
ने
जब
यह
भ्रम
फैलाना
शुरु
किया
कि
उनके
उत्पादों
में
गौमूत्र
मिला
हुआ
है
तो
उन्होंने
भी
कई
प्रोडक्ट
पर
2020
में
हलाल
सर्टिफिकेट
ले
लिया।

हालांकि
बाबा
रामदेव
ये
कहते
हैं
कि
अरब
देशों
में
निर्यात
के
लिए
ये
सर्टिफिकेट
लेना
जरूरी
है
लेकिन
सच्चाई
यह
है
कि
अब
भारत
में
मुसलमानों
के
बीच
कोई
भी
उत्पाद
बेचने
के
लिए
कंपनियां
हलाल
सर्टिफिकेट
लेने
लगी
हैं।
बाजार
में
बिकनेवाले
सामानों
पर
यह
बंटवारा
देश
की
एकता
और
अखंडता
के
लिए
निश्चित
रूप
से
घातक
है।
अगर
कल
को
बहुसंख्यक
हिन्दू
यह
निर्णय
ले
लें
कि
जिस
पर
हलाल
सर्टिफिकेट
होगा
वह
सामान
वो
नहीं
खरीदेंगे
तो
क्या
कंपनियां
हिन्दुओं
के
लिए
अलग
और
मुसलमानों
के
लिए
अलग
सामान
बनाएंगी?

भारत
में
कुछ
होटल
रेस्टोरेण्ट
जैन
समाज
के
भावनाओं
का
ध्यान
रखते
हुए
लहसुन
प्याज
के
बिना
फूड
आइटम
जरूर
बनाते
हैं
लेकिन
इनकी
संख्या
बहुत
सीमित
है।
फिर
इसके
लिए
किसी
संस्था
से
सर्टिफिकेट
नहीं
लेना
होता।
लोग
अपनी
ओर
से
ऐसा
करते
हैं
जो
बिना
लहसुन
प्याज
का
भोजन
पसंद
करते
हैं
वो
वहां
खाते
भी
हैं।
लेकिन
मुस्लिम
समुदाय
में
इसके
लिए
बाकायदा
सर्टिफिकेट
देने
की
व्यवस्था
है
जिसे
इस्लामिक
संस्थाएं
देती
हैं।
इसके
ऐवज
में
वो
कंपनियों
से
एकमुश्त
और
सालाना
फीस
भी
लेती
हैं।

भारत
में
हलाल
कारोबार
संचालित
करनी
वाली
इस्लमिक
संस्थाएं
किसी
प्रोडक्ट
को
हलाल
सर्टिफिकेट
देने
के
लिए
पहली
बार
2
लाख
रूपया
तक
चार्ज
करती
हैं।
इसके
बाद
हर
साल
उसे
रेन्यू
कराना
होता
है
जिसके
लिए
एक
प्रोडक्ट
पर
40
हजार
रूपया
सालाना
देना
होता
है।
आरोप
यह
भी
इस्लामिक
संगठनों
द्वारा
दिये
गये
इस
सर्टिफिकेट
से
जो
पैसा
इकट्ठा
होता
है
उसे
इस्लामिक
कट्टरपंथ
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
खर्च
किया
जाता
है।
जबकि
गोश्त
के
अलावा
खुद
इस्लामिक
तरीकों
में
हलाल
और
हराम
जांचने
का
कोई
तुक
नहीं
है।

इस्लाम
में
अगर
हलाल
और
हराम
का
फर्क
है
तो
सिर्फ
गोश्त
के
कारोबार
और
फाइनेन्स
में
है।
गोश्त
के
कारोबार
में
यह
देखा
जाता
है
कि
जानवर
अल्लाह
के
नाम
पर
काटा
गया
हो
और
फाइनेन्स
में
मुस्लिम
यह
देखते
हैं
कि
उक्त
कंपनी
सूदखोरी
तो
नहीं
कर
रही।
इसके
अलावा
बाकी
प्रोडक्ट
में
उन्हें
सिर्फ
यह
सुनिश्चित
करना
होता
है
कि
किसी
में
सूअर
की
मांस
या
चर्बी
का
इस्तेमाल
तो
नहीं
हुआ
है।
यहां
तक
तो
बात
समझ
में
आती
है।
लेकिन
आटे
की
बोरी
और
चाय
के
पैकेट
पर
भी
अगर
हलाल
मार्क
लगा
दिख
जाए
तो
इसे
क्या
समझा
जाए?

UP में हलाल सर्टिफिकेशन पर लग सकता है प्रतिबंध, फिर नहीं बिक पाएंगे हलाल सर्टिफाइड उत्पादUP
में
हलाल
सर्टिफिकेशन
पर
लग
सकता
है
प्रतिबंध,
फिर
नहीं
बिक
पाएंगे
हलाल
सर्टिफाइड
उत्पाद


(इस
लेख
में
लेखक
ने
अपने
निजी
विचार
व्यक्त
किए
हैं।
लेख
में
प्रस्तुत
किसी
भी
विचार
एवं
जानकारी
के
प्रति
Oneindia
उत्तरदायी
नहीं
है।)

  • आगरा-लखनऊ इंटरसिटी के एसी कोच में धुंआ, मची अफरातफरी
  • सुलतानपुर के इस थाने में मुर्दे के खिलाफ मुकदमा, जाने क्या है पूरा मामला
  • दर्दनाक हादसा: उन्नाव में पंखे में करंट लगने से चार भाई-बहन की मौत, गांव में पसरा सन्नाटा
  • जौनपुर के भाजपा नेता का अश्लील वीडियो वायरल, वीडियो कॉल पर…
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छठ महापर्व की दी बधाई
  • कानपुर: दावों और वादों की हकीकत खोलती सच्चाई,जिम्मेदार लोगों पर आरोप
  • रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर योगी आदित्यनाथ ने दी श्रद्धांजलि
  • बिजनौरः हनुमान मंदिर से इन्वर्टर के साथ दानपात्र भी चोरी कर ले गए चोर
  • Halal Certified: यूपी में अब हलाल सर्टिफिकेट खाद्य उत्पादों की बिक्री पर लगी रोक
  • इटावा: तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने ऑटो में मारी टक्कर, चार लोग हुए घायल
  • मोहम्मद शमी को सीएम योगी आदित्यनाथ का तोहफा, अमरोहा में बनेगा मिनी स्टेडियम
  • औरैया: जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए बनाया वीडियो,फिर की आत्महत्या
  • UP में हलाल सर्टिफिकेशन पर लग सकता है प्रतिबंध, फिर नहीं बिक पाएंगे हलाल सर्टिफाइड उत्पाद
  • मारा गया रशीद कालिया उर्फ गौड़ा, UP STF के साथ झांसी में मुठभेड़.. 2020 में किया था खौफनाक हत्याकांड
  • क्या सच में सीमा हैदर सोशल मीडिया से कर रही हैं ताबड़तोड़ कमाई, सचिन के परिवार वाले भी हैं हैरान!
  • यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सड़क निर्माण परियोजना को लेकर दिए अहम निर्देश
  • PM मोदी 23 नवंबर को पधारेंगे मथुरा, UP के ‘ब्रज राज उत्सव’ में होंगे शामिल
  • सीएम योगी ने कहा- यूपी की ”वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ ने पीएम मोदी के विजन ‘वोकल फॉर लोकल’ को पूरा किया

English summary

Uttar pradesh Halal Certificate is a conditional fatwa for food items


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *