
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बहुत अधिक पास्ता, आलू से बनी फ्राइज और अन्य फास्ट फूड आइटम्स को शरीर ट्राइग्लिसराइड्स में बदल देता है और इसका बढ़ना सेहत के लिए गंभीर दुष्प्रभावों वाला माना जाता है। तो अगर आपको भी अक्सर इन चीजों की क्रेविंग होती है तो जरा अलर्ट हो जाइए।
ट्राइग्लिसराइड्स हमारे रक्त में पाया जाने वाला एक प्रकार का फैट (लिपिड) है। जब आप खाते हैं, तो आपका शरीर अनावश्यक कैलोरी को ट्राइग्लिसराइड्स में परिवर्तित कर देता है। ट्राइग्लिसराइड्स की अधिकता आपकी कोशिकाओं में जमा हो सकती है।ट्राइग्लिसराइड्स की अधिक मात्रा धमनियों को सख्त करने या धमनी की दीवारों को मोटा करने का कारण भी बनती है, जिसके कारण स्ट्रोक, दिल का दौरा और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
सेचुरेटेड फैट वाली चीजें ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बढ़ा सकती है। तले हुए खाद्य पदार्थ, रेड मीट, अंडे की जर्दी, उच्च वसा वाले डेयरी, मक्खन और फास्ट फूड में सेचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में अगर आप अक्सर इन चीजों का सेवन करते हैं तो इससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। ये हार्ट अटैक जैसी जानलेवा समस्याओं के जोखिम को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
आइए जानते हैं कि जोखिमों से बचाव के लिए आपको किन चीजों से परहेज करना चाहिए?
मीठे पेय को कई प्रकार से सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है। आइस्ड-टी हो या सोडा, पैक्ड फलों के जूस ये सभी सेहत के लिए हानिकारक माने जाते हैं। अधिक मात्रा में शुगर को भी शरीर ट्राइग्लिसराइड्स में बदलने लगता है। इसलिए मीठी चीजों के सेवन के साथ मीठे पेय वाली चीजों का भी सेवन कम किया जाना चाहिए। मीठे पेय वजन बढ़ाते हैं जिससे हार्ट की समस्या का खतरा और भी बढ़ जाता है।
हाई ट्राइग्लिसराइड्स के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए आपको अपने आहार में सेचुरेटेड फैट की मात्रा को सीमित करना चाहिए। कई प्रकार के बेक्ड आइटम्स जैसे पेटीज, बन्स, चीज केक जैसी चीजों का भी सेवन कम करके आप ट्राइग्लिसराइड्स को कंट्रोल कर सकते हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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