History of Kadhi: पंजाब नहीं इस राज्य की देन है कढ़ी, खांसी-जुकाम ठीक करने का घरेलू नुस्खा, आज दुनियाभर में हुई पॉपुलर


हाइलाइट्स

  • राजाओं की धरती से जुड़ा है इतिहास

  • राब से मिली कढ़ी की प्रेरणा

हर किसी की फूड डायरी में कोई न कोई ऐसी डिश होती है जिसे आप कभी भी खा सकते हैं. अगर कोई मुझसे पूछे को मैं कहुंगी- कढ़ी. बहुत से लोगों के लिए कढ़ी सिर्फ डिश नहीं है बल्कि इमोशन है. छाछ और बेसन से बनी कढ़ी भारत में चावल और रोटी के साथ परोसी जाती है. दिलचस्प बात यह है कि देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से बनाई जाने वाली कढ़ी अपने अलग स्वाद और सुगंध के लिए जानी जाती है. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं कढ़ी का इतिहास. 

राजाओं की धरती से जुड़ा है इतिहास 
हमारे देश में एक ही व्यंजन के कई रूप हो सकते हैं. भारत में चंद मील की दूरी पर सिर्फ पानी का स्वाद और लोगों की बोली ही नहीं बदलती है बल्कि व्यंजनों को बनाने की रेसिपी भी बदल जाती है. अब कढ़ी को ही ले लीजिए, पंजाब की कढ़ी महाराष्ट्र की कढ़ी से एकदम अलग होती है और महाराष्ट्रियन कढ़ी से राजस्थान की कढ़ी बिल्कुल जुदा होगी. अब ऐसे में सिर्फ एक सवाल है कि आखिर सबसे पहले कढ़ी कहां बनी? 

इस सवाल का जवाब बहुत ही आसान है. कढ़ी शाही व्यंजन है तो इसकी उत्पत्ति भी शाही घरानों में हुई होगी और राजस्थान से ज्यादा शाही कौन सी जगह होगी. आखिर राजस्थान का मतलब ही है राजाओं की धरती. कुछ समय पहले, सेलिब्रेटी शेफ, कुनाल कपूर ने इंस्टाग्राम पर कढ़ी के बारे में एक पोस्ट शेयर की. उन्होंने बताया कि वैसे तो कढ़ी-चावल को पंजाबियों से रिलेट किया जाता है लेकिन कढ़ी की जड़ें राजस्थान से जुड़ी हैं. खाद्य इतिहासकारों के अनुसार, कढ़ी सबसे पहले राजस्थान में बनाई जाती थी, जिसकी रेसिपी बाद में गुजरात और सिंध क्षेत्रों तक फैल गईं. हालांकि, हर क्षेत्र के लोगों ने इसमें अपने हिसाब से फेर-बदल कर लिया. 

शेफ कुणाल ने बताया कि पहले, कढ़ी तब तैयार की जाती थी जब लोगों के पास जरूरत से ज्यादा दूध हो जाता था. इस एक्स्ट्रा दूध से मक्खन बनाया जाता था और छाछ बनती थी, जिसका उपयोग कढ़ी बनाने के लिए किया. उनके अनुसार, पहले कढ़ी में मक्के का आटा (बेसन नहीं) शामिल होता था. बाद में, मक्के के आटा की जगह बेसन इस्तेमाल होने लगा और पूरे देश में फेमस हो गया. कढ़ी में बेसन और छाछ, दो ऐसे इंग्रेडिएंट्स हैं जिनका उपयोग कढ़ी में किया जाता है. लेकिन इसका तड़का इलाके के हिसाब से बदल जाता है.  

राब से मिली कढ़ी की प्रेरणा?
कढ़ी की उत्पत्ति के बारे में एक थ्योरी यह भी है कि डेयरी-रिच, अनाज-आधारित राजस्थान में  छाछ और दही अक्सर पानी की कमी को पूरा करते थे, और यहां चने का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता था. मेथी और हींग जैसे पाचक मसालों के उपयोग से डेयरी युक्त आहार की भरपाई हो जाती है. वहीं, फूड रिसर्चर रुचि श्रीवास्तव कहती हैं, ”इसके अलावा, राजस्थान में छाछ को ज्वार या बाजरे के आटे के साथ पकाकर राब (एक पतला दलिया) बनाने का एक लंबा इतिहास है.” राब गर्मियों में कूलेंट के रूप में काम करता है और सर्दियों में शरीर को गर्म करता है. कढ़ी भी इसी तरह काम करती है. 

फूड राइटर, संगीता खन्ना ने मिंट लाउंज को बताया कि धीमी गति से पकाने वाली छाछ या दही की परंपरा व्यापक है. यह पाचन अग्नि को बढ़ावा देती है. आयुर्वेद के अनुसार, छाछ को पकाने से इसके वात-इंड्यूजिंग गुणों को शांत करने में मदद मिलती है. इसलिए, कढ़ी विशेष रूप से पेट के लिए हल्की होती है और मसाले जो आम तौर पर कढ़ी का स्वाद बढ़ाते हैं, पाचन अग्नि को बढ़ावा देने में मदद करते हैं. वहीं, एक और फूड राइटर, सई कुराने-खांडेकर का एक सरल सिद्धांत है. उनका कहना है कि कढ़ी पुरानी छाछ का उपयोग करने का एक चतुर तरीका था.

लेकिन कढ़ी को सिर्फ स्वाद के लिए नहीं बल्कि सेहत के लिए भी खाया जाता है. खासकर कि सर्दियों में, कढ़ी सिर्फ खाना नहीं बल्कि जुकाम को ठीक करने का घरेलू नुस्खा है. कढ़ी विटामिन और मिनरल्स के साथ-साथ प्रोटीन, कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर है. 

सेहत के लिए कमाल है कढ़ी 
आपको बता दें कि कढ़ी को मुख्य तौर पर बेसन (चने का आटा) और छाछ से बनाया जाता है. बेसन में साबुत गेहूं के आटे की तुलना में ज्यादा गुड फैट और प्रोटीन होता है. यह कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट, और फोलेट से भरपूर है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है. वहीं, छाछ वजन कम करने, आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है और दिल के लिए भी अच्छा है. नियमित रूप से एक कप कढ़ी का सेवन आपकी स्किन और बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि बेसन कोलेजन फॉर्मेशन को बढ़ावा देता है और इसमें सूजन-रोधी गुण (एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज) होते हैं. कढ़ी आपके डाइजेशन के लिए भी अच्छी रहती है. इसे खाने से ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है. 

इसके अलावा, बेसन गर्म होता है और साथ ही, कढ़ी बनाने में इस्तेमाल होने वाले मसाले जैसे हल्दी और काली मिर्च अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए जाने जाते हैं जो आपको सर्दी से राहत दिला सकते हैं. सर्दी में अगर किसी को खांसी-जुकाम हो जाए तो उसे कढ़ी खानी चाहिए. यह सर्दियों में कंफर्ट फूड माना जाता है. 

https://youtube.com/watch?v=9tRhvL6jOH4


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