Food Inflation in India: देश में बढ़ती महंगाई (Inflation) के बीच में राहत की खबर आ गई है. देश में आखिर महंगाई कब कम होगी… रिजर्व बैंक की सदस्य आशिमा गोयल (rbi mpc member) ने इस बारे में जानकारी दी है. देश में बढ़ती खाने-पीने की कीमतों पर अब जल्द ही महंगाई कम हो सकती है.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि भारत में खाने-पीने के सामान पर बढ़ती महंगाई (high food inflation) की समस्या भविष्य में कम गंभीर होगी क्योंकि विविध स्रोतों के साथ मॉर्डन सप्लाई चेक स्पेसिफिक फूड की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी से निपटने में मदद कर सकती हैं.
भारत के विकसित होने का दिखेगा असर
भारत में घरेलू बजट में भोजन की हिस्सेदारी ज्यादा होने की बात पर जोर देते हुए गोयल ने कहा कि नीति के कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित होने की जरूरत है, क्योंकि स्थिर कृषि कीमतें मुद्रास्फीति से परे वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा है कि जैसे-जैसे भारत विकसित होगा. भारत में इंफ्लेशन की गंभीरता कई कारणों से कम होती जाएगी. अलग-अलग सोर्स से होने वाली आधुनिक आपूर्ति शृंखलाएं विशिष्ट वस्तुओं के दाम बढ़ने पर उनसे निपटने में मदद करेंगी. गोयल ने कहा कि किसी ने भी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में टमाटर या प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में नहीं सुना है.
किन फैक्टर से कम होगी महंगाई?
उन्होंने कहा है कि हमारे पास स्वाभाविक रूप से विविध भौगोलिक क्षेत्र हैं, विभिन्न क्षेत्रों से बेहतर एकीकृत बाजार जलवायु परिवर्तन से प्रेरित खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी को कम करने में मदद कर सकते हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर पांच महीने के निचले स्तर 4.85 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होना रहा.
मार्च में फूड आइट्म पर बढ़ी मुद्रीस्फीति
फूड आइट्म की मुद्रास्फीति मार्च में 8.52 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 8.66 प्रतिशत थी. भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा था कि मुद्रास्फीति 2024-25 में घटकर 4.5 प्रतिशत हो जाएगी. यह 2023-24 में 5.4 प्रतिशत और 2022-23 में 6.7 प्रतिशत थी. (इनपुट – भाषा)