झांसी। पूंछ के बरोदा गांव में तेरहवीं का खाना खाने से 1000 लोगों के बीमार होने के मामले में जो जांच रिपोर्ट सामने आई है उसके मुताबिक या तो खाना गंदे बर्तन में बनाया गया या परोसा गया। इसी से भोजन दूषित हुआ और लोग फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए। मेडिकल कॉलेज प्राचार्य की अध्यक्षता में गठित जांच समिति ने बृहस्पतिवार को रिपोर्ट सीएमओ को सौंप दी है।
बरोदा निवासी पूर्व प्रधान लाखन सिंह राजपूत के पिता भगवानदास का निधन होने के बाद 27 अक्तूबर को त्रयोदशी संस्कार हुआ था। तेरहवीं का खाना खाकर एक हजार लोग बीमार पड़ गए थे। खाद्य विभाग की टीम ने मौके पर पहुंच पूड़ी-सब्जी आदि का सैंपल लिया था। वहीं, मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के स्टूल की भी जांच की गई। साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने पानी की भी जांच कराई। सभी जांच रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज प्राचार्य की अध्यक्षता में गठित समिति ने देखी। इसके बाद बृहस्पतिवार को सीएमओ को रिपोर्ट भेज दी। सूत्रों ने बताया कि जांच रिपोर्ट में खाना बनाने या फिर भंडारण में गड़बड़ी की बात सामने आई है। इसी वजह से खाना दूषित हुआ और फिर लोगों को फूड पॉइजनिंग हो गई।
स्ट्रेन पता लगाने के लिए हिमाचल प्रदेश भेजा जाएगा सैंपल
विशेषज्ञों के मुताबिक ई-कोलाई बैक्टीरिया सामान्य रूप से शरीर में रहता है। मगर इसके कई स्ट्रेन यानी रूप होते हैं। डायरियाजेनिक ई-कोलाई बैक्टीरिया उल्टी-दस्त आदि का कारण बनता है। चूंकि, बैक्टीरिया के स्ट्रेन की जांच मेडिकल कॉलेज में नहीं होती है। ऐसे में पानी आदि का सैंपल जांच के लिए हिमाचल प्रदेश के कसौली स्थित लैब में भेजा जाएगा।
तेरहवीं का खाकर बीमार पड़े मरीजों की जांच पूरी हो गई है। समिति की अपनी रिपोर्ट सीएमओ के पास भेज दी है। – डॉ. एनएस सेंगर, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज।