जागरण संवाददाता, मंडी। यूको बैंक मंडी से धोखाधड़ी करने वाले ऊना के तुषार शर्मा और पत्नी श्वेता शर्मा ने मंडी के चक्कर में होंडा कार का शोरूम खोलने के लिए 2017 में 9.85 करोड़ रुपये का सावधि ऋण यानी टर्म लोन लिया था। बैंक के साथ किए करार के अनुसार अप्रैल 2018 से टर्म लोन का भुगतान करना था। आरोपित 2014 से यूको बैंक के साथ जुड़े हुए थे। मंडी में होंडा कार का शोरूम खोलने से पहले वह ऊना और कांगड़ा में शोरूम चला रहे थे।
टर्म लोन लेने की एवज में आरोपितों ने नागचला और ऊना में स्थित 335.38 लाख रुपये की जमीन गारंटी के तौर पर रखी थी। इसके अलावा दोनों आरोपितों ने दो गारंटर के साथ बैंक को करीब पांच करोड़ रुपये की व्यक्तिगत सिक्योरिटी दी थी। टर्म लोन की स्वीकृत होने के कुछ महीने बाद आरोपितों ने पंजाब की सात विभिन्न कंपनियों के नाम 7.26 करोड़ रुपये की राशि फर्जी तरीके से ट्रांसफर कर दी।
इन कंपनियों से आरोपितों ने कोई सामान खरीदा ही नहीं था। मई 2018में सावधि ऋण का करार की शर्तों के अनुरूप भुगतान न होने पर बैंक ने मैसर्ज मैगमा आटो लिंक्स का खाता नान-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया था।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दी थी चुनौती
सात जुलाई 2018 को बैंक प्रबंधन ने सरफेसी अधिनियम के तहत नोटिस दिया था। इस अधिनियम में ऋणदाता को 60 दिनों के नोटिस के बाद संपत्ति या गिरवी रखी गई संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार है। आरोपितों ने बैंक के इस नोटिस को नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी।
ट्रिब्यूनल ने मामले की जांच करवाई तो यह बात सामने आई की आरोपितों ने फर्जी तरीके से 7.26 करोड़ रुपये की राशि सात कंपनियों को ट्रांसफर की है। बैंक ने अपने स्तर पर भी मामले की जांच करवाई थी। इसकी रिपोर्ट कमेटी ने 23 जनवरी 2023 को सौंपी थी।
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CBI कर रही जांच
धोखाधड़ी की बात सामने आने पर बैंक प्रबंधन ने सात फरवरी 2023 को आरबीआई को सूचित किया था। बैंक की जोनल प्रबंधक धर्मशाला कुसुम गुप्ता ने 21 फरवरी 2023 को सीबीआई मुख्यालय को पत्र लिख मामले की जांच करने का आग्रह किया था।
सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच के बाद शिमला थाना में नौ अक्टूबर को मैसर्ज मैगमा आटो लिंक्स प्राइवेट कंपनी के निदेशक तुषार शर्मा और उसकी पत्नी श्वेता शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया था। प्रारंभिक जांच में गारंटर राकेश शर्मा और पूनम शर्मा की धोखाधड़ी में कोई भूमिका नहीं पाई गई है, हालांकि सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट नहीं दी है। इस पूरे प्रकरण में बैंक के अधिकारियों की क्या भूमिका रही है। सीबीआई इसकी जांच कर रही है।
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