Meerut News: ड्राइविंग इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग के लिए नहीं है कार, ट्रैक हो रहा बेकार


साकेत के आईटीआई परिसर में पिछले साल खोले गए इंस्टीटयूट में अब तक किसी को नहीं मिला प्रशिक्षण, क्लास रूम ईवीएम मशीनों से भरा

राजकुमार सैनी

मेरठ। यातायात नियमों की जानकारियों के साथ वाहन चलाना सिखाने के लिए मई 2022 में तैयार हुआ मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीटयूट बिना कार के बेकार हो गया। साकेत आईटीआई परिसर में बने इंस्टीट्यूट में एक साल बीतने के बाद भी एक भी व्यक्ति को कार या ट्रक चलाना सीखने का अवसर नहीं मिला। सरकार अभी तक इसके संचालन की व्यवस्था ही नहीं कर सकी है। आलम ये है कि यहां बने ट्रैक झाडियों के बीच खोने लगे हैं। कुछ समय पहले बनाया गया अधूरा यात्री शेड भी टूटने लगा है।

एक ही स्थान पर लोग पहले वाहन चलाना सीखें, यातायात नियमों को जाने। इसके बाद ही उनका मोटर ड्राइविंग लाइसेंस बनाया जाए। इस उद्देश्य के साथ इंस्टीट्यूट खोला गया था। लगभग चार करोड़ रुपये की लागत से आईटीआई परिसर में बिल्डिंग और ट्रैक तैयार किया गया। बिल्डिंग में अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग देने के लिए क्लास रूम भी बनाए गए। अब स्थिति यह है कि इन क्लास रूमों में ईवीएम भरी हैं और ट्रैक जर्जर हो रहा है।

न ऑटोमेशन सिस्टम और चलाने को कार

मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर पर न तो ऑटोमेशन सिस्टम है और न ही आवेदक से चलवाने के लिए कोई वाहन है। अगर किसी को अपना चौपहिया वाहन का स्थाई हैवी लाइसेंस बनवाना है तो उसको अपना वाहन लेकर ही ट्रेनिंग सेंटर पहुंचना पड़ता है। वाहन चलाने की परीक्षा लेने के लिए आरआई राहुल शर्मा को ही कर्मचारियों के साथ ट्रैक पर खड़ा होना पड़ता है। जबकि नियमानुसार ट्रेक ऑटोमेशन सिस्टम से लेस होना चाहिए। ताकि आरआई अपने कमरे में बैठकर ही ट्रैक पर वाहन चलाने वाले को देख सके।

वाहन ही नहीं कर्मचारी व मशीनों की करनी होगी व्यवस्था

प्रत्येक माह लगभग तीन हजार ड्राइविंग लाइसेंस बनते हैं। ट्रेनिंग सेंटर पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आने वाले लोगों को प्रशिक्षण देने और वाहन चलाने की परीक्षा लेने के लिए कम से कम दो कार और दो कामर्शियल भारी वाहन होने जरूरी हैं। यहां अभी तक एक भी वाहन की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा मशीनें और कर्मचारियों की भी व्यवस्था करनी होगी।

शीघ्र ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर चलाने की है तैयारी

मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीटयूट को शीघ्र संचालन की तैयारी है। प्रदेश के कई जनपदों में सरकार ने संचालन की जिम्मेदारी वाहन कंपनियों को दी है। जो सीएसआर फंड से चला रहे हैं। हमारे यहां भी पिछले सप्ताह मारूती और होंडा कंपनी के अधिकारी संस्थान का निरीक्षण करने आए थे। शासन स्तर से ही निर्णय लिया जाना है। ट्रैक के रखरखाव की जिम्मेदारी पैक्स फेड की है। – राहुल शर्मा, आरआई, संभागीय परिवहन विभाग।


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