Meerut News: स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें ऑस्ट्रेलिया एवं लंदन से वरिष्ठ रेडियो प्रसारकों ने पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों के साथ संवाद करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया और रेडियो की महत्ता पर अपने विचार प्रकट किए। इस क्रम में बीबीसी लंदन के वरिष्ठ रेडियो प्रसारक ललित मोहन जोशी, ऑस्ट्रेलिया से अंतर्राष्ट्रीय रेडियो प्रसारक व प्रशिक्षक स्टीव अर्हन तथा ऑल इंडिया रेडियो के लखनऊ केन्द्र की निदेशक मीनू खरे जैसी प्रसिद्ध रेडियो हस्ती शामिल हुईं।
ऑस्ट्रेलिया के जाने माने रेडियो प्रसारक स्टीव अर्हन ने अपने संबोधन में कहा कि रेडियो आधुनिक और अतीत को जोड़ने वाली एक मुख्य कड़ी के रूप में स्थित है। रेडियो संपूर्ण मानवता को शिक्षा, सूचना और मनोरंजन प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। विकास को आम जनमानस तक पहुंचाने में रेडियो की एक प्रभावी भूमिका रही है। डिजिटल युग में भी रेडियो आज अपने तकनीकी विकास से समकालीन बना हुआ है और आज भी इसके श्रोताओं के मध्य लोकप्रिय है।
उन्होंने आगे कहा कि रेडियो आज से 101 साल पहले से संदेश, आदेश और संचार भेजने के साधन के रूप में कार्य करता आ रहा है। रेडियो सिग्नल्स के द्वारा हम आसानी से सूदूरवर्ती प्रदेशों में भी लोगों तक अपनी बात को पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही रेडियो विश्व के विभिन्न देशो, मानव समुदायों और संस्कृतियों तक पहुंच का एक आसान माध्यम के रूप में विराजमान है।
बीबीसी लंदन के पूर्व रेडियो प्रसारक ललित मोहन जोशी ने कहा कि रेडियो जनसंचार की बुनियाद है और इसका महत्त्व युगों तक बना रहेगा। उन्होंने कहा कि रेडियो एक अनुशासन सिखाता है कि हमें कम शब्दों में कितना अधिक संदेश देना है। बीबीसी जुड़े अपने अनुभवों को बताते हुए जोशी ने कहा कि ब्रिटेन में आज भी रेडियो सबसे अधिक सुना जाता है और वहां का सर्वाधिक लोकप्रिय जनसंचार माध्यम है। रेडियो की पहुंच सर्वत्र है और यह श्रोताओं के लिए सब जगह उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि रेडियो आम आदमी को विकास से जोड़ने वाला साधन है।
रेडियो आज भी जनसेवा का माध्यम है
वहीं आकाशवाणी लखनऊ केन्द्र निदेशक मीनू खरे ने अपने संबोधन में कहा कि रेडियो आज भी श्रोताओं को स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ सही सूचना देकर उनके ज्ञानार्जन का माध्यम बना हुआ है। इसके द्वारा हम जनोपयोगी सूचनाओं के प्रसारण से लोगों की जिंदगी में विकास का बदलाव ला सकते हैं। मीनू ने अपने एक अनुभव को बताते हुए कहा कि रेडियो आज भी जनसेवा का माध्यम है और अपने कार्यक्रमों के द्वारा विपरीत परिस्थितियों में सेवा करता है। आकाशवाणी के महत्त्व को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि आपदा के समय लोगों के लिए रेडियो किसी वरदान से कम नहीं होता है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे आकाशवाणी के कार्यक्रमों से जुड़े और अपना भविष्य संवारें।
इस अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुभाष चंद्र थलेड़ी ने रेडियो की आज के जीवन में उपयोगिता को बताते हुए इसके तकनीकी विकास से विद्यार्थियो को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि रेडियो एक जीवंत माध्यम है जोकि सही समय पर सही सूचना और मनोरंजन करता है। रेडियो के द्वारा सुनने वाले में शब्दों के द्वारा चित्रण करने की कला भी विकसित होती है। उन्होंने रेडियो के विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एफएम रेडियो और सामुदायिक रेडियो हमारे देश में काफी लोकप्रिय हुए हैं। यह माध्यम हमेशा जीवंत बना रहेगा।
इस कार्यक्रम का संचालन बीएजेएमसी के छात्र विशेष शर्मा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन गरिमा पांडेय ने किया। वहीं पलक टंडन ने तकनीकी सहयोग दिया। इस दौरान प्रो. अशोक त्यागी, मधुर शर्मा, राम प्रकाश तिवारी समेत शोध छात्र शिकेब मज़ीद व विभाग के सहायक कपिल गिल के साथ-साथ संजय पाल, उपस्थित रहे। इनके अलावा मनीषा, सुमन कुमार, अमन शर्मा, गरिमा पांडेय, अंजली, अपूर्वा, टीना सोम, सुगंधी, वंश चौधरी, अनुष्का सोलंकी, छैना त्यागी, मोनु कुमार, शकिब, अर्पित, हर्षित, सुमैया, भूमि आर्या, आनंद, नितेश आदि उपस्थित रहे।