Movie Review मनोरंजन पर खरी उतरती है, कड़वी सीख दे जाती है


विपुल रेगे। नेटफ्लिक्स पर निर्देशक राहुल पांडे की ‘मामला लीगल है’ रिलीज हो गई है। कोर्टरुम की सुनवाई, अदालत के प्रांगण में वकीलों का जमघट, न्याय मांगने आए फरियादी की आँखों की नमी, न्यायालय और न्याय की फिलॉसफी जैसे इस आठ एपिसोड्स की वेब सीरीज में पैबस्त हो गई है। ‘मामला लीगल है’ दिल्ली के पटपड़गंज कोर्ट की कहानी कहती है। रवि किशन के संपूर्ण कॅरियर की सबसे उम्दा फिल्मों की बात होगी तो उनमे ‘मामला लीगल है’ सबसे आगे खड़ी होगी। ‘मामला लीगल है’ मनोरंजन पर खरी उतरती है और कड़वी सीख हँसते-हँसते दे जाती है।

‘मामला लीगल है’

निर्देशक – राहुल पांडे

कलाकार – रवि किशन,नैला ग्रेवाल,निध‍ि बिष्‍ट,अनंत जोशी,अंजुम बत्रा,यशपाल शर्मा

स्ट्रीमिंग -नेटफ्लिक्स

अक्सर सोशल मीडिया और आम चर्चाओं में हम ये सुनते हैं कि फिल्मों के प्रभाव से समाज में विकृतियां आ रही हैं। ये बात कई मामलों में सच भी लगती है लेकिन बहुत से मामलें ऐसे होते हैं, जो हमारे समाज में घटित होते हैं और फिर फिल्मों में दिखाए जाते हैं। निर्देशक राहुल पांडे की ‘मामला लीगल है’ में आठ एपिसोड्स के जरिये न्यायालय और आम आदमी की कहानियों को दिखाया गया है। हर एपिसोड देखते हुए आपके मन में विचार आएगा कि ये तो फिल्म निर्देशक के दिमाग की उपज होगी लेकिन एपिसोड के अंत में अख़बारों में छपी कटिंग्स दिखाई जाती है, ताकि दर्शक समझ सके कि ऐसे विचित्र केस उनके ही समाज से आए हैं। इन सारे एपिसोड्स में एक केस गाली देने वाले तोते का भी है। अश्लील गाली देने वाले तोते को अदालत में पेश किया जाता है। फिल्म निर्देशक ने सच्चे किस्सों को अपनी कथा में पिरोया है।

कहानी – पटपड़गंज न्यायाल में वकील वीडी त्यागी एक होशियार वकील है। वह केस जीतने के लिए सारे हथकंडे इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है। त्यागी को क़ानूनी पेचीदगियों का बहुत अच्छा ज्ञान है। त्यागी बार एसोसिएशन का चुनाव लड़ने की योजना बनाता है। इसी कोर्ट में हार्वर्ड से डिग्री लेकर युवा वकील अनन्या श्रॉफ प्रेक्टिस करने आई है लेकिन उसे बैठने के लिए जगह नहीं मिल रही। पटपड़गंज कोर्ट में एक सुजाता नेगी है, जिसके पास अपना कैबिन नहीं है। वह कई साल से सड़क पर प्रेक्टिस कर रही है। एक मिडिल क्लास परिवार का सरकारी मुलाजिम विश्वास पांडे भी है। त्यागी चुनाव जीतने के लिए हर तिकड़म अपनाता है। वह बहुत से सीनियर जजों को अपने समर्थन में जुटाने के लिए गलत तरीके अपनाता है। आठ एपिसोड्स की इस सीरीज में दर्शक को एक भावुक और आदर्श अंत देखने को मिलता है।

निर्देशन : राहुल पांडे नए निर्देशक हैं। उनकी ये दूसरी पेशकश है। राहुल ने पहली वेब सीरीज ‘निर्मल पाठक की घर वापसी’ 2022 में बनाई थी। सीरीज  देखते हुए महसूस होता है कि राहुल पांडे बड़ी ही गहराई से फ़िल्में बनाते हैं। ‘मामला लीगल है’ का विषय साधारण ढंग से पेश किया जाता तो इसे कोई न देखता। निर्देशक ने बोरिंग विषय को असाधारण रुप से मनोरजंक बना दिया है। कुणाल अनेजा और सौरभ खन्ना ने कहानी का सुंदर ढंग से फैलाव किया है। हर एपिसोड एक सच्ची घटना को लेकर पेश किया गया है। एक एपिसोड में दिखाया गया है कि पंजाब की जेलों में कैदियों को यौन संबंध बनाने के लिए सुविधाएं दी गई है। और ये सत्य है कि पंजाब में ऐसा प्रावधान किया गया है। राहुल पांडे की यूएसपी है कॉमेडी। हास्य तत्व का इस्तेमाल कर उन्होंने गंभीर संदेश दर्शक के गले उतार दिया है। ये वेब सीरीज केवल हंसाती नहीं, बल्कि कई अवसरों पर भावुक करती है। निर्देशक ने इसमें इतना रस भरा है कि इसे एक बार शुरु करने के बाद आप बीच में नहीं छोड़ सकेंगे।

अभिनय : रवि किशन बहुत वर्षों से अभिनय कर रहे हैं। उनकी शुरुआत एक औसत अभिनेता के रुप में हुई थी। एक बेहतरीन अभिनेता के रुप में अब तक उन्होंने बहुत कम बार छाप छोड़ी है। वे कई बार अपने किरदारों में ओवर एक्टिंग भी कर गए हैं लेकिन ‘मामला लीगल है’ में उन्होंने अब तक सबसे उम्दा  अभिनय दिखाया है। वीडी त्यागी का किरदार दर्शक के मन पर छप जाता है। मुझे कहने में ज़रा भी हिचक नहीं है कि रवि किशन अपने समकालीन बिहारी अभिनेताओं से बहुत आगे निकल गए हैं। रवि किशन इस वेब सीरीज की जान है। नैला ग्रेवाल छोटे बजट की फिल्मों में काम करती आई हैं। उनके अंदर सहज अभिनय की प्रतिभा दिखाई देती है। नैला बहुत जल्दी अपने प्रशंसकों की संख्या बढ़ा लेंगी। निधि बिष्ट एक कॉमिक किरदार में हैं। निधि एक बेहतरीन कलाकार हैं। एक महिला वकील के किरदार को सूक्ष्मता के साथ निधि ने निभाया है। विजय राजौरिया, यशपाल शर्मा, तन्वी आज़मी भी शानदार रहे हैं। सिद्धहस्त अभिनेता बृजेन्द्र काला ने बहुत ही जबरदस्त हास्य भूमिका का निर्वाह किया है।

इस सप्ताहांत नेटफ्लिक्स पर ‘मामला लीगल है’ देख सकते हैं। अनिवार्य रुप से ये वेब सीरीज केवल वयस्क दर्शकों के लिए हैं। फिल्म के बहुत से दृश्य और शब्दावली बच्चों के लिए सही नहीं है। जो दर्शक अदालत और अदालती मामलों को नज़दीक से जानते हैं और ये भी जानते हैं कि एक आम मध्यम वर्गीय भारतीय के लिए न्याय का अर्थ क्या होता है, उनके लिए ही है ये वेब सीरीज। आप ठहाके लगाएंगे और पलकों को नम भी पाएंगे। मूवी मैजिक इसे ही कहते हैं।


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